Prayagraj News: प्रयागराज में हुए हैं 30 हजार से ज्यादा अवैध निर्माण, लिस्ट आने के बाद मचा हड़कंप
UP News: प्रयागराज के शहरी इलाके में तकरीबन एक लाख 90 हज़ार मकान हैं. इनमे से 60 से 70 फीसदी ऐसे हैं, जिनके निर्माण के लिए न तो विकास प्राधिकरण से मंजूरी ली गई है और न ही नक्शा पास कराया गया है.
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Prayagraj News: यूपी की योगी सरकार ने सूबे में अवैध निर्माणों को लेकर अब कड़े कदम उठाए जाने का फैसला लिया है. इसके तहत नगर विकास विभाग ने 15 ऐसे शहरों की सूची जारी की है, जहां पांच हज़ार से ज़्यादा अवैध निर्माण हुए हैं. इन शहरों में सबसे पहला नाम संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) का है. सूची के मुताबिक़ प्रयागराज में 30 हजार से ज़्यादा अवैध निर्माण हुए हैं. हालांकि जानकारों का मानना है कि सरकारी रिकॉर्ड में दी गई यह संख्या हकीकत से काफी कम है. दरअसल प्रयागराज के शहरी इलाके में तकरीबन एक लाख 90 हज़ार मकान हैं. इनमे से 60 से 70 फीसदी ऐसे हैं, जिनके निर्माण के लिए न तो विकास प्राधिकरण से मंजूरी ली गई है और न ही नक्शा पास कराया गया है.
बहरहाल 30 हज़ार से ज़्यादा अवैध निर्माण की सूची आने के बाद से प्रयागराज में हड़कंप मच गया है. प्राधिकरण के अफसरान अब इन अवैध निर्माणों को लेकर मंथन करने में जुट गए हैं. विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अरविन्द सिंह चौहान के मुताबिक़ इन सभी को जल्द ही प्राधिकरण एक्ट के तहत नोटिस भेजा जाएगा. नोटिस का संतोषजनक जवाब देने वालों को शमन शुल्क जमाकर प्रक्रिया पूरी करने की हिदायत दी जाएगी. अगर फिर भी किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई तो ध्वस्तीकरण आदेश भी पारित किया जा सकता है.
ज़िम्मेदारी न निभाने वाले भी कम दोषी नहीं हैं
हालांकि बड़ा सवाल यह है कि अवैध निर्माण करने वालों पर तो शिकंजा कसेगा और उनके खिलाफ कार्रवाई भी होगी, लेकिन जिन लोगों पर इन अवैध निर्माणों को रोकने की ज़िम्मेदारी होती है और उन्होंने अपनी इस ज़िम्मेदारी को ठीक से नहीं निभाया तो उनके खिलाफ भी कोई एक्शन होगा क्या, क्योंकि अगर विकास प्राधिकरण के अफसरों व कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो शहर में अवैध निर्माण धड़ल्ले से होते रहेंगे. जो निर्माण अब होंगे, उन पर बाद में हाय तौबा मचेगी.
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अगर अवैध निर्माण करने वाले दोषी हैं तो उन्हें रोकने की ज़िम्मेदारी न निभाने वाले भी कम दोषी नहीं हैं. कांग्रेस पार्टी के नेता हसीब अहमद ने भी यही सवाल उठाए हैं. बहरहाल 30 हज़ार अवैध निर्माणों को कानूनी तौर पर दुरुस्त करना या उनके खिलाफ कार्रवाई करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. अब देखना यह होगा कि इस मामले में कुछ होता भी है या फिर उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है.
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