प्रयागराज, एबीपी गंगा। प्रयागराज की जिला अदालत ने समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक जवाहर पंडित मर्डर केस में सोमवार को दोषियों की सजा का एलान कर दिया है। अदालत ने इस मामले में करवरिया ब्रदर्स समेत चारों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही सभी पर अलग-अलग एक लाख 80 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया है।


अदालत ने करवरिया ब्रदर्स समेत जेल में बंद चारों आरोपियों को 31 अक्टूबर को आईपीसी की धारा - 147, 148, 149, 302, 307 और 7 सीएलए एक्ट के तहत दोषी करार दिया था। जिला अदालत में एडीजे 12 बद्री विशाल पांडेय की कोर्ट ने शाम करीब चार बजे फैसला सुनाया। फैसला सुनाए जाने के वक्त तीनों करवरिया ब्रदर्स समेत चारों दोषी कोर्ट रूम में मौजूद थे। कोर्ट रूम करीब घंटे भर पहले ही खचाखच भर गया था।


कोर्ट कैम्पस में करवरिया ब्रदर्स के सैकड़ों समर्थक भी मौजूद थे। इस दौरान कोर्ट कैम्पस से लेकर बाहर सड़क तक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए थे। वादी पक्ष की तरफ से दिवंगत विधायक जवाहर पंडित के परिवार का कोई भी सदस्य कोर्ट नहीं आया था। अदालत से सजा का एलान होने के बाद माहौल काफी भावुक हो गया।



सजा सुनाए जाने के बाद करवरिया ब्रदर्स ने फैसले पर सवाल उठाए और कहा कि अदालत ने मेरिट के बजाय प्रोफाइल पर फैसला दिया है। वह लोग इसे हाईकोर्ट में चुनौती देंगे और वहां उन्हें इंसाफ जरूर मिलेगा। करवरिया ब्रदर्स ने फिर से खुद को बेगुनाह बताया और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव पर साजिश रचने का आरोप लगाया।


23 साल पहले यूपी की सियासत में सनसनी मचाने वाले इस चर्चित मर्डर केस में अभियोजन की तरफ से 18 गवाह पेश किये गए थे, जबकि बचाव पक्ष की तरफ से 156। दोषी करार दिए गए प्रयागराज के तीनों करवरिया ब्रदर्स पिछले कई सालों से जेल में बंद हैं। आरोपी करवरिया ब्रदर्स में सबसे बड़े कपिल मुनि बीएसपी के पूर्व सांसद रहे हैं, जबकि मझले भाई उदयभान दो बार के विधायक और सबसे छोटे सूरजभान एमएलसी रह चुके हैं।


उदयभान करवरिया की पत्नी नीलम करवरिया मौजूदा समय में बीजेपी की विधायक हैं। दोषी करार दिया गया चौथा शख्स रामचंद्र त्रिपाठी भी करवरिया ब्रदर्स का करीबी रिश्तेदार है। इस मामले में हाईकोर्ट के निर्देश पर पिछले दो सालों से डे-टू-डे बेसिस पर सुनवाई चल रही थी। ट्रायल कोर्ट ने सभी पक्षों की गवाही पूरी होने के बाद इसी साल 18 अक्टूबर को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था।


इस चर्चित मामले में यूपी की योगी सरकार को पहले ही बड़ा झटका लग चुका है। योगी सरकार ने आरोपियों से केस वापस लेने का एलान किया था, लेकिन अदालत ने योगी सरकार के फैसले को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि ट्रिपल मर्डर केस में सुनवाई खत्म होने के वक्त केस वापस लिया जाना ठीक नहीं है।


अदालत के आज के फैसले से यह साफ हो गया है कि योगी सरकार द्वारा आरोपियों के केस वापस लेने का उसका फैसला गलत था। यूपी सरकार की तरफ से इस मामले में जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद अग्रहरि ने पूरा पक्ष रखा था, जबकि विजमा यादव की तरफ से लल्लन यादव ने दलीलें पेश की थीं। इस सनसनीखेज मुकदमे का ट्रायल साल 2014 में शुरू हुआ था।


गौरतलब है कि, इलाहाबाद की झूंसी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए जवाहर यादव उर्फ पंडित और उनके दो सहयोगियों को 13 अगस्त 1996 को इलाहाबाद के ही पॉश इलाके सिविल लाइंस में दिनदहाड़े कत्ल कर दिया गया था। जवाहर पंडित के परिवार वालों की शिकायत पर पुलिस ने इलाहाबाद के रसूखदार करवरिया परिवार के पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।


करवरिया परिवार के तीन सदस्य बाद में जनप्रतिनिधि चुने गए। सबसे बड़े भाई कपिल मुनि करवरिया साल 2009 में बीएसपी के टिकट पर फूलपुर के सांसद बने तो छोटे भाई उदयभान 2002 और 2007 में दो बार बीजेपी के टिकट पर इलाहाबाद की बारा सीट से विधायक चुने गए। मझले भाई सूरजभान करवरिया भी बीएसपी से यूपी विधान परिषद के सदस्य रहे।



विधायक जवाहर पंडित समेत ट्रिपल मर्डर केस की जांच पहले यूपी पुलिस ने की, बाद में तत्कालीन रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव के दखल पर जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गई। सीबीसीआईडी की जांच भी उसकी तीन यूनिटों इलाहाबाद, वाराणसी और लखनऊ ने की। सीबीसीआईडी की लखनऊ यूनिट ने आठ साल बाद जांच पूरी कर साल 2004 में जो चार्जशीट दाखिल की, उसमे करवरिया ब्रदर्स समेत सभी पांच नामजद आरोपियों के नाम शामिल थे। इस मामले में करवरिया ब्रदर्स पिछले करीब छह सालों से जेल में बंद हैं।