यूपी (Uttar Pradesh) में माफियाओं के कब्जे से खाली हुई जमीन पर गरीबों के लिए सस्ते दाम पर मकान बनाए जाने के सीएम योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट पर संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में संकट के बादल मंडरा रहे हैं. प्रयागराज में इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर फिलहाल ब्रेक लग गया है और पिछले पचीस दिनों से काम ठप्प पड़ा है. यह ब्रेक महंगाई की वजह से लगा है. लखनऊ की जिस कंस्ट्रक्शन कंपनी को 76 फ्लैट बनाए जाने का ठेका दिया गया था, उसने सरिया-स्टील-ईंट-बालू और सीमेंट की कीमतों में बढ़ोत्तरी होने से अब तय कीमत पर काम करने से हाथ खड़े कर दिए हैं. हालांकि काम बंद होने की वजहें और भी हैं.
सरकारी अमले में मचा हड़कंप
बहरहाल सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट का काम ठप्प होने की खबरें सामने आने के बाद से सरकारी अमले में हड़कंप मचा हुआ है. प्रयागराज विकास प्राधिकरण के अफसर अब जैसे तैसे काम शुरू कराकर प्रोजेक्ट को आगे बढ़वाने की तैयारी में हैं. अफसर इस बारे में खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. उनका बस यही कहना है कि दिक्कतों को किसी भी तरह दूर कर प्रोजेक्ट को तय वक्त पर पूरा करा दिया जाएगा.
खुद सीएम ने किया था भूमि पूजन
दरअसल प्रयागराज में दिसंबर-2020 में हुए वकीलों के एक कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने माफियाओं के कब्जे से यूपी में तमाम जगहों पर खाली हुई जमीन पर गरीबों के लिए सस्ते दाम पर मकान बनाए जाने का एलान किया था. तत्कालीन कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह की पहल पर इस प्रोजेक्ट की शुरुआत छह महीने पहले प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद के कब्जे से लूकरगंज इलाके में खाली हुई जमीन पर की गई थी. 26 दिसंबर साल 2021 को खुद सीएम योगी ने प्रयागराज आकर इस जमीन पर भूमि पूजन और शिलान्यास किया था. इस जगह गरीबों के लिए बेहद कम कीमत पर 76 फ्लैट बनाए जाने थे.
25 दिन से काम पूरी तरह ठप्प
निर्माण का काम लखनऊ की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया. पहले जो नक्शा पास हुआ, विकास प्राधिकरण ने उसमें बाद में फेरबदल कर दिया. इतना ही नहीं इस दौरान निर्माण सामाग्रियों के दाम भी काफी बढ़ गए. कंस्ट्रक्शन कंपनी को तय समय पर किश्तों में भुगतान भी नहीं किया जा रहा था. ऐसे में कंपनी ने काम करने से इनकार कर दिया. पिछले तकरीबन पचीस दिनों से वहां काम पूरी तरह ठप्प था. यहां काम करने वाले मिस्त्रियों और मजदूरों ने दूसरी जगह काम शुरू कर दिया था.
कुछ देर के लिए काम शुरू कर फोटो खींची गई
इस बीच मीडिया को जानकारी होने पर सरकारी अमले में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में कंपनी के लोगों को बुलाकर कुछ देर के लिए काम शुरू कराते हुए उसकी तस्वीरें खींचीं गईं. अफसरों ने अब काम शुरू कराए जाने का दावा किया है. कंपनी को आश्वासन दिया गया है कि कोई रास्ता निकालकर उसका नुकसान नहीं होने दिया जाएगा. अफसर कभी सब कुछ ठीक होने का दावा करते हैं तो कभी प्रोजेक्ट अपने तय वक्त यानी दिसंबर महीने तक पूरा कर लिए जाने की बात करते हैं. साइट पर मिले मजदूरों ने भी अफसरों के दावों को झुठलाते हुए पचीस दिनों से काम बंद होने की बात कही.
प्रोजेक्ट पर मंडरा रहे संकट के बादल
कहा जा सकता है कि अफसरों ने फिलहाल डैमेज कंट्रोल करने की कवायद शुरू तो कर दी है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट समय पर पूरा हो पाएगा या नहीं. प्रोजेक्ट पर फिलहाल संकट के बदल मंडरा रहे हैं. खींचतान की वजह से पंद्रह जून से शुरू होने वाली बुकिंग भी अभी तक शुरू नहीं की जा सकी है. अफसरों का दावा है कि फ्लैट के लिए बुकिंग की प्रक्रिया एक हफ्ते में शुरू कर दी जाएगी.
रेलवे स्टेशन का भी होगा कायाकल्प
ढाई साल बाद लगने वाले कुंभ मेले से पहले शहर को चमकाने की तैयारी जोर-शोर से शुरू कर दी गई है. इसके तहत जहां शहर में विकास के तमाम काम कराए जा रहे हैं तो वहीं प्रयागराज के रेलवे स्टेशन का पूरी तरह से कायाकल्प किया जाना है. प्रयागराज के रेलवे स्टेशन को साढ़े आठ सौ करोड़ रूपये की लागत से संवारकर इसे वर्ल्ड क्लास का ऐसा रेलवे स्टेशन बनाया जाना है, जिसमे दुनिया के भव्य और हाइटेक एयरपोर्ट जैसी तमाम सुविधाएं भी होंगी. रेलवे इस बात पर फोकस कर रहा है कि आठ सौ उनसठ करोड़ रूपये खर्च करने के बाद प्रयागराज का रेलवे स्टेशन देश ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बड़े-खूबसूरत और भव्य रेलवे स्टेशनों में नजर आए.
तैयार किया गया है मास्टर प्लान
रेलवे ने इसके लिए अभी से अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. टेंडर निकाला जा चुका है. जल्द ही निर्माण का काम भी शुरू हो जाएगा. जो मास्टर प्लान तैयार किया गया है, उसके मुताबिक पूरे रेलवे स्टेशन को चरणबद्ध तरीके से पूरा होने में चार साल से ज्यादा का वक्त लगना है. हालांकि रेलवे इस बात की तैयारी में है कि ज्यादा से ज्यादा काम कुंभ मेले से पहले पूरा हो जाए, ताकि मेले में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु रेलवे स्टेशन की भव्यता और खूबसूरती से रूबरू हो सकें. रेलवे स्टेशन का कायाकल्प विरासत और विकास की थीम पर किया जाना है. इसे इस तरह से तैयार किया जाएगा, जिससे यात्रियों को प्रयागराज की कला-संस्कृति और विरासत का दीदार तो हो ही सके, साथ ही विकास के पथ पर आगे बढ़ते शहर की झलक भी लोगों को मिल सके.
क्या क्या सुविधाएं होंगी
नार्थ सेंट्रल रेलवे जोन के पीआरओ डॉक्टर अमित मालवीय के मुताबिक 859 करोड़ रूपये के बजट से सिविल लाइंस और सिटी साइड दोनों ही तरफ नई बिल्डिंग्स खड़ी की जाएंगी. अलग-अलग इंट्री गेट बनाए जाएंगे. पूरे परिसर को खूबसूरत और आकर्षक बनाया जाएगा. यात्री सुविधाओं में इजाफा किया जाएगा. सुविधाएं इस तरह से मुहैया कराई जाएंगी, जैसी आम तौर पर दुनिया के बड़े एयरपोर्ट्स पर यात्रियों को मिलती हैं. इनमे स्काई वाक से लेकर तमाम दूसरी सुविधाएं शामिल हैं. प्लेटफार्म और वेटिंग रूम से लेकर लिफ्ट-एस्केलेटर -शौचालयों और आउटर कैम्पस का कायाकल्प किया जाना है. यात्रियों की सुविधाओं के साथ ही उनकी सुरक्षा के भी तमाम कदम उठाए जाएंगे. साथ ही साफ-सफाई पर भी खास ध्यान दिया जाएगा. प्लेटफार्म की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है.
प्रयागराज पर ज्यादा फोकस
पीआरओ अमित मालवीय के मुताबिक नार्थ सेंट्रल रेलवे जोन में कानपुर और ग्वालियर स्टेशनों को भी इसी तरह संवारा जाना है, लेकिन कुंभ मेले के मद्देनजर प्रयागराज पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है. मेले से पहले स्टेशन को इस तरह तैयार कर दिया जाएगा कि कुंभ में आने वाले यात्री सुखद एहसास के साथ यहां से वापस जाएं. तमाम यात्री और शहर के आम नागरिक भी रेलवे स्टेशन को वर्ल्ड क्लास बनाए जाने की कवायद से खुश और उत्साहित हैं. कुंभ के दौरान बड़ी संख्या में स्पेशल ट्रेनें भी चलाई जाएंगी.