Ganga River Water Level: देश के कई हिस्सों में हो रही बारिश के चलते संगम नगरी प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर लगातार तेजी से बढ़ रहा है. यहां दोनों नदियां एक बार फिर से उफान पर हैं. नदियों का जलस्तर बढ़ने से संगम जाने वाले रास्ते बाढ़ के पानी में डूब गए हैं. तटीय इलाकों की कई रिहाइशी बस्तियों में भी बाढ़ का पानी घुसने लगा है. नदियों में नावों के संचालक पर रोक लगा दी गई है, निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को हालात पर नजर रखने और खतरा बढ़ने पर सुरक्षित जगहों पर जाने की एडवाइजरी जारी की गई है.


प्रयागराज में बीते चौबीस घंटे में गंगा नदी का जलस्तर 331 सेंटीमीटर बढ़ा है, जबकि यमुना नदी के जलस्तर में 94 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी हुई है. गंगा नदी का जलस्तर 83.86 मीटर पर पहुंच गया है, जबकि यमुना नदी का जलस्तर बढ़कर 83.61 मीटर पर पहुंचा है. दोनों नदियां अभी डेंजर लेवल से लगभग एक मीटर नीचे बह रही हैं. अगर इसी तरह जलस्तर बढ़ता रहा तो दोनों नदियां सोमवार को खतरे के निशान को भी पार कर सकती हैं.


चार सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही है यमुना नदी
जबकि गंगा नदी ग्यारह सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही है. गंगा और यमुना का पानी संगम किनारे स्थित लेटे हुए हनुमान जी के मंदिर समेत नदियों के किनारे के कई मठ मंदिरों और आश्रमों में प्रवेश कर गया है. कई सालों बाद यह मौका आया है, जब प्रयागराज में गंगा का पानी दूसरी बार हनुमान मंदिर में दाखिल हुआ है. प्रयागराज के दारागंज, सलोरी, बघाड़ा, राजापुर, बेली समेत कई दूसरे रिहाइशी इलाकों की बस्तियों और गलियों में बाढ़ का पानी घुस गया है. निचली मंजिल पर रहने वाले लोग अब सामानों को समेटने लगे हैं.


गंगा और यमुना नदियों में आई बाढ़ को लेकर प्रशासन ने एक बार फिर से अलर्ट जारी किया है. नावों के संचालक पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. सिंचाई विभाग के कंट्रोल रूम से 24 घंटे निगरानी की जा रही है. संगम तट पर एसडीआरएफ, जल पुलिस और पीएसी के गोताखोरो को तैनात किया गया है.


संगम नगरी प्रयागराज में चार महीने बाद महाकुंभ का आयोजन होना है. नदियों का जलस्तर बढ़ने से महाकुंभ की तैयारियां प्रभावित हो रही हैं. महाकुंभ के काम रोकने पड़े हैं. सरकारी अमला अब बाढ़ खत्म होने का इंतजार कर रहा है. वैसे राहत की बात सिर्फ इतनी है कि आज शाम से नदियों के बढ़ने की रफ्तार कम होने की उम्मीद जताई जा रही है. अगर ऐसा होता है तो संगम नगरी के लोगों को बाढ़ की विभीषिका का सामना नहीं करना पड़ेगा.


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