प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में दो युवा जोड़ों की शादी इन दिनों चर्चा का सबब बनी हुई है. इस अनूठी शादी में दूल्हा-दुल्हन के साथ उनके परिवार के लोग और चंद मेहमान भी थे, लेकिन न मंडप था न ढोल-नगाड़े, न नाच गाना हुआ और न ही शहनाइयां गूंजी. इतना ही नहीं, इस खास शादी में न तो फेरे हुए और न ही जयमाला हुई.
इस खास शादी में दूल्हों ने न तो सिर पर सेहरा बांध रखा था और न ही दूल्हनों ने लाल जोड़ा पहना था. मांग भराई और मुंह दिखाई की रस्में भी नहीं हुईं. शादी की पूरी रस्म भी महज दो से ढाई मिनट में ही अदा हो गई और इसके बाद जिंदगी भर एक-दूसरे का साथ निभाने का सिलसिला शुरू हो गया.
अलग अंदाज में हुई शादी
अपने जीवन में आपने बहुत सी शादियां देखी और सुनी होंगी. राजसी अंदाज में हुई कई शादियां तो आपको जिंदगी भर याद रहेंगी, लेकिन अब हम आपको जिस शादी के बारे में बताने जा रहे हैं, उसके बारे में आपने न तो पहले कभी देखा होगा और न ही सुना होगा. ये शादी प्रयागराज के चैथम लाइंस इलाके के एक साधारण से मकान में हुई.
दो मिनट में पूरी हुई शादी
इस मौके पर दूल्हे अविनाश ने जीवन भर अंजलि का साथ निभाने की कसम खाई और अमित ने शिवा का साथ निभाने की शपथ ली. सिर्फ दूल्हों ने ही नहीं बल्कि दुल्हन बनीं अंजलि और शिवा ने भी ली इसी कसम को लिया. इन्हीं की एक साथी ने शपथ बोलना शुरू किया और दूल्हा-दुल्हन बने चारों लोग अपने नाम की शपथ की एक-एक लाइन दुहराते चले गए.
दो से ढाई मिनट में शपथ पूरी होते ही शादी संपन्न हो गई और इसके बाद वहां मौजूद चुनिंदा मेहमानों ने दूल्हा-दुल्हन को मुबारकबाद और उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दीं. शपथ में सिर्फ एक दूसरे के सुख-दुख में साथ देने, भावनाओं का सम्मान करने और एक-दूसरे के प्रति समर्पित और ईमानदार रहने की ही बातें थीं.
छात्र संगठन के सदस्य हैं दोनों जोड़े
दरअसल, दोनों दूल्हे अविनाश, अमित और दूल्हनें अंजलि, शिवा प्रयागराज में ही रहकर पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते रहे हैं. चारों छात्र संगठन दिशा के सक्रिय सदस्य हैं. यह संगठन छात्रों को कुरीतियों और फिजूलखर्ची से बचने के लिए प्रेरित और जागरूक करता है. इन चारों ने जब परिवार वालों की सहमति से शादी का फैसला किया, तभी यह तय कर लिया था कि शादी के नाम पर न तो एक पैसे खर्च करेंगे और न ही कोई धार्मिक और पारम्परिक रस्में अदा करेंगे.
फिजूलखर्ची रोकने का दिया संदेश
सिर्फ चुनिंदा लाइनों की शपथ के साथ ही एक दूसरे को पति-पत्नी मानते हुए वैवाहिक जीवन की शुरुआत करना इनका उद्देश्य था. अपनी शादी को सामजिक मान्यता देने के लिए इन्होनें आगे चलकर इसके रजिस्ट्रेशन की बात जरूर कही है. इनका कहना है कि शादी में सिर्फ दिखावे के लिए फिजूलखर्ची की जाती है. इसके साथ ही बेवजह की तमाम रस्में अदा की जाती हैं. जीवन की गाड़ी इन रस्मों से नहीं बल्कि एक दूसरे के प्रति सम्मान और समर्पण से चलती है. इसीलिए न कोई समारोह, रस्म, फेरे, पंडित, दहेज और न ही किसी तरह की दावत दी गई. सिर्फ एक दूसरे का साथ निभाने की शपथ लेकर वैवाहिक जीवन की शुरुआत कर दी गई.
सोशल मीडिया पर हो रही शादी की चर्चा
शादी का यह तरीका सुनने में भले ही थोड़ा अटपटा लगता हो, लेकिन समाज में दहेज जैसी कुरीतियों, महज दिखावे के नाम पर होने वाली फिजूलखर्ची और कथित दकियानूसी रस्मों से बचने की यह मुहिम तमाम लोगों को खूब पसंद आ रही है. सोशल मीडिया पर इस अनूठी शादी की खूब चर्चा हो रही है. कई लोग इस मुहिम की तारीफ कर रहे हैं और इस पर अमल करने की बातें करने में भी कतई संकोच नहीं कर रहे हैं.
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