प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में भगवान भोलेनाथ का एक ऐसा अनूठा मंदिर हैं, जहां वह न्यायाधीश के रूप में विराजमान होकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं और उनके कर्मों पर निर्णय व न्याय करते हैं. भोलेबाबा का यह अनूठा मंदिर शिव कचहरी के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में एक - दो नहीं, बल्कि 288 शिवलिंग हैं. इनमे एक शिवलिंग मुख्य न्यायाधीश के रूप में हैं तो बाकी दूसरे जजेज़ और वकील के रूप में हैं. शिव कचहरी मंदिर में भोलेबाबा के भक्त जाने-अनजाने में हुई गल्तियों की माफी मांगने व उसका प्रायश्चित करने के लिए आते हैं. कोई चिट्ठी लिखकर अर्जी लगाता है तो कोई शब्दों के ज़रिये. कोई कान पकड़कर अपनी गलती के लिए क्षमा मांगता है तो कोई उठक-बैठक कर.


भोलेनाथ के आगे करते हैं उठक-बैठक
कुंभ नगरी प्रयागराज में संगम के नजदीक गंगा नदी के तट पर स्थित है शिव कचहरी मंदिर. इस तरह की तस्वीरें आपको हैरान कर सकती हैं, लेकिन ये नज़ारा यहां आम तौर पूरे दिन ही देखने को मिलता है. यहां भोले भंडारी के दरबार में उनके भक्त अपनी गलतियों की माफी मांगने और उसका प्रायश्चित करने के लिए आते हैं. कोई चिट्ठी लिखकर अपनी अर्जी छोड़ जाता है तो कोई यहां स्थित शिवलिंगों से सटकर धीमी आवाज़ में शब्दों के ज़रिये अपनी हाजिरी लगाता है. तमाम भक्त इसी तरह कान पकड़कर जाने -अनजाने में हुए पापों से मुक्ति पाने की गुहार लगाते हैं तो बहुतेरे लोग भोले बाबा के सामने कान पकड़कर उठक - बैठक करने में भी नहीं हिचकते. कोई अपने कान पकड़कर पांच बार उठक -बैठक करता है तो कोई सात-ग्यारह या इक्कीस बार.



न्यायाधीश के रूप में होते हैं शिव


दरअसल मान्यता है कि शिव कचहरी मंदिर भोले भंडारी की अदालत होती है और यहां वह खुद न्यायाधीश यानी जज के रूप में विराजमान हैं. भोलेनाथ इस अनूठी कचहरी में जज के रूप में ज़रूर रहते हैं, लेकिन वह भगवान हैं और दयालु भी हैं, लिहाजा गलती मान लेने वाले और उसका प्रयाश्चित करने वाले अपने भक्तों को न सिर्फ माफ़ कर देते हैं, बल्कि उन पर अपनी कृपा बरसाते हुए उनका कल्याण भी करते हैं. भक्तों को इसका विश्वास भी रहता है और इसीलिये वह पूरी आस्था के साथ शिव कचहरी मंदिर में अपनी गलतियों की माफी और भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं. इसी वजह से कान पकड़कर माफी मांगते, शिवलिंगों से सटकर शब्दों के ज़रिये हाजिरी व अर्जी लगाने और कान पकड़कर उठक -बैठक करने की तस्वीरें इस अनूठे शिव मंदिर में पूरे दिन ही देखने को मिलती रहती हैं. यहां आने वाले भक्तों का यही मानना है कि शिव कचहरी में आकर जाने -अंजाने में हुई गलतियों की माफी मांगने से न सिर्फ मन में बसा अपराध बोध ख़त्म हो जाता है, बल्कि बाबा भोलेनाथ की कृपा भी बरसनी शुरू हो जाती है.


मंदिर में हैं 288 शिवलिंग


मान्यता है कि शिव कचहरी बेहद प्रचीन मंदिर है, लेकिन तकरीबन डेढ़ सौ साल पहले इसे अदालत का स्वरुप देकर शिव कचहरी नाम दिया गया. इस अनूठे मंदिर में दो सौ अठासी शिवलिंग है. मंदिर परिसर में थोड़ी ऊंचाई पर अलग स्वरुप में मौजूद शिवलिंग भगवान भोलेनाथ को मुख्य न्यायाधीश के रूप में प्रदर्शित करता है, जबकि बाकी शिवलिंग दूसरे जजेज और वकील के तौर पर विराजमान हैं. न्यायाधीश व वकीलों के रूप में मौजूद शिवलिंग बिल्कुल उसी स्वरुप में स्थित हैं, जैसा आमतौर पर अदालतों में देखने को मिलता है. मान्यता यह भी है कि भगवान शिव यहां लोगों को उनके कर्मों के मुताबिक़ पुरस्कार व सज़ा देते हैं. उनसे जुड़े मामलों में अपना फैसला सुनाते हैं और इंसाफ करते हैं. वह कल्याणकारी और दयालु भी हैं, इसलिए अलग -अलग तरीकों से माफी मांगने व गलतियों का प्रायश्चित करने वालों का कल्याण करते हैं और साथ ही उन पर कृपा भी बरसाते हैं.



वैसे तो शिव कचहरी मंदिर में रोज़ाना सैकड़ों की तादात में श्रद्धालु न्यायाधीश के रूप में विराजमान भोलेबाबा के दर्शन व पूजा -अर्चना के लिए आते हैं, लेकिन यहां सावन महीने में ख़ास आयोजन होते हैं. पूरे सावन महीने यहां मेला लगता है तो भोलेबाबा के इस सबसे प्रिय महीने में उनके भक्तों की भीड़ से शिव कचहरी गुलजार रहती है. मंदिर में भगवान विष्णु की भी एक मूर्ति रखी हुई है. शिव कचहरी मंदिर के पुजारी पंडित शंभूनाथ दुबे के मुताबिक़ भगवान शिव यहां निर्णय व न्याय तो करते ही हैं, साथ ही भक्तों को इच्छित फल देते हुए उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति भी करते हैं.


कहा जाता है कि मनुष्य को अपने जीवन में किये गए पुण्य व अच्छे कर्मों का फल तभी हासिल होता है, जब वह जाने -अंजाने में हुए पापों का प्रायश्चित कर चुका होता है. इसी विश्वास के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिव कचहरी मंदिर आते हैं और यहां अपनी गलतियों की माफी मांगने के बाद भगवान शिव से अपने लिए न्याय व कल्याण की प्रार्थना करते हैं. इस मंदिर का संबंध नेपाल के राजघराने से भी है.


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