प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में होने जा रहे माघ मेले में तैनात होने वाले सिविल पुलिस के अलावा एटीएस, एसटीएफ, अर्धसैनिक बलों, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, बीडीडीएस, दमकलकर्मी और यातायात जैसे अन्य विंग के 5,000 से अधिक लोगों का ड्यूटी शुरू करने से पहले कोविड-19 परीक्षण होगा. प्रयागराज में अगले महीने 14 जनवरी से यह मेला लगेगा. आयोजन से जुड़े अफसरों से लेकर जन प्रतिनिधि तक मानते हैं कि कोरोना की महामारी के बीच इस तरह का आयोजन किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा.
जवानों का होगी एंटीजन और आरटी-पीसीआर टेस्ट
प्रयागराज रेंज के आईजी के.पी. सिंह ने कहा, "हम महीने भर चलने वाले माघ मेला में ड्यूटी करने के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों से आने वाले पुलिस कर्मियों के एंटीजन और आरटी-पीसीआर परीक्षण करेंगे. इस मेले में फतेहपुर, प्रतापगढ़, कौशाम्बी, महोबा, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट सहित विभिन्न जिलों के पुलिस बल को तैनात किया जा रहा है."
के.पी. सिंह ने कहा कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों से आने वाले पुलिसकर्मियों के एंटीजन और आरटी-पीसीआर परीक्षण वायरस के प्रसार की जांच करने में अधिकारियों की मदद करेंगे और पुलिस अधिकारी भी परीक्षण और इसके नतीजों पर कड़ी निगरानी रखेंगे.
भक्तों को साथ लानी होगी निगेटिव आरटी-पीसीआर रिपोर्ट
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने माघ मेला के दौरान गंगा नदी के तट पर 'कल्पवास' में रहने के इच्छुक भक्तों को पहले से ही मेला मैदान में प्रवेश करने के लिए निगेटिव आरटी-पीसीआर परीक्षण रिपोर्ट अपने साथ लाने के लिए कहा है. भक्तों को महीने भर यहां रहने के दौरान हर हफ्ते परीक्षण कराना होगा. माघ मेले के अन्य आगंतुकों का भी परीक्षण किया जाएगा.
110 सीसीटीवी सेट के नेटवर्क से होगी निगरानी
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हम मेले की महीने भर की अवधि के दौरान कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए सभी उपाय करेंगे. इस दौरान श्रद्धालुओं, तीर्थयात्रियों और कर्मचारियों को पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाएंगी. 110 सीसीटीवी सेट के नेटवर्क से मेला परिसर के कोने-कोने की कड़ी निगरानी की जाएगी. सभी प्रवेश और निकास द्वार पर मोबाइल पुलिस टीमें और पिकेट तैनात किए जाएंगे."
पिछले साल के मेले पर खर्च हुए थे 78 करोड़ रुपए
मेले के सभी सेक्टरों में अस्पताल और आइसोलेशन वार्ड बनाए जाएंगे. कोविड सुरक्षा को लेकर सरकारी अमले का पूरा फोकस कल्पवास करने यानी एक महीने तक स्थाई तौर पर रहने वाले संत महात्माओं और श्रद्धालुओं पर होगा. प्रमुख स्नान पर्वों पर आने वाले श्रद्धालुओं को जल्द से जल्द स्नान कराकर मेला क्षेत्र से वापस भेजने की तैयारी है. पिछले साल के मेले पर 78 करोड़ रुपए खर्च किये गए थे.
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