Prayagraj News: संगम नगरी प्रयागराज में डेंगू के मरीजों की ज़िंदगी से खिलवाड़ करने का ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया है, जो इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला है. यहां चंद पैसों की लालच में डेंगू की बीमारी की चपेट में आए एक मरीज को प्लेटलेट्स की जगह मौसम्बी का जूस चढ़ा दिया गया. प्लेटलेट्स में मौसम्बी के जूस की मिलावट किए जाने की वजह से मरीज की हालत बिगड़ गई और कुछ घंटों बाद ही दूसरे अस्पताल में उसकी मौत हो गई.
इस मामले में सूबे के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के दखल के बाद मरीज को मौसम्बी के जूस वाली प्लेटलेट्स चढ़ाने वाले प्राइवेट अस्पताल को सील कर दिया गया है. प्रशासन ने इस मामले में जांच बैठा दी है. हालांकि शुरुआती तफ्तीश में पुलिस को यह जानकारी मिली है कि प्रयागराज में इन दिनों एक गिरोह सक्रिय होकर मिलावटी खून व प्लेटलेट्स का गोरखधंधा कर रहा था.
कई लोगों की हालत बिगड़ी
इस गिरोह के लोगों ने मौत का शिकार हुए युवक के परिजनों के साथ ही तमाम दूसरे लोगों को भी प्लेटलेट्स के साथ ही मौसम्बी का जूस मिलाकर उसे ऊंचे दाम में बेच दिया था. इनमें से कई लोगों की हालत बिगड़ चुकी है.
पुलिस अब तक गिरोह के आधा दर्जन लोगों को हिरासत में ले चुकी है. हिरासत में लिए गए लोगों से गहराई से पूछताछ किए जाने के बाद कई बेहद चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं. हिरासत में लिए गए लोगों ने पुलिस को जानकारी दी है की मौसम्बी के जूस का रंग प्लेटलेट्स के कलर जैसा ही होता है. ऐसे में मौसम्बी के जूस की मिलावट किए जाने से आसानी से प्लेटलेट्स के मिलावटी या नकली होने का पता नहीं लगाया जा सकता. गिरोह के लोगों ने बड़ी संख्या में शहर के नामचीन अस्पतालों के ब्लड बैंक की स्लिप भी छपवा रखी थी.
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यह मिलावटी प्लेटलेट्स व ब्लड पर बड़े अस्पतालों की फर्जी स्लिप चिपका देते थे और साथ ही जरूरतमंद लोगों को फर्जी रसीदें भी देते थे. इससे पीड़ितों के साथ ही मरीजों को खून व प्लेटलेट चढ़ाने वाले डॉक्टर्स और अस्पतालों को मौत के खूनी खेल के बारे में अंदाजा नहीं लग पाता था. पुलिस अब तक हिरासत में लिए गए लोगों के पास से दो दर्जन से ज्यादा यूनिट प्लेटलेट से बरामद कर चुकी हैं.
संगम नगरी प्रयागराज में इन दिनों डेंगू ने तेजी से पांव पसार रखे हैं. अब तक सैकड़ों लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं, जबकि बड़ी तादाद में डेंगू के संदिग्ध मरीज अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं. कई लोगों को हालत गंभीर होने के बाद प्लेटलेट्स चढ़ाए जाने की जरूरत पड़ रही है. लोगों की इसी मजबूरी का फायदा उठाते हुए एक गिरोह से जुड़े हुए लोगों ने प्लेटलेट्स के गोरखधंधे की शुरुआत कर दी.
जानकारी के मुताबिक गिरोह के लोग कहीं से प्लेटलेट्स का जुगाड़ कर लेते थे. इसके बाद यह हर यूनिट में करीब एक तिहाई प्लेटलेट और दो तिहाई मौसम्बी का जूस मिला देते थे. मौसम्बी का जूस मिले हुए प्लेटलेट्स को यह उन जरूरतमंद लोगों को चार से आठ हजार रुपयों में बेचते थे.
जिनके मरीज की हालत गंभीर होती थी और उन्हें आसानी से प्लेटलेट्स नहीं मिल पाता था, यह ज्यादातर उन्हीं लोगों को अपना शिकार बनाते थे. गिरोह के लोगों को लगता था कि प्लेटलेट्स और मौसम्बी के जूस का कलर एक ही होता है. ऐसे में कोई भी उनके इस गोरखधंधे को आसानी से समझ नहीं पाएगा. इसके साथ ही इन्हें यह लगता था कि मौसम्बी का जूस मरीजों को इतना नुकसान नहीं करेगा, जिससे उनकी जिंदगी खतरे में पड़ने लगेगी.
ऐसे हुआ गोरखधंधे का खुलासा
गिरोह के गोरखधंधे का खुलासा तब हुआ, जब प्रदीप पांडेय नाम के 28 साल के एक युवक को तेज बुखार हुआ. शहर के बमरौली इलाके के रहने वाले प्रदीप को उनके परिवार वालों ने झलवा इलाके के प्राइवेट अस्पताल ग्लोबल हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर में इलाज के लिए 16 अक्टूबर को भर्ती कराया. यहां परिवार वालों को तुरंत 8 यूनिट प्लेटलेट्स लाने के लिए कहा गया.
परिवार वालों ने ब्लड बैंक में एक्सचेंज कर 3 यूनिट प्लेटलेट्स तो आसानी से हासिल कर लिया. इसके बाद बचे हुए पांच यूनिट प्लेटलेट्स के लिए वह काफी परेशान हुए, लेकिन उन्हें कहीं भी प्लेटलेट्स नहीं मिल सके. इस पर ग्लोबल हॉस्पिटल के संचालक ने कुछ लोगों के नंबर दिए और कहा कि यह लोग खून व प्लेटलेट्स का धंधा करते हैं. इन दिनों प्लेटलेट्स को लेकर मारामारी है, इसलिए कुछ ज्यादा पैसे लेकर यह प्लेटलेट्स मुहैया करा देंगे.
परिवार वालों ने चार हज़ार रुपये प्रति यूनिट की दर से ग्लोबल हॉस्पिटल के संचालक द्वारा बताए गए लोगों से 5 यूनिट प्लेटलेट्स लिया. यह प्लेटलेटस जैसे ही प्रदीप पांडेय को चढ़ाया गया, उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने लगी. पूरे शरीर में चकत्ते उभर आए और उन्हें जबरदस्त बेचैनी होने लगी. हालत ज्यादा बिगड़ने पर ग्लोबल हॉस्पिटल वालों ने उन्हें दूसरी जगह रेफर कर दिया.
इस दौरान प्रदीप पांडेय की हालत इतनी खराब हो गई थी कि 19 अक्टूबर की सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया. संदिग्ध हालत में प्रदीप की मौत के बाद परिवार के लोगों ने इस मामले में अफसरों से शिकायत की. सीएमओ ने इस मामले में 3 सदस्यीय कमेटी से जांच कराई. जांच में नियमों का पालन नहीं होने और गड़बड़ी किए जाने के आरोप सही पाए गए. इस पर बृहस्पतिवार की रात को ग्लोबल हॉस्पिटल को सील कर दिया गया. इतना ही नहीं हॉस्पिटल के लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया गया और यहां भर्ती तीन दूसरे मरीजों को दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट करा दिया गया.
क्राइम ब्रांच ने खुफिया तरीके से मामले की पड़ताल शुरू की
इस दौरान प्रयागराज पुलिस की क्राइम ब्रांच ने खुफिया तरीके से मामले की पड़ताल शुरू की. कड़ी से कड़ी जोड़ने पर क्राइम ब्रांच की टीम गिरोह के लोगों तक पहुंच गई. आईजी ऑफिस में तैनात कांस्टेबल आशीष मिश्रा जरूरतमंद बनकर गिरोह के लोगों तक पहुंचे. प्रयागराज पुलिस अब तक इस गिरोह के आधा दर्जन लोगों को हिरासत में ले चुकी है. गिरोह के लोगों ने शुरुआती पूछताछ में बताया है कि सिर्फ पैसा कमाने के मकसद से वह प्लेटलेट्स में मौसम्बी का जूस मिलाकर उसे लोगों को सप्लाई कर देते थे.
पहले कम मात्रा में मौसम्बी का जूस मिलाया जाता था लेकिन प्लेटलेट्स की डिमांड बढ़ने पर उनके मन में लालच और बढ़ गया और उन्होंने ज्यादा मात्रा में मौसम्बी का जूस मिलाना शुरू कर दिया. गिरोह के लोगों ने पुलिस को जानकारी दी है कि अब तक वह दर्जनों लोगों को मौसम्बी के जूस की मिलावट वाले प्लेटलेट्स सप्लाई कर चुके हैं. इनमें से कई लोगों की तबीयत ज्यादा बिगड़ने की भी बात सामने आई है.
गिरोह के लोगों से पता चला है कि उन्होंने न सिर्फ बड़ी संख्या में नामचीन अस्पतालों की रसीद छपवा रखी है बल्कि वह जरूरतमंदों को अस्पतालों के फर्जी डाक्यूमेंट्स और खून व प्लेटलेट्स के पैकेट पर फर्जी स्लिप भी लगा कर देते थे. पुलिस इस गिरोह की तह में जाकर इसका पर्दाफाश करना चाहती है.
सौरभ मिश्रा ने आरोपों को पूरी तरह गलत बताया
बृहस्पतिवार की रात को एडिशनल सीएमओ डॉक्टर ए के तिवारी की अगुवाई में स्वास्थ्य विभाग की टीम गोरखधंधे की सूत्रधार ग्लोबल हॉस्पिटल पहुंची और वहां तमाम डाक्यूमेंट्स को अपने कब्जे लेने में लेने के बाद उसे सील कर दिया. प्रयागराज के सीएमओ डॉक्टर नानक सरन ने जानकारी दी की मृतक प्रदीप पांडेय के परिवार वालों के पास एक यूनिट मिलावटी प्लेटलेट्स बची हुई है. इसे लैब भेज कर जांच कराई जाएगी, ताकि यह प्रमाणित तौर पर साफ हो सके कि प्लेटलेट्स में मौसम्बी के जूस के साथ ही और क्या-क्या चीजें मिलाई जाती थी.
दूसरी तरफ ग्लोबल हॉस्पिटल के संचालक सौरभ मिश्रा ने अपने अस्पताल पर लगे आरोपों को पूरी तरह गलत बताया है. उन्होंने सफाई देते हुए कहा है कि मरीज के परिवार वाले प्लेटलेट्स खुद लेकर आए थे. उस पर मेडिकल कॉलेज द्वारा संचालित स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल की स्लिप लगी हुई थी. वहां की रसीद भी दी गई थी. ऐसे में जो प्लेटलेट्स परिवार वाले लेकर आए,उसे चढ़ा दिया गया था.
परिवार में मातम का माहौल
मृतक प्रदीप पांडेय के परिवार में उनकी पत्नी और 4 माह की बेटी हैं. परिवार में मातम का माहौल है. परिवार के सदस्यों ने इस मामले में एफ आई आर दर्ज कराने के लिए पुलिस को लिखित शिकायत भी दे दी है. परिवार वालों ने सीएम योगी आदित्यनाथ से इस मामले में दखल दिए जाने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की गुहार लगाई है.
हक कुछ पैसों की लालच में प्लेटलेटस में मौसम्बी का जूस मिलाकर उसे डेंगू पीड़ित मरीजों को चढ़ाए जाने का यह मामला अपने आप में अनूठा है. रात होते-होते इस मामले में यूपी सरकार भी एक्टिव हो गई. खुद सूबे के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य विभाग के मंत्री बृजेश पाठक ने ट्वीट कर इस मामले का संज्ञान लिए जाने और प्राइवेट अस्पताल को सील किए जाने की बात कही. उम्मीद जताई जा रही है कि प्रयागराज पुलिस आज या कल अपनी जांच पूरी कर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले रैकेट का पूरी तरह से पर्दाफाश करेगी. लेकिन प्लेटलेट्स के नाम पर हजारों रुपए लेकर लोगों को मौसम्बी का जूस दिए जाने का यह मामला ना सिर्फ तमाम सवाल खड़े करता है, बल्कि बेहद शर्मनाक भी है.