Prayagraj News: प्रयागराज में औपचारिक रुप से महाकुंभ सोमवार (13 जनवरी) से शुरू होगा, लेकिन उससे पहले ही यहां पर बड़ी संख्या में देश विदेश से श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आगमन शुरू हो गया है. इस का महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर कई खास इंतजाम किए गए हैं.
निरंजनी अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज ने एबीपी न्यूज से बातचीत में कुंभ की महिमा का वर्णन किया. उन्होंने बताया कि 144 साल बाद पड़ रहे इस महाकुंभ के संयोग से जुड़े तथ्य और युवाओं के धार्मिक चीजों से जोड़ने की पीछे की कहानी रुचिकर है.
'महाकुंभ से पूरी दुनिया को संदेश'
आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज ने बताया कि कैसे अब देश-विदेश के लोग सनातन से जुड़ रहे हैं, जिसमें आजकल चर्चा स्टीव जॉब्स की पत्नी की भी सनातन से जुड़ने की है. महाकुंभ की खासियतों के बारे में उन्होंने कहा कि महाकुंभ पूरी दुनिया को संदेश देता है और यहां दुनिया के तमाम साधु आते हैं.
महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा, "मैं खुद कुंभ को बहुत करीब से जानता हूं क्योंकि मैं कुंभ में अलग-अलग पदों पर रहा हूं. अखाड़े के अलग-अलग पदों पर रहा हूं." उन्होंने कहा, "कुंभ में अखाड़े का बड़ा अस्तित्व है और कुंभ में अखाड़ा ही सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. कुंभ से जो संदेश जाता है वह संदेश सनातनी सदियों तक धरोहर के रूप में अपने पास रखते हैं."
प्रदेश सरकार के जरिये किए गए कार्यों का जिक्र करते हुए निरंजनी अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा, "आज पूरी दुनिया के लोग हैरान रहते हैं कि एक डेढ़ महीने के लिए कैसे कोई सरकार खरबों रुपए खर्च करती है. आचार्य लोग भी करोड़ों रुपये खर्च करते हैं सिर्फ परंपरा को बचाने के लिए."
144 साल बाद दुर्लभ संयोग
इस बार महाकुंभ में 144 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है. महाकुंभ का महत्व बताते हुए कैलाशानंद गिरि महाराज ने कहा, "हमारे यहां प्रयाग की तीन परंपरा है. यहां 6 साल में अर्ध कुंभ होता है, 12 साल में पूर्ण कुंभ और 12 बार पूर्ण कुंभ के बाद पूर्ण महाकुंभ होता है." उन्होंने कहा, "अब इस पूर्ण महाकुंभ को अगली पीढ़ी के बाद की पीढ़ी देख पाएगी. कुंभ में जो साधु महात्मा लंबे समय से तपस्या करते हैं, वह भी किसी न किसी रूप में यहां शाही स्नान में आते हैं."
वर्तमान में बढ़ते धार्मिक पर्यटन और युवाओं में धार्मिक परंपराओं में बढ़ते रूझान को लेकर कैलाशानंद गिरि महाराज ने कहा, "भारत का जो युवा है, उसके ऊपर परंपराओं का अस्तित्व टिका है. युवा अगर साधना से जुड़ा है तो वह साधना भी कर सकता है, तप और परिश्रम भी कर सकता है और प्रयास भी कर सकता है. पांचों उपक्रम उसके पास हैं."
कैलाशानंद गिरि महाराज ने कहा, "आज अत्यंत खुशी की बात है कि हमारे देश के जो युवा हैं, वह धर्म से जुड़ रहे हैं और आज कुंभ में आने के इच्छुक है. मैंने एक फोन नंबर जारी किया था, जिसमें 20000 से अधिक युवा अलग-अलग जगह से संपर्क कर चुके हैं और जो इस बार हमारे यहां आ रहे हैं." उन्होंने कहा, "हमने इन युवाओं के लिए पूरी व्यवस्था करने की कोशिश की है, जो इस बार आ रहे हैं. युवा आज कुंभ से जुड़ रहे हैं, धर्म से जुड़ रहे हैं, वो बधाई के पात्र हैं.
स्टीव जॉब्स की पत्नी बनीं कमला
स्टीव जॉब्स की पत्नी लौरा का उनसे जुड़ने के सवाल पर कैलाशानंद गिरि महाराज ने कहा, "यह भी पूर्व जन्म का संस्कार है. मैं भारत का एक साधु हूं. मेरी लौरा से 2023 की आखिरी समय में मुलाकात हुई थी और फिर 2024 में वह मेरे आश्रम में आई." उन्होंने कहा, इस दौरान लौरा मेरे आश्रण में रहीं, यज्ञ किया, अनुष्ठान किया, पूजा किया और फिर उसने मुझसे गोत्र और नाम मांगा फिर मैंने उसका नाम कमला रखा और उसे अच्युत गोत्र दिया. वह मेरी बेटी है."
'लौरा किसी से नहीं मिलना चाहती'
कैलाशानंद गिरि महाराज के मुताबिक, यह बहुत पुरानी परंपरा है कि दुनिया के लोग महात्माओं से जुड़ना चाहते हैं. दुनिया की सबसे धनवान महिला आज आज कुंभ नगरी में है और सरल और सहज भाव से रह रही है. अगर उसको कहा जाए तो वह किसी से मिलना भी नहीं चाहती है. वह सिर्फ गुरु के साथ बैठकर अपने कुछ सवालों के जवाब जानना चाहती है.
पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा, "अनादि काल से सिया परंपरा है कि लोग गुरु महात्माओं के सामने आकर झुकते हैं. प्रणाम करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं." उन्होंने स्टीव जॉब्स की पत्नी के बारे में बताया कि वह कल्पवास नहीं करेंगी. उनको वापस जाना है, लेकिन वह कुछ दिन यहां रहेंगी.
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