Prayagraj News: प्रयागराज में डरा रही हैं गंगा-यमुना की लहरें, तेजी से बढ़ रहा है जलस्तर, अलर्ट जारी
Triveni Sangam: प्रयागराज में पिछले दो दिनों से गंगा और यमुना दोनों ही नदियां ढाई से तीन सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से बढ़ रही हैं और तेजी से खतरे के निशान की तरफ बढ़ती जा रही हैं.
Prayagraj News: संगम नगरी प्रयागराज में मानसून ने अभी भले ही ज़ोरदार तरीके से दस्तक न दी हो और यहां सूखे जैसे हालात बन रहे हों. लेकिन पहाड़ों और दूसरी जगहों पर हो रही बारिश के चलते यहां गंगा और यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. प्रयागराज में पिछले दो दिनों से गंगा और यमुना दोनों ही नदियां ढाई से तीन सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से बढ़ रही हैं और तेजी से खतरे के निशान की तरफ बढ़ती जा रही हैं. हालांकि अभी बाढ़ की नौबत नहीं आई है और फिलहाल खतरे जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन नदियों के जलस्तर में तेजी से हो रही बढ़ोत्तरी के चलते यहां एलर्ट ज़रूर कर दिया गया है.
अलर्ट जारी किया गया
दरअसल, सरकारी अमले की असली चिंता उत्तराखंड-हरियाणा-दिल्ली और मध्य प्रदेश की नदियों और बांधों से छोड़े गए पानी की है, जो अगले तीन से चार दिनों में यहां पहुंचकर दोनों नदियों में उफान ला सकता है. इसी आशंका के मद्देनज़र सरकारी अमला लगातार हालात की मानीटरिंग कर रहा है. जिले में कंट्रोल रूम खोल दिया गया है. तीस से ज़्यादा बाढ़ चौकियों की शुरुआत कर दी गई है. घाटों और निचले इलाके की रिहायशी बस्तियों के पास जल पुलिस और पीएसी के साथ ही प्राइवेट गोताखोरों की भी तैनाती कर दी गई है. निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को एहतियात बरतने को कहा गया है.
हर साल मचाती है जबरदस्त तबाही
गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर जलस्तर बढ़ने के बाद तीर्थ पुरोहित अपने तख़्त सामान समेटकर पीछे आने लगे हैं. इसके साथ ही ज़मीन पर दुकान लगाने वाले दुकानदार भी अब बांध के नजदीक आने लगे हैं. संगम तक जाने वाले दो रास्ते भी डूब गए हैं. इसके साथ ही नदियों में नावों के संचालन पर सख्ती कर दी गई है. नावों पर संख्या सीमित कर लाइफ सेविंग जैकेट को अनिवार्य कर दिया गया है. गंगा का पानी दोनों आरती स्थलों तक भी पहुँच आया है. दो से तीन दिनों बाद गंगा आरती की जगह भी बदलनी पड़ सकती है.
प्रयागराज में गंगा- यमुना हर साल ज़बरदस्त तबाही मचाती हैं. दर्जनों मोहल्लों की बिल्डिंग्स की एक मंज़िल तक पानी में डूब जाती हैं. तमाम रास्ते और सड़कें बाढ़ के पानी में समा जाती हैं. करीब महीने भर तक हाहाकार मचा रहता है. इस बार अभी बाढ़ जैसे हालात तो नहीं है, लेकिन आने वाले दिनों में तबाही की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता. नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ने के बाद तमाम लोगों ने अपने सामान समेटने ज़रूर शुरू कर दिए हैं.
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