प्रयागराज: यूजीसी की तरफ से विश्वविद्यालयों के अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा अनिवार्य किए जाने के फैसले का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है. परीक्षा कराए जाने के बजाय छात्रों को पास घोषित किए जाने की मांग को लेकर इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुछ छात्र पिछले दो दिनों से अनशन पर बैठे हुए हैं. समाजवादी छात्र सभा से जुड़े ये छात्र यूनिवर्सिटी कैम्पस में छात्रसंघ भवन पर अनशन पर बैठे हुए हैं.


छात्रों का कहना है कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी में ज्यादातर छात्र दूसरे जिलों या प्रदेशों से आकर पढ़ाई करते हैं. ऐसे में इम्तहान होने पर उन्हें न सिर्फ यहां आना पड़ेगा, बल्कि भीड़ होने पर छात्रों-शिक्षकों और कर्मचारियों में संक्रमण का खतरा भी पैदा होगा. छात्रों ने परीक्षा कराए बिना ही सभी को प्रमोट और पास घोषित किए जाने की मांग की है. अनशन पर बैठे छात्रों ने इसके साथ ही ऑनलाइन पढ़ाई होने पर सभी स्टूडेंट्स को मुफ्त लैपटॉप और रोज 2 जीबी डेटा दिए जाने की भी मांग की है.


अंतिम वर्ष और सेमेस्टर की परीक्षा कराए जाने के फैसले के विरोध में समाजवादी छात्रसभा के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को भी प्रदेश सरकार और यूजीसी का पुतला फूंकते हुए और प्रदर्शन किया था. छात्रों ने कहा कि जब पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है, तब देश और प्रदेश में परीक्षा कराके छात्र-छात्राओं की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है.


बता दें कि, हाल ही में यूजीसी की ओर से जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक, विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं सितंबर के अंत तक आयोजित होंगी. दिशा निर्देश में कहा गया है कि विश्वविद्यालय या फिर संस्थान की तरफ से अंतिम वर्ष की परीक्षाएं ऑनलाइन, ऑफलाइन या दोनों माध्यमों से करायी जाएंगी.


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