Umesh Pal Murder Story: प्रयागराज (Prayagraj) में 24 फरवरी को हुए चर्चित उमेश पाल (Umesh Pal) शूटआउट केस की सीसीटीवी फुटेज हमलावरों के खौफनाक इरादों की पूरी कहानी खुद ही बयां कर देती है, लेकिन एबीपी न्यूज पर दो दिन पहले वारदात की आखिरी लम्हों की 32 सेकंड की सीसीटीवी फुटेज दिखाई गई. ये सीसीटीवी फुटेज  जहां गोली लगने के बाद भी हमलावरों से जूझते उमेश पाल और उनके सरकारी गनर राघवेंद्र की हिम्मत दिखाते हैं. वहीं वारदात के वक्त उमेश पाल को बचाने पहुंची उनकी 13 साल की भतीजी की दहशत भी बयां करती हैं.


उस 32 सेकेंड में क्या कुछ हुआ. यह हम आपको पहले ही बता चुके  हैं, लेकिन अब हम आपको वारदात से लेकर उसके बाद की पूरी कहानी उमेश पाल के परिवार वालों की जुबानी बताएंगे. दरअसल, 24 फरवरी को उमेश पाल कचहरी से अपने मुकदमें की पैरवी करने के बाद जैसे ही घर की गली के बाहर पहुंचे, वहां पहले से मौजूद हमलावरों ने ताबड़तोड़ फायरिंग और बम बाजी शुरू कर दी.  कई गोली लगने के बाद भी उमेश पाल हिम्मत जुटाकर जब जान बचाने के लिए घर की गली में घुसने लगे तो वहां उन्हें एक शूटर ने दौड़ाकर पकड़ लिया और नजदीक से दो गोली मारी.


गोलियों की आवाज सुनकर भतीजी आई बाहर


शूटआउट की जगह से उमेश पाल का पुराना घर 10 से 15 मीटर की ही दूरी पर है. गोलियों की आवाज सुनकर उमेश पाल की 13 साल की भतीजी दरवाजा खोलकर बाहर निकली. वह उस जगह तक पहुंच गई जहां शूटर ने उमेश पाल को पकड़ रखा था और उन पर गोलियां बरसा रहा था. दावा यह किया जा रहा है कि यह शूटर अतीक अहमद का बेटा असद था. बहरहाल, उमेश पाल को इस हाल में देखकर वह डर गई और चाची चाची चिल्लाते हुए अगले ही पल घर की तरफ वापस लौट गई.


तब तक 7 गोलियां खा चुके उमेश पाल अपने पुराने घर में दाखिल होते हैं. इस बीच गोली लगने से जख्मी गनर राघवेंद्र गली में घुसता है जिस पर पीछे से गुड्डू मुस्लिम बम फेंक देता हैं. गोलियों की आवाज सुनने के बाद उमेश पाल की मां शांति देवी घर के दरवाजे तक आ जाती हैं. यहां उमेश पाल उनसे लिपट जाते हैं और उनके आखिरी शब्द रहते हैं अम्मा हमको मार डालिन. इसके बाद उमेश पाल बेसुध होकर गिर जाते हैं. उनकी पत्नी जया पाल दूसरे घर में सीसीटीवी के जरिए पूरा घटनाक्रम देखते हुए चिल्लाकर बाहर की तरफ भागती हैं. उनके सामने ही गनर राघवेंद्र पर बम फेंका जाता है. बदहवास जया पाल खून से लथपथ उमेश पाल को देखने के बाद अपने हाथ से उनका हाथ पकड़ लेती हैं.  


 भतीजी अब भी दहशत और सदमे में


उनके मुंह से सिर्फ यही शब्द निकलते हैं कि हाथ और साथ छोड़कर मत चले जाना. उमेश पाल एक नजर उनकी तरफ देखते हैं, लेकिन उनके मुंह से फिर कोई शब्द नहीं निकलता. उनकी सांस धीरे-धीरे उखड़ने लगती है. परिवार के लोग किसी तरह उन्हें नजदीक के अस्पताल ले जाते हैं, लेकिन तब तक वह जिंदगी की जंग हार चुके होते हैं. परिवार वालों के मुताबिक, शूटआउट के वक्त उमेश पाल के ठीक नजदीक पहुंचने वाली उनकी 13 साल की भतीजी अब भी दहशत और सदमे से उबर नहीं पाई है. वह लगातार चीख चीख कर रोती रहती है या फिर गुमसुम बैठी रहती है. वो ना तो ठीक से खाना खाती है और ना ही सोती है. परिवारवालों के मुताबिक उसकी हालत पागलों जैसी हो गई है. उसकी हालत देखकर अब दूसरे लोगों को चिंता सताने लगी है.


परिवार वालों को अब भी डर


उमेश पाल के परिवार वालों का कहना है कि उन्हें अब भी डर लग रहा है. डर और दहशत की वजह से वह घर से बाहर कदम रखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. परिवार वालों का कहना है कि जिस अतीक और अशरफ ने उमेश पाल को मौत की नींद सुलाया है उन्हें भी वैसी ही सजा मिलनी चाहिए. तभी उन्हें सुकून मिल सकेगा. परिवार वालों का कहना है कि 23 दिन बाद भी मामले का खुलासा ना होना चिंता का सबक जरूर है,  लेकिन उन्हें सीएम योगी और उनकी सरकार पर पूरा भरोसा भी है.


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