Prayagraj News: संगम नगरी प्रयागराज में डेंगू को लेकर हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. यहां डेंगू के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हर रोज दर्जनों लोग बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों में बनाए गए डेंगू वॉर्ड फुल हो चुके हैं. तमाम लोगों को इलाज के लिए जगह नहीं मिल रही है. अस्पतालों में इलाज के इंतजाम तो संतोषजनक हैं, लेकिन सफाई और कीटनाशक के छिड़काव को लेकर पुख्ता तैयारी नहीं है. न ही बीमार और जरूरतमंदों को आसानी से प्लेटलेट्स मिल पा रहे हैं.


डेंगू के हालात को लेकर प्रयागराज में हाहाकार मचा हुआ है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 500 से ज्यादा लोग डेंगू की चपेट में आ चुके हैं. हालांकि, असल आंकड़ा इससे कई गुना ज्यादा है. कहा जा सकता है कि प्रयागराज में डेंगू फैलाने वाले मच्छरों के डंक अब लोगों की सेहत और जिंदगी पर भारी पड़ते जा रहे हैं. जिले में बेली-काल्विन और एसआरएन समेत दूसरे सरकारी अस्पतालों में एक-एक बेड को लेकर मारामारी की नौबत आ गई है. प्राइवेट अस्पतालों में भी ज्यादातर वॉर्ड डेंगू और संदिग्ध मरीजों से फुल हैं.


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ब्लड देने के बाद भी नहीं मिल रहे प्लेटलेट्स
लाख जतन के बावजूद न तो जरूरतमंद मरीजों को प्लेटलेट्स आसानी से मिल पा रही हैं और न ही गली-मोहल्लों और कॉलोनियों में साफ-सफाई और कीटनाशक के छिड़काव के इंतजाम दिख रहे हैं. सरकारी से लेकर प्राइवेट ब्लड बैंकों मे मारामारी की नौबत है. लोगों का कहना है कि खून देने के बावजूद उन्हें प्लेटलेट्स नहीं मिल पा रहा है. किसी को कुछ घंटे इंतजार करना पड़ता है, तो किसी को दो-तन दिन तक का. 


बताया जा रहा है कि सरकारी अमले की व्यवस्था कुछ जगहों तक सीमित होकर रह गई है. इसके अलावा, जो कदम उठाए जाने चाहिए थे, वह हकीकत में कम और सरकारी फाइलों में ज्यादा नजर आ रहे हैं. सरकारी फाइलों में सब कुछ दुरुस्त बताया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि हालात धीरे-धीरे बेकाबू होते जा रहे हैं. यह हालत तब है जब इलाहाबाद हाई कोर्ट सरकार और अफसरों को फटकार लगा चुका है. 


डिप्टी सीएम मौर्य ने किया अस्पतालों की निरीक्षण
कोर्ट की फटकार के बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी दो दिनों तक अलग-अलग अस्पतालों का निरीक्षण कर चुके हैं. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि लोगों को खुद ही इस बीमारी से बचने के लिए एहतियाती कदम उठाने की जरूरत है, क्योंकि मरीजों की भारी संख्या के चलते अस्पतालों की व्यवस्थाएं खराब होती जा रही हैं.