UP News:  इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calander) का नया साल यानी मुहर्रम (Muharram) का महीना आज से शुरू हो गया है. संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) समेत देश के तमाम हिस्सों में मुहर्रम महीने का चांद दिखने की तस्दीक कल शाम ही हो गई थी. हालांकि हज़रत इमाम हुसैन समेत कर्बला के बहत्तर शहीदों की याद में ग़मज़दा होने की वजह से इस्लाम धर्म को मानने वाले नया साल होने के बावजूद कोई खुशियां नहीं मनाते और पूरे महीने ग़म में डूबे रहते हैं.


10 दिनों तक किए जाते हैं ये आयोजन


मुहर्रम के शुरुआती 10 दिनों में प्रयागराज समेत सभी जगहों पर मजलिस-मातम, जुलूस और लंगर के ज़रिये कर्बला के वाकए को याद किया जाता है और कई तरह के आयोजन किए जाते हैं. प्रयागराज के ज्यादातर ताजियादारों ने देश के मौजूदा हालातों के मद्देनजर इस बार कोई भी जुलूस नहीं निकालने या सार्वजनिक आयोजन नहीं करने का फैसला किया है. ताजियादारों का मानना है कि सड़कों पर भीड़ इकट्ठा होने से माहौल खराब हो सकता है इसलिए इस बार किसी तरह के जुलूस नहीं निकाले जाएंगे. लोगों से भी यह अपील की गई है कि वह त्यौहार को सादगी के साथ अपने घरों में ही मनाएं या फिर खुद को इमामबाड़े तक ही सीमित रखें.


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सड़क पर नहीं निकलेंगे जुलूस और न बजेंगे ढोल-नगाड़े


चांद दिखने के साथ ही ढोल नगाड़े पीटकर मुहर्रम के आग़ाज़ का एलान कर दिया जाता है. लोग काले कपड़े पहन लेते हैं और महिलाएं हाथों की चूड़ियां तोड़ देती हैं. हालांकि इस बार लोग प्रतीकात्मक तरीके से ही त्यौहार की रस्में अदा करेंगे. इस बार दुलदुल-अलम और ताजिये के जुलूस नहीं निकाले जाएंगे और न ही सड़कों पर ढोल नगाड़े बजेंगे. इस बार के मुहर्रम के ख़ास मौके पर देश और दुनिया से कोरोना की महामारी के खात्मे की विशेष दुआ भी की जाएगी. धर्म गुरुओं और प्रशासन ने भी लोगों से मुहर्रम का त्यौहार शांतिपूर्वक मनाने की अपील की है.


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