प्रयागराज। यूपी में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपना लिया है. कोर्ट ने एक तरफ जहां केंद्र सरकार से कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के बारे में जानकारी मांगी है तो वहीं दूसरी तरफ मास्क की खराब क्वालिटी पर भी नाराज़गी जताई है. कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और आईसीएमआर से जवाब तलब किया है.


कोर्ट ने इसके साथ ही यूपी में तमाम पुलिसवालों और दूसरे सरकारी कर्मचारियों के मास्क न पहने जाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किये जाने पर गहरी नाराज़गी जताई है. कोर्ट ने सरकार और अफसरों से पूछा है कि जिन पर कोविड की गाइड लाइन का पालन कराने की ज़िम्मेदारी है, अगर वही लापरवाही बरतेंगे तो कोरोना की महामारी कैसे काबू में आ सकेगी.

अदालत ने सभी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए सिर्फ दो दिनों की मोहलत दी है. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच इस मामले में तीस सितम्बर को दोपहर दो बजे से फिर से सुनवाई करेगी. यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा एवं न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने कोरोना से जुड़ी जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

सरकार से पूछे सवाल
मामले की सुनवाई कर रही हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा है कि कोरोना के इलाज की वैक्सीन का परीक्षण किस तरह किया जा रहा है और अंतिम परीक्षण कितने समय में पूरा कर लिया जाएगा. कोर्ट ने केंद्र के वकील से घटिया किस्म के मास्क की खरीद के मुद्दे पर जवाब देने को कहा है और साथ ही मास्क की गुणवत्ता पर आईसीएमआर से भी जानकारी मांगी है.

पुलिस पर भी दिखाई नाराजगी
कोर्ट ने कहा कि देश में तीन माह तक लॉकडाउन का सफलतापूर्वक पालन कराने वाली पुलिस अब मास्क पहनने और सोशल डिस्टेन्सिंग के नियम को कड़ाई से लागू नहीं करा पा रही है. अक्सर देखा जा रहा है कि थाने के बाहर और सड़कों पर पुलिस वाले खुद ही बिना मास्क पहने घूमते रहते हैं. जब से जिलों में टास्क फोर्स गठित की गई, पुलिस के बाकी लोग गाइडलाइन का पालन कराने में पहले जैसी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. लगता है कि सिविल पुलिस ने सोच लिया है कि अब टास्क फोर्स ही कोरोना की गाइडलाइन का पालन कराए. कोर्ट ने कहा कि पुलिस गश्त जारी रखे और मास्क व सोशल डिस्टेन्सिंग को कड़ाई से लागू कराए.

मास्क पहनना हो अनिवार्य
कोर्ट ने वकीलों के सुझावों का उल्लेख करते हुए राज्य सरकार को उन्हें अमल में लाने पर विचार करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने सुझाव दिया है कि पुलिस और सरकारी कर्मचारियों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य हो, क्योंकि खुद मास्क पहनकर न आने वाले दूसरों को कैसे मास्क पहनने को कह सकते हैं. सभी विभागों के मुखिया अपने यहां सेनेटाइजेशन कराएं और मास्क और सोशल डिस्टेन्सिंग को कड़ाई से लागू करें.

कड़ाई से हो नियमों का पालन
कोर्ट ने कहा कि जिन देशों में मास्क पहनकर सोशल डिस्टेन्सिंग को कड़ाई से लागू किया गया है. उन देशों में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार घट रही है. हर नागरिक को अधिकार हो कि कोई बिना मास्क दिखे तो टोल फ्री नंबर पर फोन कर शिकायत कर सके. सुनवाई के दौरान इस पीठ का सहयोग कर रहे वकीलों ने कई सुझाव दिए. उन्होंने अदालत को सुझाव दिए कि जनता लॉकडाउन खुलने के दिशानिर्देशों का उचित ढंग से पालन करे और सड़क किनारे ठेले एवं रेस्तरां आदि से लोगों को खानपान से रोकने के लिए प्रत्येक जिले में पुलिस गश्त लगाए.

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