Maha Kumbh 2025: महाकुंभ के पहले अमृत स्नान मकर संक्रांति पर्व पर मंगलवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं और संतों ने आस्था की डुबकी लगाई. श्रद्धालुओं की प्राथमिकता ‘संगम नोज’ रहा, जहां पर अखाड़ों के संतों और गुरुओं ने भी स्नान किया. ‘संगम नोज’ पर एक तरफ जहां अखाड़ों के संत आरक्षित स्थान पर स्नान कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ श्रद्धालु भी ‘संगम नोज’ पर स्नान कर पा रहे थे.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ये सिंचाई विभाग की यांत्रिक शाखा यांत्रिक बैराज यांत्रिक खंड अनुरक्षण, वाराणसी के प्रयासों से मुमकिन हुआ. इसके मुताबिक, टीम ने शास्त्री ब्रिज और ‘संगम नोज’ के बीच 26 हेक्टेयर भूमि का विस्तार किया, जिसमें ‘संगम नोज’ पर दो हेक्टेयर भूमि को केवल 85 दिनों में तीन पालियों में चौबीसों घंटे काम करके जोड़ा गया.
बयान के मुताबिक, 1650 मी. क्षेत्र में बालू की बोरी लगाकर अस्थाई घाटों का निर्माण किया गया, जिससे पूरे संगम क्षेत्र में एक साथ अधिक श्रद्धालु स्नान कर पाने में सक्षम हुए.
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85 दिन में खत्म हुआ काम
सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता (सज्जा एवं सामग्री प्रबंध) उपेन्द्र सिंह ने बताया कि अधिशासी अभियंता बैराज यांत्रिक अनुरक्षण खंड वाराणसी सुजीत कुमार सिंह व उनकी टीम द्वारा चार बड़ी ड्रेजिंग मशीनों की सहायता से 85 दिनों में इस कार्य को संपन्न कराया गया.
उन्होंने बताया कि 2019 में ‘संगम नोज’ की क्षमता 50 हजार श्रद्धालु प्रति घंटा स्नान की थी, जबकि अब यहां दो लाख से ज्यादा लोग प्रति घंटे स्नान कर सकते हैं. यह पहले की तुलना में तीन गुना है.
सोमवार को पौष पूर्णिमा के प्रथम स्नान पर्व और मंगलवार को पहले अमृत स्नान पर साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा लोगों ने स्नान किया. सर्वाधिक लोगों ने ‘संगम नोज’ पर ही स्नान को प्राथमिकता दी. सोमवार देर रात से ही ‘संगम नोज’ पर भीड़ जुटने लगी.