Naga Sadhu Facts: नागा शब्द जिसका अर्थ ही नग्न होता है. नागा साधुओं को देखकर आपके मन में भी सवाल आता होगा कि आखिर ये लोग कैसे नग्न अवस्था में रह लेते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इसके पीछे भी एक कारण छिपा हुआ है. आमतौर पर साधु-संत लाल, पीला या केसरिया रंगों के वस्त्रों में नजर आते हैं, लेकिन नागा साधु कभी भी कपड़े नहीं पहनते हैं. वे अपने शरीर पर धुनी या भस्म लपेटकर घूमते हैं. चाहे कितनी भी कपकपाती ठंड़ क्यों न हो, लेकिन मजाल है अगर ये अपने शरीर पर वस्त्र धारण कर लें. इसके अलावा हम आपको नागा साधुओं के बारे में वो 13 विचित्र जानकारियां बताते हैं जो कम लोग जानते हैं.


नागा साधुओं के बारे में 13 विचित्र जानकारियां



  • क्यों रहते हैं निर्वस्त्र?- नागा साधु प्रकृति और प्राकृतिक अवस्था को महत्व देते हैं. इसलिए वो वस्त्र धारण नहीं करते हैं. इसके अलावा नागा साधुओं का मानना है कि इंसान निर्वस्त्र जन्म लेता है और इसी वजह से नागा साधु हमेशा निर्वस्त्र रहते हैं. नागा साधु अपने शरीर पर भस्म और जटा जूट भी धारण करते हैं.

  • क्या नागा साधुओं को नहीं लगती ठंड़?- नागा साधुओं के ठंड न लगने के पीछे एक बहुत बड़ी वजह है और वह है योग. दरअसल, नागा साधु तीन प्रकार के योग करते हैं, जो ठंड से निपटने में उनके लिए मददगार साबित होते हैं. इसी तरह अपने खान-पान पर भी काफी संयम रखते है. इनका मानना है कि इंसान का शरीर जिस माहौल में ढालेंगे उसी अनुसार ढल जाएगा.

  • कहां रहते हैं?- नागा साधुओं का कोई विशेष स्थान या मकान भी नहीं होता. ये कुटिया बनाकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं. सोने के लिए भी ये किसी बिस्तर का इस्तेमाल नहीं करते हैं बल्कि केवल जमीन पर ही सोते हैं.

  • क्या खाते हैं?- नागा साधु एक दिन में 7 घरों से भिक्षा मांग सकते हैं. यदि इन घरों से भिक्षा मिली तो ठीक वरना इन्हें भूखा ही रहना पड़ता है. ये पूरे दिन में केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करते हैं.

  • कितने साल में बनते हैं नागा साधु?- वैसे तो नागा साधु बनने की प्रक्रिया में 12 साल लग जाते हैं, लेकिन 6 साल को ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है. इसी अवधि में साधु सारी जानकारियां हासिल करते हैं और सिर्फ लंगोट का धारण करते हैं.

  • क्या है अखाड़े की परंपरा?- नागा साधुओं का विभिन्न अखाड़ों में ठिकाना होता है. नागा साधुओं के अखाड़े में रहने की परंपरा की शुरुआत आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा की गयी थी.

  • सबसे पहले कौन सी शिक्षा करनी होती है ग्रहण?- नागा साधु बनने की प्रक्रिया में सबसे पहले इन्हें ब्रह्मचार्य की शिक्षा प्राप्त करनी होती है. इसमें सफल होने के बाद उन्हें महापुरुष दीक्षा दी जाती है और फिर यज्ञोपवीत होता है.

  • पिंडदान की प्रक्रिया कैसे करते हैं?- नागा साधु अपने परिवार और स्वंय अपना पिंडदान करते हैं. इस प्रकिया को ‘बिजवान’ कहा जाता है. यही कारण है कि नागा साधुओं के लिए सांसारिक परिवार का महत्व नहीं होता, ये समुदाय को ही अपना परिवार मानते हैं.

  • नागा साधुओं का मंत्र?- नागा साधुओं का मंत्र ॐ नमो नारायण होता है.

  • नागा साधुओं के ईश्वर?- नागा साधु भगवान शिव के अलावा किसी को भी ईश्वर नहीं मानते हैं.

  • नागा की उपाधियां?- प्रयागराज कुंभ में उपाधि पाने वाले को नागा, उज्जैन में खूनी नागा, हरिद्वार में बर्फानी नागा और  नासिक में उपाधि पाने वाले को खिचडिया नागा कहा जाता है.

  • नागाओं के पद?- नागा में दीक्षा लेने के बाद साधुओं को बड़ा कोतवाल, भंडारी, कोठारी, बड़ा कोठारी, महंत, कोतवाल, पुजारी और सचिव उनके पद होते हैं.

  • नागा का काम?-  नागा का काम गुरु की सेवा करना, आश्रम का कार्य करना, प्रार्थना, तपस्या और योग करना होता है.


यह भी पढ़ें:-


Weather Update Today: दिल्ली समेत उत्तर भारत में ठंड का कहर जारी, फिर सताने वाली है शीतलहर, अलर्ट जारी