Mahila Naga Sadhu: कौन से वस्त्र धारण करती हैं महिला नागा साधु, इन्हें किन नामों से पुकारा जाता है? बेहद रहस्यमयी है जिंदगी
Prayagraj Magh Mela 2023: महिला नागा साधु को अपने जीते जी खुद का पिंडदान करना होता है और पिछली जिंदगी को भूल जाना होता है. ये साधु हमेशा ईश्वर की भक्ति में लीन रहती हैं.
Mahila Naga Sadhu: जब भी साधु संतों का जिक्र होता है तो नागा साधुओं (Naga Sadhu Life) को लेकर हर किसी के मन में कई तरह के सवाल रहते हैं. ये साधु बहुत कम दिखाई देते हैं. इन्हें कुंभ या किसी बड़े धार्मिक अवसर पर ही देखा जा सकता है. ये बेहद रहस्यमयी और कठोर अनुशासित जिन्दगी जीते हैं, जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल है. नागा साधु सिर्फ पुरुष ही नहीं होते हैं आपको जानकर हैरानी होगी कि महिलाएं भी नागा साधु (Mahila Naga Sadhu) होती हैं. नागा साधु बनना इतना आसान नहीं है. इसके लिए उन्हें कड़ी परीक्षा से होकर गुजरना पड़ता है.
कौन होते हैं नागा साधु?
नागा साधु आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किए गए अलग-अलग अखाड़ों में रहने वाले ऐसे साधु होते हैं जो हिन्दू धर्मावलंबी होते हैं. ये साधु नग्न रहते हैं और युद्ध कला में माहिर होते हैं. ये अपने शरीर पर धुनी की राख लपेटकर रखते हैं. हालांकि महिला नागा साधु निवस्त्र नहीं रहती हैं. वो अपने शरीर पर गेरुएं रंग का एक वस्त्र धारण करती हैं. इसे गंती कहा जाता है. इस कपड़े में कोई सिलाई नहीं होती है. नागा साधुओं के गुस्से की कहानियां भी बहुत प्रचलित होती हैं क्योंकि ये शिव और अग्नि के भक्त होते हैं. ये वैसे किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं लेकिन अगर इन्हें कोई तंग करता है तो इनका क्रोध भयानक हो जाता है, ऐसे में इन्हें शांत करना भी मुश्किल हो जाता है.
महिला नागा साधु कैसे बनती हैं?
महिला नागा साधु बनना इतना आसान नहीं है इसके लिए महिला साधुओं को कठोर परीक्षा से होकर गुजरना पड़ता है. नागा साधु बनने के लिए उन्हें पहले खुद को पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित करना होता है और 6 से 12 साल तक कठिन ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है. इस दौरान उन्हें सुबह उठकर ईश्वर की अराधना करनी होती है, इसके बाद पूरे दिन वो भक्ति में लीन रहती है. जिसके बाद ही गुरू उन्हें नागा साधु बनने की अनुमति देते हैं.
जीते-जी करना होता है पिंडदान
एक बार गुरू को ये लग जाए कि अब वो नागा साधु बनने के लिए सक्षम है, इसके बाद उनकी पिछली जिंदगी के बारे में पता किया जाता है और परीक्षा ली जाती है कि वो ईश्वर के प्रति कितनी समर्पित है. इसके बाद महिला नागा साधु को अपने जीते जी खुद का पिंडदान करना होता है. और पिछली जिंदगी को पूरी तरह से भूल जाना होता है. इसके बाद उनका मुंडन किया जाता है और फिर स्नान के बाद उन्हें महिला नागा साधु बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है. महिला नागा साधु एक ही वस्त्र धारण करती है जो बिना सिला होता है. वो माथे पर हमेशा तिलक लगाकर रखती हैं.
महिला नागा साधु को इन नामों से पुकारा जाता है
महिला नागा साधुओं को नागिन, अवधूतानी कहकर संबोधित किया जाता है. इसके अलावा दूसरी साध्वियां उन्हें माता कहकर पुकारती हैं. महिला नागा साधु पूरी तरह शिव को समर्पित रहती हैं. जागने से लेकर रात में सोने के वक्त तक भगवान में ही लीन रहती हैं. 13 अखाड़ों से जूना अखाड़ा साधुओं का सबसे बड़ा अखाड़ा है. जूना अखाड़े में महिलाओं के माई बाड़ा अखाड़े को भी शामिल कर लिया गया था. महिलाओं के इस अखाड़े से अलग अखाड़ों में भी कई महिला साधु हैं जो अलग-अलग अखाड़ों से जुडी हुई हैं और नाग सहित कई अलग-अलग पदवियों से सम्मानित हैं. माई या नागिनों को अखाड़ों के प्रमुख पदों में किसी पद पर नहीं चुना जाता है.
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