Prayagraj News: प्रयागराज (Prayagraj) के संगम तट पर हर साल लगने वाला दुनिया का सबसे बड़ा सालाना धार्मिक आयोजन "माघ मेला" छह जनवरी से पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ शुरू हो गया है. मेले के लिए संगम की रेती पर अलग से तम्बुओं का शहर बसाया गया है, साथ ही इस बार सुरक्षा के बेहद ख़ास इंतज़ाम भी किये गए हैं. योगी सरकार ने इस बार के माघ मेले को 2025 के महाकुंभ के रिहर्सल के तौर पर आयोजित करने का फैसला किया है.


इस बार के मेले में खास तैयारियां की जा रही हैं. कई नई व्यवस्थाएं शुरू की जा रही हैं. कई प्रयोग किए जा रहे हैं और साथ ही श्रद्धालुओं को बेहतर से बेहतर सुविधाएं मुहैया कराए जाने के दावे भी किए जा रहे हैं. मेला क्षेत्र में पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की संतों और श्रद्धालुओं का स्वागत करने का संदेश देती हुई तमाम होर्डिंग्स भी लगाई गई हैं. हालांकि बर्फीली हवाओं के साथ पड़ रही कड़ाके की जबरस्त ठंड श्रद्धालुओं का कड़ा इम्तिहान ले रही है.


माघ मेले में सुरक्षा के कड़े इंतजाम
करीब साढ़े छह सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल में बसे माघ मेले के लिए संगम की रेती पर तम्बुओं का अलग शहर बसाया गया है. यहां लोहे की चकर्ड प्लेट की डेढ़ सौ किलोमीटर की सड़कें बनाई गई हैं तो पीपे के पांच पांटून पुल. दूसरे शहरों की तरह यहां सभी सरकारी विभागों के दफ्तर खोले गए हैं. मेले में तेरह पुलिस स्टेशन और अड़तीस पुलिस चौकियां बनाई गई हैं. पुलों, स्नान घाटों और इंट्री प्वाइंट समेत सभी प्रमुख जगहों की सुरक्षा इस बार भी पैरा मिलिट्री फ़ोर्स के ज़िम्मे रहेंगी. हवाई निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे का भी इस्तेमाल किया जाएगा तो पूरे मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों का जाल बिछा दिया गया है.


छह सेक्टरों में बंटे माघ मेले में व्यवस्था और सुरक्षा के लिए दस हजार से ज्यादा कर्मचारी और जवान लगाए गए हैं. पूरा मेला क्षेत्र रात के अंधेरे में भी दूधिया रोशनी से नहा रहा है. मेला क्षेत्र रात के अंधेरे में भी चमकता रहे, इसके लिए डेढ़ लाख से ज्यादा लाइट्स लगाई गई हैं. मेले में पहली बार टेंट सिटी बसाई जा रही है. इसके साथ ही कई जगहों पर सुविधा केंद्र खोले गए हैं. कल्पवास करने वाले श्रद्धालुओं के राशन कार्ड बनाकर उन्हें सस्ते दामों पर अनाज मुहैया कराया जा रहा है तो साथ ही कई जगहों पर भंडारे का आयोजन भी हो रहा है. तमाम बैंकों ने मोबाइल एटीएम की भी व्यवस्था की हुई है.मेले में कोविड प्रोटोकॉल के नियमों का भी पूरी तरह से पालन किया जाएगा.



पौष पूर्णिमा के साथ ही संगम पर लगने वाले एक महीने का कल्पवास भी शुरू हो जाएगा. तीन लाख से ज्यादा श्रद्धालु एक महीने तक मेले में गंगा किनारे संयमित जीवन बिताकर पूजा-आराधना करेंगे. मान्यताओं के मुताबिक़ संगम पर कल्पवास करने वालों को न सिर्फ अपार पुण्य हासिल होता है, बल्कि उन्हें जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष प्राप्त होता है. दुनिया के इस सबसे बड़े सालाना धार्मिक आयोजन में एक महीने तक कई शंकराचार्यों समेत देश भर के साधू- संत यहां भक्ति- ज्ञान और आध्यात्म की गंगा बहाएंगे तो साथ ही छह प्रमुख स्नान पर्वों पर पांच करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए आएंगे. 


इस बार मेले के शुरू होने से पहले कई विवाद भी खड़े हुए है. बाढ़ की वजह से कीचड़ और दलदल होने के चलते मेले की तैयारियां काफी देरी से शुरू हो पाई थी. इसके बाद जमीन आवंटन को लेकर विवाद खड़ा हुआ. गंगा में प्रदूषण को लेकर संतों ने नाराजगी भी जताई. हालांकि यह सब अब बीते दिनों की बात हो चुकी है. अब ना कोई नाराजगी है और ना ही कोई विवाद. मेले में आने वाले संत और श्रद्धालु योगी सरकार के इंतजामों की जमकर तारीफ कर रहे हैं और व्यवस्थाओं को अभूतपूर्व बता रहे हैं.


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