अब सीबीसीआईडी लगाएगी पुलिस कस्टडी से लापता हुए बीएचयू छात्र का पता, यूपी सरकार ने ट्रांसफर की जांच
कयास लगाए जा रहे हैं कि यूपी सरकार ने सीबीआई जांच से बचने के लिए इस मामले की सीबीसीआईडी जांच के आदेश दिए हैं.
वाराणसी में बीएचयू के छात्र शिव कुमार त्रिवेदी के पुलिस कस्टडी से लापता होने के मामले की जांच अब सीबीसीआईडी करेगी. इस बारे में यूपी सरकार ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. जांच सीबीसीआईडी को ट्रांसफर किये जाने की जानकारी वाराणसी के एसपी सिटी विकास त्रिपाठी ने आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दी. उन्होंने यूपी सरकार द्वारा 29 अक्टूबर को जारी किये गए नोटिफिकेशन की कॉपी भी कोर्ट में पेश की. कयास लगाए जा रहे हैं कि यूपी सरकार ने सीबीआई जांच से बचने के लिए इस मामले की सीबीसीआईडी जांच के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि हाईकोर्ट पहले ही इस मामले में वाराणसी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े करते हुए उसे कड़ी फटकार लगा चुकी है.
पुलिस पर पीड़ित परिवार को धमकाने का आरोप
बता दें कि सीबीसीआईडी को अगले साल चार जनवरी को हाईकोर्ट में अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट दाखिल करनी होगी. अदालत उसी दिन फिर से इस मामले में सुनवाई करेगी. दूसरी तरफ लापता शिव त्रिवेदी के परिवार वालों ने पुलिस पर धमकाने और केस वापस लेने का दबाव डाले जाने का आरोप लगाया है. पिता प्रदीप कुमार त्रिवेदी का कहना है कि अगली सुनवाई पर वह कोर्ट से सीबीआई जांच का आदेश दिए जाने की गुहार लगाएंगे. इस मामले में लंका थाने के पांच पुलिस कर्मियों को पहले ही लाइन हाजिर किया जा चुका है. हाईकोर्ट में आज इस मामले की सुनवाई जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच में हुई.
पुलिस कस्टडी से लापता हो गया था छात्र
गौरतलब है कि बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से बीएससी सेकेंड इयर की पढ़ाई कर रहे छात्र शिव कुमार त्रिवेदी को वाराणसी पुलिस ने इसी साल बारह फरवरी को किसी विवाद में हिरासत में लिया था. पुलिस उसे लंका थाने ले आई थी. लंका थाने में रखे जाने के बाद से उसका कोई पता नहीं चल सका है. शिव साधारण परिवार का लड़का था, इसलिए परिवार वाले उसे लेकर ज़्यादा पैरवी नहीं कर सके.हाईकोर्ट में दो महीने से चल रही थी मामले की सुनवाई
वाराणसी के रहने वाले हाईकोर्ट के वकील सौरभ तिवारी ने इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी थी और उनसे इस मामले में दखल देने की गुहार लगाई थी. जिसके बाद चीफ जस्टिस ने इस लेटर को पीआईएल के तौर पर मंजूर करते हुए सुनवाई करने के निर्देश दिए थे. हाईकोर्ट में पिछले दो महीनों से इस मामले में सुनवाई चल रही थी. आशंका जताई जा रही है कि सीबीआई जांच से बचने के लिए ही यूपी सरकार ने मामला सीबीसीआईडी को ट्रांसफर कर दिया है.
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