प्रयागराज: बैंक फ्रॉड करने वाले गिरोह की सच्चाई जानकर हैरान रह जाएंगे आप, NIA जैसी एजेंसी गठित करने की मांग
प्रयागराज पुलिस ने बैंक फ्रॉड करने वाले बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है. गिरोह के लोग इतने शातिर हैं कि वो सीधे तौर सामने आने के बजाय परदे के पीछे से ही काम करते थे.
प्रयागराज: प्रयागराज पुलिस ने ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसमें एजेंट समेत 100 से ज्यादा शातिर लोग शामिल होकर ठगी के गोरखधंधे को अंजाम दे रहे थे. इस गिरोह के लोग बैंक अफसर बनकर लोगों को फोन करते थे और धोखे से उनका ओटीपी हासिल करने के बाद उनके बैंक अकाउंट से लाखों रुपये की रकम हड़प लेते थे. गिरोह का नेटवर्क देश के कई राज्यों में फैला हुआ था. गिरोह के तकरीबन 40 सदस्य अकेले बिहार के जमुई जिले के एक कस्बे के रहने वाले हैं.
हड़प लेते थे रकम गिरोह के लोग इतने शातिर हैं कि वो सीधे तौर सामने आने के बजाय परदे के पीछे से ही काम करते थे. बेरोजगार और परेशान लोगों के नाम से सिमकार्ड खरीदते थे. अलग-अलग बैंकों में उनके नाम से पांच-सात से लेकर दस-बारह अकाउंट खुलवाते थे. ठगी के पैसे उन्हीं के अकाउंट में ट्रांसफर कराते थे और उनके एटीएम और क्रेडिट कार्ड का खुद इस्तेमाल कर ठगी की रकम को हड़प लेते थे.
एक आरोपी गिरफ्तार प्रयागराज पुलिस के साइबर क्राइम सेल ने गिरोह के नेटवर्क का पता लगाते हुए एक आरोपी को तो गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन गिरोह पर शिकंजा कसने और पूरे मामले के पर्दाफाश के लिए नेशनल लेवल पर एनआईए की तर्ज पर कोई एजेंसी गठित किए जाने की सिफारिश की गई है. प्रयागराज रेंज के आईजी केपी सिंह ने इस स्पेशल एजेंसी के लिए यूपी सरकार के जरिए केंद्र से सिफारिश की है. इस रैकेट में बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत की भी आशंका है. आशंका है कि बैंक के कर्मचारी पैसों की लालच में अपने ग्राहकों का डाटा और दूसरी गोपनीय जानकारियां ऐसे लोगों को मुहैया कराते हैं. इसी डाटा से गिरोह के लोग ग्राहकों को अपना शिकार बनाकर उनकी जीवन भर की कमाई पर चुटकी बजाते डाका डाल देते हैं.
बैंक मैनेजर बनकर किया फोन प्रयागराज रेंज की शिकायतों के निपटारे के लिए साइबर क्राइम थाने में पहली शिकायत दो हफ्ते पहले शहर के सिविल लाइंस इलाके की रहने वाली हर्ष तलूजा नाम की महिला ने ऑनलाइन ठगी के जरिये अपने बैंक अकाउंट से 10 लाख रुपये का फ्रॉड किए जाने की शिकायत दर्ज कराई थी. फ्रॉड करने वालों ने उन्हें बैंक मैनेजर बनकर फोन किया था. शातिरों ने KYC अपडेट न होने से खाता बंद करने की धमकी दी और फौरन OTP भेजने को कहा. शातिरों ने उन्हें अकाउंट बंद होने का डर दिखाकर पांच बार ओटीपी मांगी और हर बार दो -दो लाख रूपये दूसरे एकाउंट में ट्रांसफर कर लिए. जिस बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए गए वो बिहार के जमुई जिले में आपरेट हो रहा था.बिहार से जुड़े तार प्रयागराज पुलिस की साइबर क्राइम टीम ने बिहार के जमुई जिले में छापेमारी कर अकाउंट होल्डर रुपेश सिंह को गिरफ्तार कर लिया. रुपेश ने बताया कि जमुई जिले के सोनो थानक्षेत्र के झुंडो कस्बे के तमाम लोग मिलकर एक गैंग चलाते हैं. उसके मुताबिक गैंग में तकरीबन 40 सक्रिय सदस्य हैं. यही सदस्य किसी माध्यम से लोगों के बैंक अकाउंट की डिटेल्स हासिल करते हैं. कई बार नेट बैंकिंग और दूसरे माध्यमों से अकाउंट को हैक कर लिया जाता है और कई बार डेबिट कार्ड का क्लोन तैयार कर लोगों से संपर्क साधा जाता है. उसने जानकारी दी कि वो इस गैंग में एजेंट के तौर पर काम करता है. उसके जैसे 70 से 80 लोग एजेंट बनकर गैंग के लिए काम करते हैं. इनका काम सिर्फ अलग-अलग बैंकों में अपना अकाउंट खुलवाना होता है. ये अकाउंट अपने नाम से खुलवाते हैं लेकिन डेबिट कार्ड के जरिये इन्हें ऑपरेट दूसरे लोग करते हैं.
24 घंटों में निकाल लिया गया पैसा गिरोह के मास्टरमाइंड फ्रॉड के पैसे अपने बजाय सीधे इनके अकाउंट में ट्रांसफर करते हैं. इनके अकाउंट में पैसे इसलिए ट्रांसफर किए जाते हैं ताकि गिरोह के लोग सीधे पुलिस की गिरफ्त में न आ सकें. प्रयागराज से ट्रांसफर हुए 10 लाख रुपये के मामले में भी ऐसा हुआ. इसे अलग-अलग राज्यों में बैठे लोगों ने अगले 24 घंटों में निकाल लिया था. अकाउंट में सिर्फ 35 हजार रुपये ही बचे थे. गिरोह के सदस्यों और एजेंटों को जंगलों में ट्रेनिंग दी जाती थी. ट्रेनिंग देने वाले नक्सली नजर आते हैं.
एजेंटों को मिलता है कमीशन प्रयागराज पुलिस गिरफ्तार किए गए रुपेश को ट्रांजिट रिमांड पर ले आई है. पुलिस की साइबर क्राइम टीम अब रुपेश के सहारे गिरोह के नेटवर्क का पता लगाने की कोशिश में है. गिरफ्तार रुपेश का दावा है कि लॉकडाउन में बेरोजगार होने के बाद गिरोह के एजेंट के तौर पर जुड़ा था. उसके मुताबिक उसके अकाउंट में अब तक 7 से 8 ट्रांजेक्शन हो चुके हैं. एजेंटों को सिर्फ कमीशन मिलता है.
एनआईए की तर्ज एजेंसी गठित किए जाने की जरूरत प्रयागराज रेंज के आईजी कवीन्द्र प्रताप सिंह के मुताबिक ऐसे गिरोह के पूरे नेटवर्क का पता लगाने के लिए नेशनल लेवल पर एनआईए की तर्ज पर कोई एजेंसी गठित किए जाने की जरूरत है, वर्ना ऐसे मामलों पर पूरी तरह अंकुश लगा पाना बेहद मुश्किल होगा. उन्होंने बैंकों की भूमिका की भी जांच कराए जाने और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की प्रक्रिया को थोड़ा जटिल किए जाने की भी वकालत की है. पुलिस मुख्यालय के जरिए उन्होंने एक सिफारिश भी केंद्र और यूपी सरकार को भेजी है.
यह भी पढ़ें: