UP News: कुर्बानी का त्यौहार ईद-उल-अजहा यानी बकरीद 10 जुलाई को संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में भी अकीदत और एहतराम के साथ मनाई जाएगी. कोरोना के साए में गुजरे पिछले दो सालों के बाद यह पहला मौका है, जब बकरीद के त्यौहार पर किसी तरह की कोई बंदिश नहीं है. बाज़ार पूरी तरह खुले हुए हैं और मस्जिदों में भी लोग पूरी क्षमता के साथ नमाज़ पढ़ सकेंगे. बाज़ार इस बार खरीददारों की भीड़ से गुलज़ार हैं और लोग जमकर खरीददारी कर रहे हैं.


धर्मगुरुओं ने की शांति बनाए रखने की अपील


बकरों के दाम इस बार आसमान छू रहे हैं तो कपड़ों के बाजार में फिल्मों व सीरियल्स वाली ड्रेसेज की जमकर डिमांड है. इस बार कई किस्म की सिंवइयां बिक रही हैं. देश के मौजूदा हालात के मद्देनज़र धर्मगुरुओं ने लोगों से त्यौहार पर क़ानून का पालन करते हुए इसे शांतिपूर्वक ढंग से मनाने की अपील की है. नमाज़ को लेकर ईदगाह समेत दूसरी मस्जिदों में ख़ास तैयारियां की जा रही हैं. पिछले महीने हुई हिंसा के कारण प्रयागराज में इस बार सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहेंगे.


बकरों की कीमत में दो गुना बढ़ोतरी


प्रयागराज की बकरा मंडियों में हमेशा की तरह इस बार भी खासी रौनक है. बाजार में नए- नए किस्म के बकरे आए हुए हैं. इन बकरों को लोग काफी पसंद भी कर रहे हैं और इनकी जमकर बिक्री हो रही है. बाजार में इस साल 12 हजार से लेकर तीन लाख रुपये तक की कीमत के बकरे मौजूद हैं. खरीददारों का मानना है कि बकरों की कीमत दो सालों में करीब दो गुना तक बढ़ गई है. बकरों के साथ ही सिवई और कपड़ों के बाजार में भी महंगाई की आग लगी हुई है, लेकिन त्यौहार को लेकर की जाने वाली खरीददारी पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है. लोग महंगाई की मार से बेफिक्र होकर जमकर खरीददारी कर रहे हैं.


इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि बीते दो सालों में बकरीद का त्यौहार कोरोना की महामारी की वजह से सिर्फ रस्म अदायगी के तौर पर मनाया जा रहा था. बच्चे और महिलाएं कई जोड़े नई ड्रेस खरीद रही हैं. बाज़ार में इस बार फिल्मों और सीरियल्स वाली ड्रेसेज की ज़्यादा डिमांड है. इसी तरह सिंवइयों की कई वेराइटी इस बार बिक रही है.


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सुरक्षा के रहेंगे कड़े इंतजाम


कुर्बानी के लिए बताया गया है कि जिनके पास साढ़े सात तोला सोना अथवा 52 तोला चांदी हो, उन पर कुर्बानी फर्ज है. बकरीद पर कुर्बानी मुस्लिमों को त्याग के लिए प्रेरित करती है. यह त्योहार हजरत इब्राहिम और उनके बेटे हजरत इस्माइल की याद में मनाया जाता है. अल्लाह की ओर से हजरत इब्राहिम को ख्वाब में अपने बेटे को जिबह करने (कुर्बानी) का हुक्म मिला. हजरत इब्राहीम ने अपने बेटे के गले पर छुरी रखी तभी अल्लाह ने दुम्बा भेज दिया. इब्राहिम अल्लाह के इम्तिहान में पास हो गए. तभी से जानवरों की कुर्बानी शुरू हुई. नूपुर शर्मा विवाद, पत्थरबाजी की घटनाओं और उदयपुर व अमरावती में हुई टारगेट किलिंग की घटनाओं के मद्देनज़र इस बार बकरीद पर जहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहेंगे, वहीं मस्जिदों से भी कुर्बानी के वक़्त संयमित रहने और क़ानून का पूरी तरह से पालन करने की अपील की जा रही है.


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