प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में एबीपी की ख़बर का बड़ा असर हुआ है. यहां गंगा किनारे बहुत बड़ी संख्या में शवों को दफनाए जाने की वजह से अचानक पूरे देश में सुर्ख़ियों में आए श्रृंगवेरपुर घाट पर अब विद्युत शवदाह गृह बनाया जाएगा. यह विद्युत शवदाह गृह श्रृंगवेरपुर में पक्के घाट के ठीक बगल में बनाया जाएगा. सरकारी अमले ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है. इतना ही नहीं करीब पांच सौ वर्ग मीटर की जगह भी तय कर ली गई है. सरकार से मंजूरी मिलते ही इस पर काम भी शुरू हो जाएगा. उम्मीद जताई जा रही है कि कोई अड़चन नहीं आई तो अगले चार से पांच महीने में यह शवदाह गृह बनकर तैयार हो जाएगा.


इस विद्युत शवदाह गृह के बनने से शवों को गंगा की रेती पर दफ़न करने की परंपरा पर अंकुश लग सकेगा और मोक्षदायिनी व जीवन दायिनी कही जाने वाली गंगा को भी प्रदूषण से बचाया जा सकेगा. यह सारी कवायद खासकर इस वजह से की जा रही है ताकि गरीबी और आर्थिक तंगी की वजह से जो लोग शवों का दाह संस्कार नहीं कर पाते हैं, वह मजबूरी में कब्र बनाकर शवों को दफनाने के बजाय इस विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार कर सकेंगे.


श्रृंगवेरपुर का श्मशान घाट कब्रिस्तान में तब्दील होता नज़र आने लगा है


गरीबी और लाचारी की वजह से बड़ी संख्या में शवों को दफनाए जाने के मामले को एबीपी गंगा चैनल ने प्रमुखता से उठाया था. विद्युत शवदाह गृह का प्रस्ताव श्रृंगवेरपुर इलाके के लेखपाल अनिल कुमार पटेल ने तैयार कर जिला प्रशासन को सौंपा. प्रस्ताव में यही दलील दी गई कि विद्युत शवदाह गृह बनने पर लोगों को अंतिम संस्कार करने में सहूलियत होगी. इससे न सिर्फ अंतिम संस्कार का खर्च बहुत कम हो जाएगा, बल्कि ज़्यादा समय भी नहीं लगेगा. इतना ही नहीं गंगा के किनारे पर गंदगी और प्रदूषण से भी बचा जा सकेगा. स्थानीय लोगों ने भी इसे लेकर मांग की थी.


श्रृंगवेरपुर धाम का धार्मिक महत्व होने की वजह से यहां सिर्फ प्रयागराज ही नहीं बल्कि प्रतापगढ़-अमेठी-रायबरेली और सुल्तानपुर समेत आस पास के कई जिलों से लोग अंतिम संस्कार के लिए आते हैं. कोरोना काल में बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने आर्थिक समस्या की वजह से शवों का दाह संस्कार करने के बजाय उन्हें गंगा किनारे दफना दिया था. बड़ी संख्या में शवों को दफनाए जाने की वजह से श्रृंगवेरपुर का श्मशान घाट कब्रिस्तान में तब्दील होता नज़र आने लगा है.


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