गोरखपुर, एबीपी गंगा। एक समय था जब बरसों से बंद खाद कारखाने को शुरू करना दूर की खीर साबित हो रहा था। लेकिन, साल 2014 में भाजपा की सरकार आने के पहले जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे शुरू करने का गोरखपुर के मानबेला मैदान से एलान किया तो किसी को विश्वास ही नहीं हुआ। जब सरकार बनने के बाद गैस से चलने वाली इस फैक्ट्री के शिलान्यास के लिए पीएम गोरखपुर आए तो लोगों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। अब इस फैक्ट्री से एक और उपलब्धि जुड़ गई है। दुनिया के किसी भी खाद कारखाने का यहां सबसे ऊंचा टॉवर बनाया गया है। जो कुतुबमीनार से भी ऊंचा है।
हिन्दुस्तान यूरिया रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट वीके दीक्षित ने बताया कि प्रीलिंग टॉवर की लम्बाई 149.2 मीटर है। ये दुनिया के किसी भी फर्टिलाइजर कारखाने का सबसे ऊंचा टावर है। इस फैक्ट्री में यूरिया की क्वालिटी काफी अच्छी होगी। उन्होंने बताया कि अमोनिया कूलिंग टावर का काम पूरा हो गया है। फरवरी 2021 में प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा। प्रतिदिन 3,850 मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन किया जाएगा। इसके साथ ही 200 टन अमोनिया का भी उत्पादन होगा। इसकी सप्लाई पूर्वी यूपी के साथ बिहार, बंगाल और अन्य पड़ोसी राज्यों में भी होगी।
हिंदुस्तान यूरिया रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) का प्रीलिंग टॉवर कुतुबमीनार से भी ऊंचा बन चुका है। कुतुबमीनार की ऊंचाई 73 मीटर है। जबकि, इस टॉवर की ऊंचाई 149.2 मीटर है। अभी तक देश का सबसे ऊंचा प्रीलिंग टॉवर चंबल फर्टिलाइजर कोटा में है जिसकी ऊंचाई 141.5 मीटर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शिलान्यास के बाद 27 फरवरी 2018 को खाद कारखाने का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। निर्माण की जिम्मेदारी जापान की कंपनी टोयो को दी गई है। प्रीलिंग टॉवर के सबसे ऊपर जाल बनाया जाएगा। इस जाल पर यूरिया बनाने का केमिकल गिराया जाएगा। जाल के रास्ते टॉवर से गिरने वाला केमिकल नीचे आकर खाद के दाने में बदल जाएगा।
खाद कारखाने के निर्माण की जिम्मेदारी पांच कंपनियों एनटीपीसी, सीआइएल, आइओसीएल, एफसीआइएल और एचएफसीएल के ज्वाइंट वेंचर एचयूआरएल (हिदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड) को सौंपी गई है। हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के यूरिया प्लांट के प्रीलिंग टॉवर (यूरिया खाद का दाना बनाने का स्थान) की ऊंचाई कुतबमीनार से भी दोगुनी होगी। जापानी कंपनी द्वारा निर्माणाधीन 149.2 मीटर ऊंचे टॉवर में 117 मीटर की ऊंचाई से अमोनिया गैस का लिक्विड गिराया जाएगा। अमोनिया के लिक्विड और हवा के रिएक्शन से नीम कोटेड यूरिया बनेगी। एचयूआरएल द्वारा करीब 7,500 करोड़ की लागत से देश का सबसे बड़ा यूरिया प्लांट लगाया जा रहा है।
गेल द्वारा बिछाई गई पाइप लाइन से आने वाली नेचुरल गैस और नाइट्रोजन के रिएक्शन से अमोनिया का लिक्विड तैयार किया जाएगा। अमोनिया के इस लिक्विड को प्रीलिंग टॉवर की 117 मीटर ऊंचाई से गिराया जाएगा। इसके लिए ऑटोमेटिक सिस्टम तैयार किया जा रहा है। अमोनिया लिक्विड और हवा में मौजूद नाइट्रोजन के रिएक्शन ने यूरिया छोटे-छोटे दाने के रूप में टॉवर के बेसमेंट में कई होल के रास्ते बाहर आएगा। यहां से यूरिया के दाने ऑटोमेटिक सिस्टम से नीम का लेप चढ़ाए जाने वाले चैंबर तक जाएंगे। नीम कोटिंग होने के बाद तैयार यूरिया की बोरे में पैकिंग होगी।
यूरिया प्लांट में टॉवर की ऊंचाई हवा की औसत रफ्तार के बाद तय की जाती है। इसके लिए एचयूआरएल की टीम ने करीब महीने भर हवा की रफ्तार को लेकर सर्वे किया, जिसके बाद प्रीलिंग टॉवर की ऊंचाई तय की गई। गोरखपुर के खाद कारखाने की स्थापना 20 अप्रैल 1968 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में हुई थी। भारतीय उर्वरक निगम लिमिटेड के देश के पांच खाद कारखाना में ये एक था। 10 जून 1990 को दुर्घटना में कर्मचारी मेघनाथ सिंह की मौत हो गई, इसके बाद कारखाना नहीं चला।
खाद कारखाने को लेकर युवाओं का कहना है कि कारखाने के शुरू होने से उन्हें काफी उम्मीदें हैं। युवाओं ने कहा कि फैक्ट्री में नौकरी मिलने के साथ आसपास के लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बरसों से बंद कारखाने को शुरू करने की पहल की है। इसके पहले तमाम सरकारें आईं और राजनीति करके चली गईं। यहां के लोग भी उम्मीद लगाए बैठे रहे, लेकिन, खाद कारखाना नहीं शुरू हुआ। अब ये खाद कारखाना शुरू होने वाला है, इससे उन्हें काफी खुशी है।
खाद कारखाना शुरू होने को लेकर किसानों ने बताया कि उन्हें काफी उम्मीदें हैं। बरसों से ये फैक्ट्री बंद है। जब ये फैक्ट्री चल रही थी तो उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाली यूरिया उपलब्ध रहती थी। फसल भी अच्छी होती थी। व्यापारी कालाबाजारी नहीं कर पाते थे। फैक्ट्री बंद होने के बाद से ब्लैक में यूरिया खरीदनी पड़ती थी और क्वालिटी भी अच्छी नहीं होती थी। किसानों ने कहा कि अब उन्हें सस्ते दाम पर अच्छी क्वालिटी की यूरिया फिर मिलने लगेगी।