Dengue Cases in Uttar Pradesh: यूपी में संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में डेंगू (Dengue Cases in Prayagraj) के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर अफसरों को फटकार लगा चुका है. कोर्ट की फटकार के बाद सूबे के मुख्य सचिव और डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने खुद प्रयागराज आकर हालात की समीक्षा की है और अफसरों को ग्राउंड जीरो पर जाकर सक्रियता के साथ काम करने की हिदायत दी है. हालांकि कोर्ट की फटकार और सरकार के सख्त निर्देशों के बावजूद सरकारी अमला अब भी कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है. अब भी ज्यादातर काम सरकारी फाइलों तक ही सीमित हैं और ग्राउंड जीरो पर उनका कोई खास असर होता हुआ नजर नहीं आ रहा है.
सर्किट हाउस के पास गंदा पानी
प्रयागराज में सरकारी अमला कितना मुस्तैद हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां के सर्किट हाउस में जहां पर रोजाना दर्जनों वीआईपी आते हैं, वहां के पोर्टिको के खराब पड़े फाउंटेन में हफ्तों से गंदा पानी भरा हुआ है. फाउंटेन के पांड में ढेरों मच्छर मौजूद हैं. तमाम लोगों ने पान मसाले और पानी की खाली बोतलें भी इसमें फेंक रखी हैं. इसमें गंदगी का जमावड़ा है. इसी जगह से सर्किट हाउस में रुकने वाले सभी वीआईपी व यहां आने वाले दूसरे लोग कैंपस की मेन बिल्डिंग में प्रवेश करते हैं.
मंत्रियों, नेताओं और अफसरों के आने पर तमाम लोग यहां खड़े भी रहते हैं. सभी वीआईपी की गाड़ियां यही पार्क भी होती हैं. वीआईपी यहीं से अपनी गाड़ियों पर चढ़ते और उतरते हैं. पिछले दो दिनों में चीफ सेक्रेटरी से लेकर डिप्टी सीएम तक ने यहां पर डेंगू को लेकर अफसरों के साथ बैठक की है. इन दिनों कमिश्नर-डीएम -नगर आयुक्त और सीएमओ के साथ ही तमाम अफसरों का अच्छा खासा वक्त सर्किट हाउस में ही बीत रहा है. इसके बावजूद यहां के बंद पड़े खराब फाउंटेन के पांड में गंदा पानी जमा होना और कचरा पड़ा होना पूरे हकीकत को खुद ही बयान करता है.
सरकारी अमला लापरवाह
समझा जा सकता है कि जब सर्किट हाउस में मेन बिल्डिंग के एंट्री गेट के पास इस तरह के हालात हैं तो सरकारी अमला दूसरी जगहों पर किस तरह से साफ सफाई के इंतजाम करता होगा, किस तरह से एंटी लारवा का छिड़काव करता होगा, किस तरह दूसरे कीटनाशकों की फागिंग कराई जाती होगी, इसका अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है. कहा जा सकता है कि डेंगू की मार से जूझ रहे प्रयागराज के हालात को लेकर सरकार और कोर्ट तो गंभीर है, लेकिन अधिकारी कुम्भकर्णी नींद सोए हुए हैं और उन्होंने परेशान लोगों को राम भरोसे छोड़ दिया है. सरकारी अमले की इस लापरवाही को चिराग तले अंधेरा भी कहा जा सकता है.
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