UP News: संगम नगरी प्रयागराज के जिला अस्पताल में तैनात करोड़पति स्वीपर सुधीर कुमार की टीबी की बीमारी से मौत हो गई. सुधीर कुमार के बैंक एकाउंट में तकरीबन एक करोड़ रुपये थे. वह पिछले कई सालों से टीबी की बीमारी की चपेट में था, लेकिन पैसा बचाने के फेर में वह कभी अपना इलाज नहीं कराता था. स्वास्थ्य महकमे में होने के बावजूद उसे लगता था कि सरकारी अस्पताल में फ्री इलाज के बावजूद उसका कुछ पैसा खर्च हो जाएगा. 32 साल का सुधीर पिछले ग्यारह सालों से नौकरी कर रहा था. उसने अपनी सैलरी का एक भी पैसा कभी बैंक अकाउंट से नहीं निकाला था. इसके अलावा मां को मिलने वाली पेंशन की बची हुई रकम को भी वह बैंक एकाउंट में जमा कर देता था.
सुधीर काफी मेहनती कर्मचारी था. अपनी मेहनत व व्यवहार से वह अस्पताल से लेकर सीएमओ दफ्तर तक के अफसरों व कर्मचारियों का चहेता था. अफसरों से वह पैसे मांगकर अपना निजी खर्च चला लेता था. अस्पताल में उसकी कंजूसी के किस्से खूब सुर्ख़ियों में रहते थे.
हालांकि जिस अस्पताल में वह फोर्थ क्लास का स्टाफ था, वहां से उसे तबीयत बिगड़ने के बाद मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया था. मेडिकल कालेज में भी उसका मुफ्त इलाज हो रहा था, लेकिन छोटे - मोटे खर्च के पैसे बचाने के लिए वह जबरन अस्पताल से भाग आया था.
सुधीर की मौत से जिला अस्पताल से लेकर सीएमओ आफिस तक मातम मचा हुआ है. हर कोई उसकी मौत से सदमे से है. हालांकि उसकी मौत से ज़्यादा चर्चे उसके करोड़पति होने और उसकी कंजूसी को लेकर है. हर कोई इसी बात की चर्चा कर रहा है कि अगर उसने कंजूसी नहीं दिखाई होती और अपना इलाज करा लिया होता तो शायद उसकी मौत न होती.
सुधीर कुमार प्रयागराज के टीबी सप्रू जिला अस्पताल में स्वीपर था. तकरीबन तेरह साल पहले पिता की मौत के बाद उसे मृतक आश्रित कोटे में नौकरी मिली थी. पिता की मौत के बाद मिलने वाली एकमुश्त सरकारी रकम उसके बैंक अकाउंट में डाल दी थी. इसी एकाउंट में उसकी सैलरी भी आती थी. उसका अकाउंट स्टेट बैंक आफ इंडिया में था.
सुधीर के बैंक खाते में एक करोड़ रूपये से ज़्यादा की रकम है. इसकी जानकारी विभाग के लोगों को तब हुई थी, जब बैंक के कर्मचारी कुछ दिन पहले सुधीर को ढूंढते हुए अस्पताल तक आए थे. तब से उसे करोड़पति स्वीपर कहकर बुलाया जाता था. हालांकि करोड़पति होने के बावजूद वह कभी एक भी पैसे खर्च नहीं करता था. सुधीर अस्पताल के ही सर्वेंट क्वार्टर में अपनी मां व बीमार बहन के साथ रहता था. कंजूसी की वजह से ही उसने अभी तक शादी नहीं की थी. सुधीर की बहन की भी शादी नहीं हुई है. सुधीर की मौत के बाद से उसकी कंजूसी के किस्से और चर्चा का सबब बने हुए हैं.
जिला टीबी अधिकारी/ डिप्टी सीएमओ डॉ. राजेश सिंह ने बताया कि वो पिछले आठ सालों से नौकरी कर रहा था मृतक आश्रित कोटे से लगा था उसके पिता भी डिएलओ ऑफिस में जो प्रयागराज सीएमओ साहब के अंतर्गत आता है उनके अंतर्गत वो स्वीपर कम चौकीदार के रूप में अपने पिता की मृत्यु के उपरांत उसको जगह मिली थी बहुत अच्छा लड़का था मेहनती था. उसको टीबी की बीमारी थी, थोड़ा सा माइजर टाइप का था पैसा खर्च नहीं करता था, उसको दवाई भी दिलाई जाती थी लेकिन वो लापरवाही करता था दैनिक जीवन का काम वो बढ़िया से करता था, साफ सफाई करता था, हॉस्पिटल ऑफिस जहां भी आता था पूरे काम करता था, कार्य के प्रति बहुत निष्ठावान व्यक्ति था.
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