Prayagraj Mahant Ashish Giri Death Case: अखाड़ा परिषद के दिवंगत अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत (Mahant Narednra Giri Death) के मामले में एक नया मोड़ आ गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि 22 महीने पहले निरंजनी अखाड़े (Niranjani Akahda) के तत्कालीन सचिव आशीष गिरि (Ashish Giri) की संदिग्ध मौत (Death) का मामला भी अब सीबीआई (CBI) जांच के दायरे में आ सकता है. सूत्रों के मुताबिक महंत आशीष गिरि की संदिग्ध मौत को लेकर जांच एजेंसी सीबीआई ने अब जानकारियां जुटानी भी शुरू कर दी हैं. दरअसल, सीबीआई की कस्टडी में पूछताछ के दौरान मुख्य आरोपी आनंद गिरि (Anand Giri) ने ही जांच एजेंसी को महंत आशीष गिरि की संदिग्ध मौत की जानकारी दी थी. आनंद गिरि ने सीबीआई अफसरों को आशीष गिरी की कथित खुदकुशी को हत्या (Murder) बताते हुए इस मामले को भी अपनी जांच के दायरे में लाने की अपील की है.
एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई
इसके साथ ही आनंद गिरि के वकील भी इस मामले को लेकर कोर्ट में अर्जी दाखिल करने की तैयारी में हैं. वकीलों ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस को तहरीर भी दी है. इस मामले में रसूखदार लोगों के दबाव के चलते प्रयागराज पुलिस ने अभी तक कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं की है. आनंद गिरि के वकील अब इस मामले में खुद ही एफआईआर दर्ज कराने की कवायद में हैं. गौरतलब है कि, निरंजनी अखाड़े के तत्कालीन सचिव व महंत आशीष गिरि 17 नवंबर साल 2019 को अखाड़े के अपने कमरे में संदिग्ध हालत में मृत पाए गए थे. शव के पास ही उनका लाइसेंसी रिवॉल्वर और 2 खोखे भी पड़े हुए थे. उस वक्त ये आशंका जताई गई थी कि महंत आशीष गिरि ने रिवॉल्वर से अपनी कनपटी में गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी.
लोगों ने जताई थी हत्या की आशंका
बीमारी की वजह से आत्महत्या करने का शक जताया गया था. अखाड़ा परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने दावा किया था कि शराब बहुत पीते थे, इसी वजह से अवसाद में रहते थे. शराब पीने की वजह से बीमारी के चलते ही उन्होने खुदकुशी की है. आशीष गिरि ने घटना से कुछ देर पहले ही महंत नरेंद्र गिरि से फोन पर लंबी बातचीत भी की थी और बाघम्बरी मठ आने की बात कही थी. घटना के वक्त आशीष गिरि के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था. शव के पास रिवॉल्वर के 2 खोखे मिलने से आत्महत्या को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे. सवाल ये था कि जब पहली गोली से ही आशीष गिरि की मौत हो गई तो दूसरा खोखा मौके पर कैसे आया, कहीं ये हत्या तो नहीं है. तमाम लोगों ने शव को देखने के बाद हत्या की आशंका जताई थी.
जांच एजेंसी की रडार पर आ सकते हैं पुलिस अफसर
प्रयागराज पुलिस ने इस मामले में एफआईआर तक दर्ज नहीं की थी. सिर्फ जीडी में तस्करा दर्ज कर शव का पोस्टमार्टम करा दिया था. पुलिस अफसरों की दलील थी कि कोई तहरीर नहीं मिलने की वजह से केस दर्ज नहीं किया गया. तकरीबन पौने दो साल का वक्त बीतने के बावजूद आशीष गिरि की कथित खुदकुशी में इस्तेमाल रिवॉल्वर की बैलिस्टिक जांच की रिपोर्ट भी अभी तक नहीं आई है. कहा जा सकता है कि सीबीआई अगर आशीष गिरि के मामले की भी तफ्तीश करती है तो प्रयागराज पुलिस के कई तत्कालीन अफसर जांच एजेंसी की रडार पर आ सकते हैं.
आनंद गिरि ने उठाए थे सवाल
आशीष गिरि निरंजनी अखाड़े के सचिव थे और अखाड़े व मठ के कामकाज में खासा दखल रखते थे. प्रयागराज में निरंजनी अखाड़े में महंत नरेंद्र गिरि के बाद वो नंबर 2 की हैसियत रखते थे. अखाड़े और मठ की कुछ जमीनों को लेकर उनका कुछ पदाधिकारियों से विवाद भी हुआ था. अखाड़े से जुड़े संतों ने इस विवाद की जानकारी भी प्रयागराज पुलिस को दी थी. इसके बावजूद प्रयागराज पुलिस ने इस मामले में मुकदमा तक दर्ज नहीं किया था. गुरु महंत नरेंद्र गिरि से विवाद होने के बाद मुख्य आरोपी स्वामी आनंद गिरि ने महंत आशीष गिरि की मौत को लेकर जोर-शोर से सवाल उठाए थे. आनंद गिरि की तरफ से कहा गया था कि आशीष गिरि की मौत खुदकुशी नहीं बल्कि हत्या है. इस मामले में पुलिस को एफआईआर दर्ज कर जांच की जानी चाहिए.
आनंद गिरि ने आशीष गिरि की संदिग्ध मौत का मामला उठाया
अखाड़े से निष्कासित किए जाने के बाद आनंद गिरि ने इसी साल 18 मई को 4 मिनट 24 सेकंड का वीडियो जारी करके भी आशीष गिरि की मौत पर सवाल उठाए थे. तमाम लोगों ने ये दावा किया था कि आशीष गिरि जैसा मजबूत इरादे वाला संत कभी खुदकुशी नहीं कर सकता. सीबीआई की पूछताछ में आनंद गिरि ने ही एक बार फिर से आशीष गिरि की संदिग्ध मौत का मामला उठाया है. आनंद गिरि के वकीलों का भी कहना है कि महज 22 महीने में पहले आशीष गिरि और उसके बाद महंत नरेंद्र गिरि के संदिग्ध हालत में खुदकुशी का कोई आपसी कनेक्शन हो सकता है. ऐसे में सीबीआई को आशीष गिरी की मौत को भी अपनी जांच के दायरे में लेना चाहिए और इस मामले में कड़े कदम उठाना चाहिए. दावा ये भी किया जा रहा है कि आशीष गिरि की संदिग्ध मौत की जांच के दौरान सीबीआई को महंत नरेंद्र गिरि की कथित खुदकुशी के भी कुछ क्लू मिल सकते हैं.
एफआईआर दर्ज करने के लिए प्रयागराज पुलिस को दी तहरीर
आनंद गिरि के वकील विजय द्विवेदी ने इस बारे में एफआईआर दर्ज करने के लिए प्रयागराज पुलिस को तहरीर भी दी है. उनका दावा है कि अगर पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया तो वो अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे, साथ ही सीबीआई अफसरों से मुलाकात कर उनसे आशीष गिरी की मौत को भी अपनी जांच के दायरे में लाने की अपील करेंगे. आशीष गिरि की मौत के मामले में एफआईआर दर्ज ना करना प्रयागराज पुलिस के लिए भी बड़ी मुसीबत का सबब बन सकता है. सूत्रों का दावा है कि आशीष गिरि की मौत की भी सीबीआई जांच हुई तो कई चेहरे बेनकाब हो सकते हैं. दोनों ही मामलों में कुछ सफेदपोशों व भगवाधारियों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है.
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