(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Prayagraj News: धर्मांतरण मामले में शुआट्स के कुलपति को आत्मसमर्पण करने का निर्देश, कोर्ट ने दी तारीख
Shuats News: प्राथमिकी रद्द करने से इनकार करते हुए अदालत ने कहा कि प्राथमिकी में लगाए गए आरोप अत्यंत गंभीर और भयावह प्रकृति हैं क्योंकि आरोपी याचिकाकर्ताओं ने अपनी वित्तीय स्थिति का दुरुपयोग किया.
सैम हिगिनबॉटम युनिवर्सिटी ऑफ एग्रिकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंस (शुआट्स) के कुलपति और अन्य उच्च अधिकारियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन अधिकारियों को 20 दिसंबर को या इससे पूर्व अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर नियमित जमानत की अर्जी दायर करने को कहा है.
शुआट्स के कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल (आरबी लाल), निदेशक विनोद बिहारी लाल और चार अन्य अधिकारियों द्वारा दायर रिट याचिका निस्तारित करते हुए न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की पीठ ने कहा, ‘‘कोई गिरजाघर, मंदिर या मस्जिद इस तरह के कदाचार की अनुमति नहीं देगा.’’
शुआट्स के कुलपति और अन्य अधिकारी पर एक महिला को नौकरी और अन्य सुविधाओं का लालच देकर ईसाई धर्म अपनाने के लिए बाध्य करने का आरोप है.
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अदालत ने कहा, ‘‘अगर कोई स्वेच्छा से दूसरा धर्म अपनाता है तो यह एकदम अलग मुद्दा है. मौजूदा मामले में एक युवती को उपहार, कपड़े और अन्य भौतिक सुविधाएं देकर ईसाई बनाया गया जोकि एक अक्षम्य अपराध है.”
पीड़िता ने शुआट्स के इन अधिकारियों के खिलाफ चार नवंबर, 2023 को हमीरपुर जिले के बेवर पुलिस थाना में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (डी) (सामूहिक दुष्कर्म) और अन्य धाराओं और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई थी.
प्राथमिकी में आरोप है कि युवती निम्न मध्यम वर्ग से है और एक अन्य महिला द्वारा उसे फंसाया गया जो उसे नियमित गिरिजाघर ले जाती थी. शुआट्स के कुलपति आरबी लाल सहित ये आरोपी उसका यौन उत्पीड़न करते थे और अन्य महिलाओं को धर्म परिवर्तन एवं अन्य अवैध कार्यों के लिए लाने के दबाव बनाते थे.
इन याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि पीड़िता को शुआट्स में नौकरी की पेशकश की गई थी और 2022 में उसे नौकरी से हटा दिया गया था जिसका बदला लेने के लिए उसने प्राथमिकी में मनगढ़ंत कहानी कही है.
प्राथमिकी रद्द करने से इनकार करते हुए अदालत ने कहा कि प्राथमिकी में लगाए गए आरोप अत्यंत गंभीर और भयावह प्रकृति हैं क्योंकि आरोपी याचिकाकर्ताओं ने अपनी वित्तीय स्थिति का दुरुपयोग किया.
अदालत ने हमीरपुर के पुलिस अधीक्षक को अत्यधिक पारदर्शिता के साथ तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा की जा रही जांच पर व्यक्तिगत तौर पर नजर रखने और 90 दिनों के भीतर संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया.