मसूरी में होलिका दहन की तैयारी, महिलाओं ने गली-चौराहों पर लगी होलिका की पूजा-अर्चना की
उत्तराखंड के मसूरी में होली के उत्सव का उल्लास लोगों में दिख रहा है. वहीं, होलिका दहन से पहले महिलाओं ने विशेष पूजन-अर्चन किया.
मसूरी: पहाडों की रानी मसूरी में होली की धूम है. होली के रंगों का खुमार धीरे-धीरे लोगों पर चढ़ रहा है. होली से पहले होलिका दहन मनाया जा रहा है. मसूरी के मुख्य चैहराहो में होलिका दहन को लेकर विशेष तैयारी की गई है. सुबह से ही महिलाएं होलिका की पूजन करने के लिये चौराहों पर पहुंची और होलिका की पूजा कर पुराने वर्ष की बुराइयों का अंत कर नए शुभ वर्ष की मंगल कामना की.
पूर्णिमा को होलिका दहन
हिंदुओं का दीपावली के बाद होली सबसे बड़ा त्योहार है. हिंदू धर्म की संस्कृति और सभ्यता उनके त्योहारों में झलकती है. वहीं, सुबह से ही बाजारों में भी रौनक नजर आ रही है. लोग हर्बल रंगों व विभिन्न प्रकार की पिचकारी खरीदते हुए देखे जा रहे हैं. महिलाओं ने बताया कि, होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. पूर्णिमा की रात को होलिका दहन किया जाती है और अगले दिन सभी लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर पूरे हर्षोल्लास के साथ यह त्योहार मनाते हैं. होलिका दहन के पीछे विष्णु, भक्त प्रह्लाद और होलिका की कहानी है.
प्रह्लाद पर रहा भगवान विष्णु का आशीर्वाद
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जिसे आग में ना जलने का वरदान मिला था. प्रह्लाद को मारने के लिए अपने भाई के कहने पर उसने उसे गोद में लेकर बैठ गई. लेकिन भगवान की महिमा से वह खुद जल कर राख हो गई, लेकिन प्रह्लाद को आंच तक नहीं आई. इसके अलावा भी होली मनाने के कई कारण हैं. होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होता है, जो हिंदू वर्ष का अंतिम दिन होता है.
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