Prayagraj Railway Scam Story: संगम नगरी प्रयागराज में रेल महकमे में बड़ा फर्जीवाड़ा किये जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. आरोप है कि रेलवे के पार्सल विंग में कुछ साल पहले एक सौ पंद्रह ऐसे पोर्टरों यानी सामान ढोने वालों को नियमित तौर पर नौकरी दे दी गई, जो न तो इसके हक़दार थे और न ही उन्होंने रेलवे में कभी सामान उठाने का काम किया था. इतना ही नहीं, इनमे से कई ऐसे भी लोग हैं, जिनके नाम पर सैलरी तो रिलीज होती रही, लेकिन वह ड्यूटी पर कभी नज़र नहीं आए.
विजिलेंस जांच में भी इस फर्जीवाड़े की तस्दीक हुई है. इस मामले में रेलवे के कई बड़े अफसरों की गर्दन फंसती हुई नज़र आ रही है, लेकिन महकमा कोई कार्रवाई करने के बजाय ज़िम्मेदार लोगों को बचाने में लगा हुआ है. मामला अब हाईकोर्ट की दहलीज तक पहुंच गया है. हाईकोर्ट रेलवे से दो बार जवाब तलब कर चुका है, लेकिन रेलवे ने अभी तक इस मामले में अपना जवाब दाखिल नहीं किया है. रेलवे जवाब दाखिल करने के लिए बार-बार और वक़्त दिए जाने की मोहलत मांग रहा है. हाईकोर्ट में अगले हफ्ते फ़िर इस मामले की सुनवाई होगी.
दरअसल, रेलवे में पहले यह नियम था कि ट्रेनों में सामान चढ़ाने और उतारने वाले पोर्टरों को शुरुआत में दैनिक भत्ते पर रखा जाता था. जो भी कर्मचारी एक सौ बीस दिनों तक लगातार काम कर लेता था, उसे नियमित कर रेलवे का स्थाई कर्मचारी मान कर नियुक्ति दी जाती थी और कर्मचारियों को सभी सुविधाएं दी जाती थीं. यह फर्जीवाड़ा 25 साल पुराना है. आरोप है कि साल 1996 में प्रयागराज में रेलवे के तत्कालीन अफसरों ने अपने चहेतों-करीबियों व लाखों रूपये रिश्वत देने वाले एक सौ पंद्रह ऐसे लोगों को पोर्टर पद नियमित कर उन्हें रेलवे का नियमित कर्मचारी बना दिया, जिनका सामान ढोने या फिर रेल महकमे से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था. ज़ाहिर है कि इन करीबियों को फर्जी तरीके से नियमित किये जाने की वजह से 115 उन पोर्टरों के साथ नाइंसाफी हुई, जो इसके असल हकदार थे.
कई ज़िम्मेदार लोग अब नौकरी से रिटायर भी हो चुके हैं
मामला उस वक़्त भी उठा, लेकिन अफसरों ने हमेशा इसे दबा दिया. कुछ दिनों पहले इस मामले की शिकायत मंत्रालय से की गई. विजिलेंस जांच के आदेश हुए. जांच में आरोपों को सही भी पाया गया, लेकिन दोषी अफसरों के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई. हालांकि कई ज़िम्मेदार लोग अब नौकरी से रिटायर भी हो चुके हैं. यह मामला अब इलाहाबाद हाईकोर्ट लाया गया है. अदालत ने भी इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कई गंभीर टिप्पणियां की हैं और रेल महकमे से जवाब तलब कर लिया है. दो-तीन बार वक़्त लिए जाने के बावजूद रेलवे अभी तक अपना जवाब दाखिल नहीं कर सका है. याचिकाकर्ता की तरफ से इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किये जाने और हकदार लोगों के साथ इंसाफ किये जाने की मांग की गई है.
अगस्त के आख़िरी हफ्ते में फिर से सुनवाई करेगी अदालत
अदालत इस मामले अगस्त के आख़िरी हफ्ते में फिर से सुनवाई करेगी. याचिकाकर्ता के वकील सैयद अहमद नसीम के मुताबिक़ यह बड़ा फर्जीवाड़ा है. इस मामले में रेलवे को पहले ही कड़े कदम उठा लेने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. दूसरी तरफ़ रेल महकमे के अफ़सर अब मामला कोर्ट में होने की दुहाई देकर ज़्यादा कुछ बोलने से बच रहे हैं. नार्थ सेंट्रल रेलवे ज़ोन के सीपीआरओ डॉ शिवम शर्मा का कहना है कि रेलवे अब कोर्ट के सामने ही अपनी बात रखेगा.
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