Prayagraj News: प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर कुछ शंकराचार्यों सवालिया निशान खड़े किये जाने पर संगम नगरी प्रयागराज में मौजूद साधु संतों ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए इसे अनुचित करार दिया है. गोवर्धन पीठ के प्रमुख धर्माचार्य जगतगुरु स्वामी अधोक्षजानंद सरस्वती का कहना है कि सनातन धर्मियों का 500 साल पुराना सपना साकार होने का मौका उत्सव मनाने का है, ना कि समारोह में कमियां खोजने और इसमें अड़चन लगाने का, जो भी लोग अलग-अलग बहाने बनाकर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में विघ्न डालने का काम कर रहे हैं, वह ना तो संत महात्मा और धर्माचार्य हो सकते हैं और ना ही राम भक्त. ऐसा करने वालों को ना तो इतिहास कभी माफ करेगा और ना ही राम भक्त सनातनी.
स्वामी अधोक्षजानंद सरस्वती ने ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा लगातार सवालिया निशान खड़े किए जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि उन्हें ऐसा करने का कोई अधिकार ही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने उनके पट्टाभिषेक और चादरपोशी पर रोक लगाई थी. ज्योतिषपीठ का मामला अभी कोर्ट में पेंडिंग है. इसके बावजूद वह खुद को शंकराचार्य बताते हैं. धर्म के नाम पर यह जबरदस्ती अनुचित और अदालत की अवमानना है. यही वजह है कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के आयोजन से जुड़े लोगों ने यह साफ़ कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट की रोक के चलते स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को कार्यक्रम में शामिल होने का औपचारिक आमंत्रण दिया ही नहीं गया है. जब उन्हे आमंत्रित ही नहीं किया गया है तो वह बहिष्कार का दावा कैसे कर सकते हैं.
'कांग्रेस की भाषा बोल रहें अविमुक्तेश्वरानंद'
स्वामी अधोक्षजानंद सरस्वती ने कहा है कि अविमुक्तेश्वरानंद वही भाषा बोल रहे हैं जो भाषा कांग्रेस पार्टी के लोग राम मंदिर को लेकर हमेशा से बोलते रहे हैं. जहां भगवान का काम हो रहा है वहां मुहूर्त और समय नहीं देखा जाता. उनके मुताबिक पीएम नरेंद्र मोदी ही प्राण प्रतिष्ठा समारोह के सबसे उपयुक्त व्यक्ति इसलिए हैं. क्योंकि वह सवा सौ करोड़ से ज्यादा भारतीयों के चुने हुए प्रधानमंत्री हैं. वह खुद को देश का प्रधान सेवक बताते हैं. राम मंदिर निर्माण का रास्ता उन्हीं के कार्यकाल में साफ हुआ है. मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर वह खुद अनुष्ठान कर रहे हैं. उनसे बेहतर कोई दूसरा व्यक्ति हो ही नहीं सकता है.
'भारतवर्ष बनना चाहता था इस पल साक्षी'
स्वामी अधोक्षजानंद सरस्वती के मुताबिक अविमुक्तेश्वरानंद को छोड़कर बाकी किसी शंकराचार्य ने ना तो कोई आपत्ति की है और ना ही सवाल खड़े किए हैं. जिन शंकराचार्यों का नाम लेकर विरोध करने का दावा किया जा रहा था उन्होंने भी इसका खंडन कर दिया है. ऐसे में सभी को एकजुट होकर उत्सव मनाना चाहिए. उन्होंने कहा है कि वह अपने तमाम अनुयायियों के साथ अगले हफ्ते अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करेंगे. उनके मुताबिक इस पल का साक्षी पूरा भारतवर्ष बनना चाहता था, लेकिन किसी भी समारोह में निश्चित संख्या में ही लोगों को बुलाया जा सकता है, इसलिए चुनिंदा लोगों को ही आमंत्रित किया गया है.
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