Prayagraj News: संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में गंगा (Ganga) और यमुना (Yamuna) दोनों ही नदियों का जलस्तर एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगा है. यहां दोनों नदियां तकरीबन 3 से 4 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही है. हालांकि दोनों नदियां अब भी खतरे के निशान से करीब डेढ़ मीटर नीचे ही है. नदियों का जलस्तर जिस रफ्तार से बढ़ रहा है, उससे प्रयागराज के एक बार फिर से बाढ़ के पानी में डूबने का खतरा मंडराने लगा है. अगर नदियां इसी रफ्तार से बढ़ती रहे तो दो दिनों बाद यहां खतरे का निशान पार हो सकता है. हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि देर रात से नदियों के बढ़ने की रफ्तार धीमी हो सकती है. मध्य प्रदेश व दूसरी जगहों की नदियों से छोड़े गए पानी के चलते प्रयागराज में गंगा और यमुना का जलस्तर बढ़ रहा है.


नदियों का जलस्तर बढ़ने से सड़कें और रास्ते डूबे
नदियों का जलस्तर बढ़ने से गंगा किनारे के कई तटीय इलाकों में बाढ़ का पानी घुसने लगा है. तमाम सड़कें और रास्ते बाढ़ के पानी में डूब गए हैं. कुछ एक मोहल्लों में बाढ़ का पानी घरों में घुसने लगा है. इससे लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीण इलाकों की बात करें तो कई गांवों का संपर्क बाहरी दुनिया से कटने लगा है. प्रशासन लगातार हालात पर नजर बनाए हुए है. चौबीसों घंटे हालात की मॉनिटरिंग की जा रही है. मदद के लिए अब एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को भी बुला लिया गया है. हालांकि अभी बड़े पैमाने पर राहत और बचाव कार्य की फिलहाल कोई बड़ी जरूरत नहीं है. प्रशासन के बड़े अधिकारी लगातार खुद फील्ड पर उतर कर हालात का जायजा लेने में जुटे हुए हैं.


मठों-मंदिरों और आश्रमों में भी बाढ़ का पानी घुसा 
बाढ़ का सबसे ज्यादा असर संगम और उसके आसपास के इलाकों में पड़ रहा है, जहां संगम जाने वाले तकरीबन सभी रास्ते नदियों की बाढ़ के पानी में समा गए है.  जिन सड़कों पर कुछ दिनों पहले तक वाहन फर्राटा भरते थे वहां आज नावें चल रही है. संगम के नजदीक के तमाम मठों-मंदिरों और आश्रमों में बाढ़ का पानी घुस गया है. कई मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए हैं. इससे लोगों की आस्था भी प्रभावित हो रही है. तमाम लोगों को सड़कों पर बह रहे गंगाजल में ही आस्था की डुबकी लगानी पड़ रही है. वैसे प्रयागराज में हर साल इसी तरह से बाढ़ आती है. इसी तरह से करीब महीने भर तक सरकारी अमले को जूझना पड़ता है. इन सब के बावजूद यहां बाढ़ की समस्या से निपटने के कोई स्थाई इंतजाम नहीं किए जाते. पिछले कई दशकों से खासकर शहरी इलाकों में नदियों के दोनों तरफ बांध बनाए जाने की मांग जोर शोर से की जा रही है, लेकिन इसकी घोषणा सिर्फ वायदों तक ही सीमित होकर रह जाती है और प्रयागराज को हर साल इसी तरह बाढ़ की तबाही से जूझना पड़ता है.


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