प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के छोटे कस्बों और गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी का कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यूपी के छोटे कस्बों और गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर जो टिप्पणी की है वो बिल्कुल सही है. उन्होंने कहा है कि यूपी के छोटे कस्बों और गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं वाकई राम भरोसे हैं. 


यूपी सरकार का चेहरा बेनकाब हो जाएगा
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल नहीं खुलते हैं. जहां पर अस्पताल खुलते हैं वहां डॉक्टर तैनात नहीं हैं. जहां डॉक्टर तैनात हैं वो रात में पीएचसी और सीएचसी पर रुकते नहीं है और जहां डॉक्टर रुकते हैं वहां पर दवाएं नहीं हैं. इसके साथ ही कोरोना से लड़ने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी डॉक्टरों के पास ना ऑक्सीजन है और ना ही दवाएं. उन्होंने कहा कि अगर हाईकोर्ट राज्य सरकार से ये जानकारी मांग ले कि पिछले 4 साल में कितने डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के पद रिक्त हुए और डॉक्टरों और पैरामेडिकल की कितनी आवश्यकता है, और कितने नियुक्त हुए तो यूपी सरकार का चेहरा बेनकाब हो जाएगा. 


भयंकर परिणाम भुगतने होंगे
कांग्रेस नेता ने कहा है कि बीजेपी सरकार को कांग्रेस सरकार का धन्यवाद देना चाहिए. क्योंकि कांग्रेस के शासनकाल में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जो पैसा दिया गया था उस पैसे से संविदा पर डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती की गई थी. जिनके भरोसे आज प्रदेश की पीएचसी और सीएचसी की स्वास्थ्य सेवाएं चल रही हैं. कांग्रेस नेता ने कहा है कि ये सच्चाई है कि गांव में अगर ग्रामीण जी रहे हैं तो भगवान भरोसे ही जी रहे हैं. इलाज के नाम पर लोग रात में सोते हैं और सुबह कहते हैं कि सांस फूल रही है, लोग कोरोन संक्रमण से मर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि अगर सरकार नहीं जागी तो कोरोना की तीसरी लहर आने पर इससे भी भयंकर परिणाम भुगतने होंगे.


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