Prayagraj News: संगम नगरी प्रयागराज में डेंगू मरीज को प्लेटलेट्स की जगह मौसंबी का जूस चढ़ाए जाने के आरोप में घिरे ग्लोबल हॉस्पिटल पर कानून का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. प्रयागराज के इस प्राइवेट अस्पताल को स्वास्थ्य विभाग ने शुरुआती जांच के बाद ही सील कर दिया था. अब प्राधिकरण ने अस्पताल की बिल्डिंग को अवैध बताते हुए इसे जमींदोज किए जाने का नोटिस जारी कर दिया है. इसको लेकर अल्टीमेटम का नोटिस भी चस्पा कर दिया गया है.


प्रयागराज विकास प्राधिकरण के अफसरों का कहना है कि जांच में यह साफ हुआ है कि आरोपी ग्लोबल हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर जिस बिल्डिंग में चल रहा था, वह अवैध है. निर्माण से पहले प्रयागराज विकास प्राधिकरण से ना तो मंजूरी ली गई थी और ना ही उसका नक्शा पास कराया गया था. विकास प्राधिकरण के ओएसडी अभिनव रंजन के मुताबिक, आरोपी ग्लोबल हॉस्पिटल को जवाब दाखिल करने के लिए 3 दिन की मोहलत दी गई है. अगर बिल्डिंग मालिक ने 3 दिन में संतोषजनक जवाब नहीं दिया, तो नियमानुसार बिल्डिंग को ध्वस्त कर दिया जाएगा. 


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मौसंबी जूस मामले से जुड़ा एक गिरोह भी पकड़ा गया
गौरतलब है ग्लोबल हॉस्पिटल किराए की बिल्डिंग में चलता था. यह हॉस्पिटल प्रयागराज के झलवा इलाके में एयरपोर्ट के नजदीक बना हुआ है. प्रयागराज पुलिस ने इस मामले से जुड़े हुए एक गिरोह का भी पर्दाफाश 21 अक्टूबर को किया था. गिरोह के 10 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. हालांकि, अफसरों ने गिरोह का पर्दाफाश करने के लिए बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि डेंगू मरीजों को प्लेटलेट्स की जगह मौसंबी का जूस नहीं बल्कि प्लाज्मा चढ़ाया जाता था. 


मिलावटी प्लेटलेट्स को टेस्टिंग के लिए लैब भेजा गया
अफसरों ने जानकारी दी थी कि गिरोह के लोग अस्पतालों के ब्लड बैंकों से किसी तरह प्लाज्मा हासिल कर लेते थे और इसे सीरिंज के जरिए निकालकर अलग-अलग पैकेट्स में भरने के बाद इसे प्लेटलेट्स बता कर महंगे दामों पर बेच देते थे. सीरिंज से निकाले जाने के दौरान कई बार प्लाज्मा संक्रमित हो जाता था और इसी वजह से मरीजों की तबीयत बिगड़ जाती थी. ग्लोबल हॉस्पिटल में प्रदीप पाण्डेय नाम के जिस मरीज को नकली या मिलावटी प्लेटलेट्स चढ़ाई गई थीं, इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई थी. प्रशासन ने मरीज के परिजनों और गिरोह के पास से मिले कथित रूप से नकली या मिलावटी प्लेटलेट्स को लैब भेज दिया है. लैब की रिपोर्ट आने के बाद ही यह साफ हो सकेगा कि डेंगू के मरीजों को गिरोह द्वारा दिया जाने वाला प्लेटलेट्स थीं, प्लाज्मा था या फिर मौसंबी जूस.