प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी में दो पहिया वाहनों पर दो सवारी बैठने पर लगी रोक हटाई
यूपी में दो पहिया वाहनों पर दो सवारी बैठने पर लगी रोक हटा ली गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने पुराने आदेश में संशोधन करते हुए ये रोक हटाई है.
प्रयागराज, मोहम्मद मोईन: उत्तर प्रदेश में दो पहिया वाहनों पर दो सवारी बैठने पर लगी रोक हटा ली गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने पुराने आदेश में संशोधन करते हुए ये रोक हटाई है. अब दो पहिया वाहनों पर दो सवारी बैठ सकेंगी. कोर्ट के पिछले आदेश के मुताबिक किसी भी व्यक्ति के साथ सिर्फ पत्नी ही पीछे बैठ सकती थी, कोई और नहीं.
हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि दो पहिया वाहनों पर दो सवारियां तो बैठेंगी, लेकिन दोनों को हेलमेट और मास्क पहनना जरूरी होगा. ऑटो रिक्शा और बैटरी रिक्शा पर भी अब ड्राइवर को मिलाकर चार लोग बैठ सकेंगे. कोरोना से निपटने के इंतजामों और गाइडलाइन के पालन पर हाईकोर्ट ने नाराजगी भी जताई है.
हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि ज्यदातार काम कागजों पर ही हो रहे हैं. इतना ही नहीं कोर्ट ने प्रयागराज के डीएम और एसएसपी से जवाब मांगा है. प्रयागराज के डीएम और एसएसपी को कल तक कोर्ट में जवाब दाखिल करने को कहा गया है. इसके साथ ही अदालत ने मास्क को आवश्यक वस्तु में शामिल करने की मांग पर केंद्र और यूपी सरकार से जवाब मांगा है.
कोरोना वायरस की जांच मशीन न लगने पर कोर्ट ने चुटकी लेते हुए कहा कि छोटा सा मामला है लेकिन केंद्र सरकार को मशीन लगाने के लिए कमरा नहीं मिल रहा है. प्रयागराज के सीएमओ ने हलफनामा भी दाखिल किया है. कोर्ट ने सीएमओ से कोरोना जांच और रिपोर्ट देने ब्योरा मांगा था.
अधिवक्ता राम कौशिक और प्रियंका मीड्डा ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना की शिकायत की. कोर्ट ने अवमानना याचिका कायम करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा जो फोटोग्राफ पेश किए हैं उससे लगता है कि सारे रोडमैप, प्लान प्रयास कागजों में किए जा रहे है. अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को जानकारी दी कि सरकार पेन्डेमिक की रोकथाम के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. उन्होंने रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय भी मांगा है.
कोर्ट में हाई रिस्क के वकील के आने पर सुरक्षा ढील पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि वकील या वादकारी के धमकाने से सुरक्षा नियमों में ढील न दी जाए. मंगलवार 18 अगस्त को भी हाई कोर्ट में मामले की होगी सुनवाई होगी. जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की खंडपीठ ने ये आदेश दिया.
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