Prayagraj: जिस नगर निगम पर शहर को बचाने की है जिम्मेदारी, उसकी अपनी बिल्डिंग दे रही मौत को दावत
UP News: प्रयागराज में नगर निगम की बिल्डिंग तकरीबन 100 साल पुरानी है. यह इमारत कई जगह से दरक चुकी है. बिल्डिंग का एक हिस्सा कुछ महीनों पहले गिरकर मलबे में तब्दील हो चुका है.
Prayagraj News: राजधानी लखनऊ में बिल्डिंग गिरने की घटना के बाद से संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में भी कोहराम मचा हुआ है. दरअसल प्रयागराज में जिस नगर निगम पर शहर की जर्जर हो चुकी पुरानी इमारतों की पहचान कर उन्हें खाली कराए जाने और गिराए जाने की जिम्मेदारी है, उस नगर निगम की अपने खुद के दफ्तर की बिल्डिंग भी जर्जर हालत में है. तकरीबन 100 साल पुरानी यह बिल्डिंग अब खंडहर में तब्दील होती जा रही है. विशेषज्ञ इसे कंडम घोषित कर खाली कराए जाने की सिफारिश कर चुके हैं, लेकिन दूसरों को नोटिस जारी कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने वाला नगर निगम खुद अपनी बिल्डिंग को लेकर अभी कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है.
बिल्डिंग का एक हिस्सा पिछले साल बारिश में गिर गया था. कई जगहों पर बांस के सहारे बैरिकेडिंग कर लोगों को वहां जाने से रोका जाता है. आने वाले दिनों में यहां किसी भी बड़े हादसे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. कहा जा सकता है कि यहां काम करने वाले तकरीबन साढ़े चार सौ कर्मचारी और यहां अपने काम के लिए आने वाले दूसरे हजारों लोग जान जोखिम में डालकर भगवान भरोसे आते हैं. बिल्डिंग के कई हिस्से को देखकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. बिल्डिंग के एक हिस्से को एहतियातन ताला लगाकर बंद कर दिया गया है.
प्रयागराज नगर निगम ने दो साल पहले अकेले शहरी इलाके में 370 ऐसी पुरानी बिल्डिंग्स की पहचान की थी, जो जर्जर हो चुकी हैं और कभी भी हादसे का सबब बन सकती हैं. इन बिल्डिंग्स को नोटिस भी जारी किया गया था. नगर निगम का दबाव पड़ने पर इनमें से तकरीबन दो सौ बिल्डिंग्स को या तो खाली करा दिया गया है या फिर उनके जर्जर हिस्से को गिरा दिया गया है. बाकी बची 170 इमारतों को लेकर जिम्मेदार अधिकारी किसी हादसे का इंतजार कर रहे हैं. पिछले साल सितंबर महीने में शहर के हटिया इलाके में ऐसी ही एक जर्जर बिल्डिंग गिरने से पांच लोगों की मौत हो चुकी है.
बिल्डिंग तकरीबन 100 साल पुरानी है
प्रयागराज में नगर निगम की बिल्डिंग तकरीबन 100 साल पुरानी है. यह इमारत कई जगह से दरक चुकी है. कहीं छत टूटी हुई नजर आती है तो कहीं दीवार. बिल्डिंग का एक हिस्सा कुछ महीनों पहले गिरकर मलबे में तब्दील हो चुका है. मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक्सपर्ट्स ने इस बिल्डिंग को कंडम घोषित कर रखा है और इसे खाली करने की सलाह दी है. विशेषज्ञों की रिपोर्ट के बाद निगम के अफसरों ने सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था, लेकिन जानकारी मिली है कि यह फाइल अभी ठंडे बस्ते में पड़ी है और लखनऊ जैसी किसी घटना का इंतजार कर रही है.
मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी का कार्यकाल खत्म हो चुका है
हजारों लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किये जाने का सवाल लेकर एबीपी चैनल की टीम आज जब नगर निगम के दफ्तर पहुंची तो वहां कोई भी जिम्मेदार नहीं मिला. मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी का कार्यकाल खत्म हो चुका है. नगर आयुक्त से लेकर प्रथम अपर नगर आयुक्त और चीफ इंजीनियर दोपहर 12 बजे तक अपने दफ्तर नहीं आए थे. अपर नगर आयुक्त द्वितीय अरविंद कुमार राय जरूर अपने दफ्तर में थे, लेकिन वह मोबाइल पर गेम खेलते नजर आए. हमने जब उनसे जानकारी चाही तो उन्होंने कैमरे पर कोई भी जवाब देने से तो मना किया, लेकिन बिहाइंड द कैमरा यह भी कहा कि अगर कर्मचारियों व काम के लिए आने वाले लोगों को इस बिल्डिंग में आने से डर लगता है तो उन्हें घर बैठना चाहिए और यहां नहीं आना चाहिए.
समझा जा सकता है कि जिस नगर निगम के अधिकारी इतने संवेदनहीन होकर इस तरह की बातें कर सकते हैं, वह लोगों की जिंदगी बचाने के लिए कितने फिक्रमंद व गंभीर होंगे, इसका अंदाजा लगाना कतई मुश्किल नहीं है. मेयर अभिलाषा गुप्ता व पार्षदों का कार्यकाल खत्म होने के बाद यहां के अधिकारी और भी लापरवाह हो गए हैं. निगम के कर्मचारी नेता और एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव का कहना है कि इस मामले में गंभीरता से पहल किए जाने की जरूरत है नहीं तो दर्जनों लोगों की जिंदगी कभी भी खतरे में पड़ सकती है.