Prayagraj News: संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) की होनहार क्रिकेटर फलक नाज (Falak Naaz) अगले महीने दक्षिण अफ्रीका में होने वाले महिलाओं के अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की तरफ से खेलती हुई नजर आएंगी. आईसीसी के इस टूर्नामेंट में फलक नाज को टीम इंडिया में बतौर ऑलराउंडर जगह मिली है. फ़लक़ नाज़ के क्रिकेट खेलने और इस मुकाम तक पहुंचने की कहानी बिल्कुल फिल्म सरीखी है. बेहद गरीब परिवार की बेटी फलक नाज के पिता एक प्राइवेट स्कूल में चपरासी हैं. परिवार की माली हालत बेहद खराब है.
फलक जिस मुस्लिम परिवेश से आती हैं, वहां लड़कियों को पढ़ाई के लिए भी घर से बाहर कदम रखने में खासी जद्दोजहद करनी पड़ती है. इसके बावजूद फलक आज न सिर्फ़ अपने माता-पिता और परिवार, बल्कि शहर का नाम भी समूची दुनिया में रोशन कर रही हैं. वर्ल्ड कप के खिताबी मुकाबले में टीम इंडिया की जीत का दारोमदार काफी हद तक फलक के कंधों पर ही रहेगा.
बेहद गरीब परिवार में पली-बढ़ी हैं फलक
18 साल की फलक जब 12 साल की थी, तब वह अपनी गली में बच्चों को क्रिकेट खेलते हुए देखती थी. उस वक्त उसके घर में एक टीवी तक नहीं था, जिसमें वह क्रिकेट का मैच देख सकती. बहरहाल, इसी बीच फलक ने देश के लिए खुद ही क्रिकेट खेलने का फैसला किया. क्रिकेट की एबीसीडी सीखने के लिए वह कई एकेडमी में गई, लेकिन फीस के लिए पैसे और क्रिकेट की किट नहीं होने से उसे कहीं दाखिला नहीं मिला.
इसके बाद वह क्रिकेटर अजय यादव द्वारा संचालित स्पोर्ट्स टैलेंट एकेडमी में पहुंची और अपनी मजबूरी बताई. यहां के कोच अजय यादव ने उसकी लगन और जुनून को देखते हुए उसे बिना फीस के ही ट्रेनिंग देने का फैसला किया. फलक नाज टीम इंडिया के तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार की तरह फास्ट बॉलर बनना चाहती थी.
कोच अजय यादव ने उसे तेज गेंदबाज के तौर पर तैयार तो किया ही, लेकिन उसे यह सलाह भी दी कि वह बैटिंग पर भी ध्यान देकर खुद को ऑलराउंडर बनाए, ताकि फटाफट क्रिकेट के इस दौर में टीम में उसकी जगह हमेशा पक्की रहे. अपने गुरु अजय यादव की इस सलाह पर अमल करते हुए फलक ने बैटिंग और बॉलिंग दोनों के लिए ही जमकर पसीना बहाया. कुछ ही दिनों में वह यूपी की जूनियर टीम में सेलेक्ट हुई और उसके बाद नेशनल टीम में सेलेक्ट हो गई.
अब वर्ल्ड कप के लिए चुनी गईं फलक नाज
फलक का सेलेक्शन अब अगले महीने दक्षिण अफ्रीका में होने वाले महिलाओं के अंडर-19 के टी-20 वर्ल्ड कप के लिए हुआ है. आईसीसी द्वारा आयोजित यह वर्ल्ड कप 14 से 29 जनवरी तक आयोजित किया जाएगा. इस टूर्नामेंट में खिताब हासिल करने के लिए दुनिया की 16 मजबूत टीम खेलेंगी. भारतीय टीम को ग्रुप डी में जगह दी गई है. महिलाओं में फलक नाज की आइडियल क्रिकेटर झूलन गोस्वामी हैं. वह उनकी तरह देश की सीनियर टीम से खेलते हुए एक दिन टीम इंडिया की कमान संभालना चाहती हैं.
फलक का सपना है कि इस वर्ल्ड कप में वह इतना बेहतरीन प्रदर्शन करें कि अकेले अपने खेल के दम पर देश को वर्ल्ड कप का खिताब दिला सके. फलक को वर्ल्ड कप से पहले दक्षिण अफ्रीका में होने वाली सीरीज में भी खेलना है. फलक ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कड़ा संघर्ष किया है. चपरासी पिता की आमदनी इतनी नहीं थी कि वह बेटी को क्रिकेट खिला सके. हालांकि बेटी के जुनून को देखते हुए उसके पिता ने स्कूल से छुट्टी होने के बाद पार्ट टाइम काम शुरू किया ताकि वह बिटिया फ़लक के लिए क्रिकेट की किट और ड्रेस वगैरह का इंतजाम कर सकें.
फलक ने जब 12 साल की उम्र में क्रिकेट की बारीकियां सीखनी शुरू की तो पड़ोसियों और रिश्तेदारों में किसी ने ताने कसे तो किसी ने मजाक उड़ाया, लेकिन फ़लक के पिता नासिर अहमद और मां जीनत बानो ने इसकी परवाह नहीं की. उन्होंने बेटी फ़लक को यही समझाया कि उसे अपने दमदार प्रदर्शन के जरिए ही इन लोगों को जवाब देना है.
बहरहाल जो लोग कुछ दिनों पहले तक फ़लक का मजाक उड़ाते थे, आज वही उसके खेल के दीवाने हैं और उसके साथ फोटो खिंचाने और सेल्फी लेने के लिए बेताब रहते हैं. फ़लक अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता और कोच अजय यादव को देती है. उसका कहना है कि बेहद गरीबी और पैसों के अभाव के बावजूद सामाजिक ताने-बाने को तोड़ते हुए मां बाप ने जिस तरह उसका हौसला बढ़ाया, जिस तरह कोई कमी नहीं होने दी, वह बेमिसाल है. इसके साथ ही कोच अजय यादव ने उसके हुनर को तराशने के लिए जिस तरह दिन रात कड़ी मेहनत की, यह उसी का नतीजा है कि आज वह देश के लिए वर्ल्ड कप खेलने जा रही है.
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