प्रयागराज स्थित श्रृंगी ऋषि तपस्या स्थल, जहां पैदल पहुंचे थे दशरथ, भगवान राम से है खास कनेक्शन
Mahakumbh 2025: मान्यता है कि भगवान राम के जन्म से पहले अयोध्या के राजा दशरथ पुत्र कामना के साथ इस जगह पर पैदल आए थे, जिसके बाद श्रृंगी ऋषि ने उनके लिए पुत्रेष्टी यज्ञ किया था.
Mahakumbh 2025: प्रयागराज में अगले साल होने वाले महाकुंभ को लेकर जोरों-शोरों से तैयारियां की जा रही है. इस मौके पर एबीपी न्यूज आपको प्रयागराज के पौराणिक तीर्थ स्थलों के बारे में जानकारी दे रहे हैं. इसी क्रम में आज हम श्रृंगी ऋषि तपस्या स्थल के बारे में बताएंगे. ये वो स्थान हैं जहां प्रभु राम के जन्म से पहले श्रृंगी ऋषि ने तपस्या की थी.
मान्यता है कि भगवान राम के जन्म से पहले अयोध्या के राजा दशरथ पुत्र कामना के साथ इस जगह पर पैदल आए थे, जिसके बाद श्रृंगी ऋषि ने उनके लिए पुत्रेष्टी यज्ञ किया था. कहा ये भी जाता है कि भगवान राम की एक बहन थीं जिनका नाम शांता था. राजा दशरथ ने अपनी बेटी शांता को श्रृंगी ऋषि को सौंप दिया था.
राम के जन्म से पहले की तपस्या
शृंगी ऋषि का तपस्या स्थल ही वो जगह है जहां श्रृंगी ऋषि ने ही राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ किया था जिसके बाद दशरथ जी को चार पुत्र राम, लक्ष्मण, भरत शत्रुघ्न हुए थे. श्रृंगी ऋषि ने इसी गुफा में दस हजार साल तक तपस्या की थी. दुर्गम स्थल होने के कारण अब तक ये तीर्थ उपेक्षित ही रहा है लेकिन, महाकुंभ के मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार ने अब इसे राम वन गमन पथ के प्रॉजेक्ट से जोड़ दिया है. जिससे इस स्थल को एक पर्यटक स्थल के रूप में भी डेवलप किया जाएगा.
श्रृंगी ऋषि तपस्या तीर्थ पर एक आश्रम भी है जो दुनिया का एक मात्र ऐसा स्थल बन गया गई जहां पिछले तीन दशकों से लगातार दिन रात सीता-राम के नाम का जाप चल रहा है. ये नाम जाप अनवरत चलता रहता है और इसके संयोजक महंत जयराम दास का संकल्प है कि ये भविष्य में कभी भी नहीं रुकेगा. ये नाम पिछले 33 वर्षों से लगातार चल रहा है. यहां रोज शाम से रात तक भंडारा होता है.
आश्रम के पास ऐसे 365 भक्तों की सूची है जिन्होंने साल में एक निश्चित दिन यहां भंडारा करने का संकल्प ले रखा है. यहां एक या अधिक भक्त हर समय सीता राम का जाप करते रहते हैं. भंडारे के वक्त करीब दो सौ लोग नाम जाप में शामिल होते हैं. श्रृंगी ऋषि के समय यहां विशाल गौशाला होती थी. आज भी यहां दो सौ गायों की गौशाला है इसीलिए इस इस आश्रम को गऊघाट आश्रम भी कहते हैं.
प्रयागराज में शृंगी ऋषि का तपस्या स्थल के अलावा नागवासुकी, राम केवट मिलन स्थल और राम शयन स्थल जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थित है. यूपी सरकार इन सभी स्थलों को तीर्थ स्थल बनाने की क़वायद में जुट गई है.
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