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प्रयागराज: 14 सौ साल पहले शहादत पाने वाले 72 शहीदों को किया गया याद, दी गई श्रद्धांजलि
UP News: संगम नगरी प्रयागराज में जगह-जगह मेहंदी और अलम के जुलूस निकाले गए. इस दौरान सड़कों पर इतनी भीड़ उमड़ी कि कहीं तिल रखने तक की जगह नहीं बची थी. इन जुलूसों का समापन सुबह के वक्त हुआ.
Prayagraj News: माह-ए-मोहर्रम की नौवीं रात को संगम नगरी प्रयागराज में जगह-जगह मेहंदी और अलम के जुलूस निकाले गए. इन जुलूसों के जरिए चौदह सौ साल पहले सच्चाई की राह में शहादत पाने वाले कर्बला के बहत्तर शहीदों को नम आंखों के बीच याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. इस मौके पर प्रयागराज की सड़कों पर इतनी भीड़ उमड़ी कि कहीं तिल रखने तक की जगह नहीं बची थी. बेहाल कर देने वाली उमस भरी गर्मी के बावजूद हजरत इमाम हुसैन को चाहने वाले लोग पूरी रात सड़कों पर डटे रहे. इन जुलूसों का समापन सुबह के वक्त हुआ.
ज्यादातर जुलूस शहर के पुराने इलाकों में परंपरागत तरीके से निकल गए. इन जुलूसों में शामिल लोग लगातार या हुसैन के नारे लगाते रहे. कहीं नोहे पढ़े जाते रहे तो कहीं कर्बला के वाकये को बयान कर लोगों को सच्चाई के रास्ते पर चलने के लिए जागरूक किया जाता रहा. किसी जुलूस में हजारों की भीड़ थी तो कहीं लाखों की तादाद में अकीदतमंद इकट्ठा थे. प्रयागराज के इन जुलूसों में कई जगहों पर देशभक्ति के नारे लगाकर गंगा जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल भी पेश की गई.
सुरक्षा के थे कड़े इंतजाम
इस दौरान सुरक्षा के बेहद कड़े इंतजाम किए गए थे. पुलिस और पीएसी के साथ ही पैरामिलिट्री फोर्स की भी तैनाती की गई थी. जिन रास्तों से जुलूस निकल रहा था उन पर जगह-जगह खाने-पीने के सामानों का लंगर किया जा रहा था. इस दौरान माहौल पूरी तरह मातमी रहा. प्रयागराज में मोहर्रम के महीने में मेहंदी के ज्यादातर जुलूस देर रात ही निकाले जाते हैं. तमाम जुलूस में ढोल नगाड़े भी बज रहे थे. पुलिस और प्रशासन के अधिकारी इन जुलूसों के साथ पूरी रात मुस्तैदी से सड़कों पर डटे रहे. आज दसवीं शब को शहर के चौक इलाके से मासूम अली असगर के झूले का ऐतिहासिक जुलूस निकाला जाएगा. इस जुलूस में भी लाखों की तादाद में अकीदतमंद सड़कों पर उतरते हैं.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
Opinion