Prayagraj Magh Mela: माघ मेला पर छाए संकट के बादल, गंगा का जलस्तर बढ़ने से दो तिहाई से ज्यादा हिस्सों में मेले की तैयारियां हुई प्रभावित
Magh Mela: हर साल जहां तम्बुओं का शहर बसाया जाता है वहां इस बार गंगा का पानी बह रहा है. जिससे दो तिहाई से ज़्यादा हिस्से में अभी तक मेले की तैयारियां शुरू भी नहीं की जा सकी हैं.
Prayagraj News: संगम नगरी प्रयागराज में हर साल माघ के महीने में गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी के तट पर लगने वाले आस्था के सबसे बड़े मेले के आयोजन पर इस बार संकट के बादल मंडरा रहे हैं. दरअसल माघ मेले में आने वाले लाखों कल्पवासियों, संत-महात्माओं और श्रद्धालुओं के लिए गंगा की रेती पर अस्थाई तौर पर अलग से तम्बुओं का शहर आबाद किया जाता है, लेकिन जिस जगह ये मेला बसता है, वहां इस बार अब भी गंगा का पानी बह रहा है. गंगा के बढ़े हुए जलस्तर से दो तिहाई से ज़्यादा हिस्से में अभी तक तैयारियां शुरू भी नहीं की जा सकी हैं.
हर साल 5 लाख श्रद्धालु होते हैं शामिल
गंगा मइया के बदले हुए स्वरुप से सरकार और प्रशासनिक अफसरों के साथ ही संगम के तीर्थ पुरोहित और श्रद्धालु सभी चिंता में है. वैसे हालात बेहद मुश्किल होने के बावजूद सरकार ने यह साफ़ कर दिया है कि चुनावी साल में मेले का आयोजन हर हाल में होगा, भले ही उसका स्वरुप क्यों ना बदलना पड़े. इस मेले में हर साल तकरीबन पांच लाख संत-महात्मा और श्रद्धालु कल्पवास करते हैं, जबकि पूरे मेले में देश -दुनिया के करीब चार करोड़ श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर अपने लिए मोक्ष की कामना करते हैं.
मेले में मिलती हैं ये सुविधाएं
दरअसल, प्रयागराज में संगम की रेती पर हर साल माघ के महीने में आस्था का ऐसा मेला लगता है, जिसके लिए अलग से तम्बुओं का शहर आबाद करना पड़ता है. लोहे की चकर्ड प्लेट्स के ज़रिये सड़कें बनाई जाती हैं तो पीपे के आधा दर्जन पुलों से लोग नदी पार करते हैं. आस्था के इस मेले में अस्पताल-बाज़ार-पुलिस थाने से लेकर ज़्यादातर सरकारी विभागों के वो दफ्तर भी होते हैं, जो किसी शहर के लिए ज़रूरी होते हैं. बिजली-पानी और शौचालय के भी विशेष इंतजाम किए जाते हैं, लेकिन तम्बुओं का शहर गंगा की रेती पर जिस जगह आबाद किया जाता है, वहां इस बार या तो मोक्षदायिनी गंगा की धारा प्रवाहित हो रही है या फिर कुछ दिनों पहले पानी भरा होने से मिट्टी दलदल बनी हुई है. ऐसे में माघ मेले के आयोजन की तैयारियां शुरू तक नहीं हो पा रही हैं.
हर साल सितम्बर के पहले और दूसरे हफ्ते में बाढ़ का पानी थमने के बाद गंगा की धारा सिमट जाती थी, लेकिन इस बार पीछे से लगातार पानी छोड़े जाने की वजह से ना सिर्फ जलस्तर बढ़ा हुआ है, बल्कि गंगा का पाट भी काफी फैला हुआ है. प्रयागराज के डीएम संजय खत्री के मुताबिक़ गंगा के बदले हुए स्वरुप की वजह से इस बार आयोजन में खासी दिक्कतें ज़रूर हो रही हैं, लेकिन सीएम योगी और उनकी सरकार की मंशा के मुताबिक़ मेले का आयोजन हर हाल में होगा. क्योंकि ऐसा नहीं हुई तो श्रद्धालुओं का संकल्प खंडित हो जाएगा और उनका कल्पवास ख़त्म हो जाएगा, इसलिए दिन रात लगातार काम कराकर मेला ज़रूर कराया जाएगा.
लोगों का विश्वास गंगा मईया करेंगी चमत्कार
इसके साथ ही संतों और श्रद्धालुओं को बेहतर से बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने की भी कोशिश की जा रही है. शनि धाम पीठाधीश्वर आचार्य प्रवीण मिश्र, तीर्थ पुरोहित प्रदीप पांडेय और धर्म से जुड़ी स्वाति गुप्ता का कहना है कि उन्हें तो अब गंगा मैया से ही चमत्कार ही उम्मीद है. वो अपने भक्तों को कतई निराश नहीं करेगी और कुछ ऐसा ज़रूर करेंगी, जिससे लोगों की आस्था प्रभावित न हो.
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