Prayagraj Magh Mela 2023: प्रयागराज में संगम तट पर लगने वाले दुनिया के सबसे बड़े सालाना धार्मिक मेले 'माघ मेले' की शुरुआत आज पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ हो गई है. इस मौके पर संगम में आस्था की डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा पड़ा. कडाके की ठंड, घने कोहरे और कहर बरपाती बर्फीली हवाएं भी श्रद्धालुओं की आस्था नहीं डिगा पाईं. मेले के लिए संगम की रेती पर अलग से तम्बुओं का शहर बसाया गया है. साथ ही इस बार सुरक्षा के बेहद ख़ास इंतज़ाम भी किये गए हैं.
योगी सरकार इस बार के मेले को 2025 में लगने वाले महाकुंभ की तैयारियों की रिहर्सल के तौर पर आयोजित कर रही है. इसके मद्देनजर कई खास इंतजाम किए गए हैं. मेले में आने वाले श्रद्धालु योगी सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं की जमकर तारीफ कर रहे हैं. डेढ़ महीने तक चलने वाले आस्था के इस मेले में 5 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. कोरोना के साये में हो रहे आस्था के इस माघ मेले में सौ कोविड हेल्प डेस्क बनाई गई हैं. श्रद्धालुओं को मुफ्त मास्क बांटे जा रहे हैं और थर्मल स्क्रीनिंग भी की जा रही है. पीएम मोदी और सीएम योगी की तरफ से श्रद्धालुओं का स्वागत करती होर्डिंग्स भी लगाई गई हैं. इस बार के माघ मेले की थीम स्वच्छ मेला और सुरक्षित मेला है.
कड़ाके की ठंड में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
कड़ाके की सर्दी के बावजूद प्रयागराज के संगम तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है. हर कोई माघ मेले के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा पर आस्था की एक डुबकी लगाने के लिए उतावला दिखा. श्रद्धालुओं में आस्था की ऐसी बयार बह रही है, जिसमें लोग पुण्य काल के महत्व और मुहूर्त को भूलकर गंगा में डुबकी लगाकर उसकी उपासना कर रहे हैं. मान्यताओं के मुताबिक़ प्रयाग के माघ मेले में पौष पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए सभी तैंतीस करोड़ देवी-देवता भी अदृश्य रूप में यहां पर आते हैं, इसलिये देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती की पावन धारा में डुबकी लगाकर दान-उपासना दूसरे संस्कारों के जरिये पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं.
आज से एक महीने का कल्पवास भी शुरू
पौष पूर्णिमा के साथ ही संगम पर लगने वाला एक महीने का कल्पवास भी आज से ही शुरू हो गया है. पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालु आज से एक महीने तक मेले में गंगा किनारे संयमित जीवन बिताकर पूजा-आराधना करेंगे. मान्यताओं के मुताबिक़ संगम पर कल्पवास करने वालों को न सिर्फ अपार पुण्य हासिल होता है, बल्कि उन्हें जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष प्राप्त होता है. दुनिया के इस सबसे बड़े सालाना धार्मिक आयोजन में एक महीने तक कई शंकराचार्यों समेत देश भर के साधू-संत यहां भक्ति-ज्ञान और आध्यात्म की गंगा बहाएंगे. साथ ही छह प्रमुख स्नान पर्वों पर पांच करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए आएंगे.
संगम की रेती पर बसा तंबुओं का शहर
करीब 650 हेक्टेयर में बसे माघ मेले के लिए संगम की रेती पर तम्बुओं का अलग शहर बसाया गया है. यहां लोहे की सड़कें बनाई गई हैं, तो पीपे के पांच पांटून पुल भी तैयार किए गए हैं. दूसरे शहरों की तरह यहां सभी सरकारी विभागों के दफ्तर खोले गए हैं. मेले में तेरह पुलिस स्टेशन और तीन दर्जन के करीब पुलिस चौकियां बनाई गई हैं. पुलों, स्नान घाटों और इंट्री प्वाइंट समेत सभी प्रमुख जगहों की सुरक्षा इस बार भी ATS के कमांडोज़ के ज़िम्मे हैं, तो वहीं हवाई निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे का भी इस्तेमाल किया जाएगा.
सुरक्षा के किए गए खास इंतजाम
छह सेक्टरों में बंटे माघ मेले में व्यवस्था और सुरक्षा के लिए दस हजार से ज्यादा कर्मचारी और जवान लगाए गए हैं. योगी सरकार इस बार के माघ मेले को कुंभ की तर्ज पर बताकर इंतजाम किये जाने का दावा कर रही है. मेले में पहले दिन आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि उन्होंने इतनी बेहतरीन व्यवस्था है इससे पहले कभी नहीं देखी. श्रद्धालु सीएम योगी और उनकी सरकार का आभार जताते नजर आए.
आज से शुरू हुआ ये माघ मेला महाशिवरात्रि तक चलेगा. मेले में इस बार संत सम्मेलन और वीएचपी की धर्म संसद का भी आयोजन होगा, जिसमें लव जेहाद, गंगा प्रदूषण और धर्मांतरण समेत कई प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.
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