हरिद्वार कुंभ में सुरक्षा के लिये जबरदस्त तैयारी, इस तरह होगी पुलिसकर्मियों की तैनाती
हरिद्वार कुंभ के आयोजन में सुरक्षा व्यवस्था के लिये प्रशासन तैयारियों में जुटा है. इस कड़ी में 3000 पुलिसकर्मियों को ये जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.
हरिद्वार: आयोजन कोई भी हो लेकिन उसमें सबसे महत्वपूर्ण रोल पुलिस का होता है और जब ये आयोजन बहुत बड़ा हो तो उसमें पुलिस की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है. सुरक्षा से लेकर ट्रैफिक व्यवस्था हो, गुमशुदगी या फिर कानून व्यवस्था को मेंटेन करना हो, ये सारे काम पुलिस ही करती है. हरिद्वार भी इन दिनों पुलिस के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होने जा रहा है. ऐसे में पुलिस के जिम्मे हर व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करना है. कोरोना के साये में पुलिस की जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है. हरिद्वार में जब भी कोई बड़ा स्नान होता है तो पुलिस का काम हर विभाग से पहले शुरू हो जाता है. ड्यूटी भी ऐसी की हर वक्त खड़े रहकर चौकन्ना रहना, चप्पे-चप्पे पर निगाहें जमाए रखना.
3000 पुलिस कर्मी
कुंभ के लिए इन दिनों हरिद्वार में पुलिस के तकरीबन 3000 पुलिस, अधिकारी, कर्मचारी और होमगार्ड के जवानों की ड्यूटी लगाई गई है. 17 बटालियन उत्तराखंड पीएसी और अर्धसैनिक बलों की भी हरिद्वार में तैनात की गई है. यह सब व्यवस्था सिर्फ कुंभ में सुरक्षा के मद्देनजर की गई है. एनडीआरएफ, एसडीआरफ की कई टुकड़िया भी कुंभ में तैनात हैं.
कुंभ के लिए पुलिस व्यवस्था
1700 - कर्मचारी और अधिकारी 1300- होमगार्ड 17 कंपनियां उत्तराखंड पीएससी और अर्धसैनिक बल. एसडीआरएफ - 2 टीम फायर ब्रिगेड- 20 टीम ट्रैफिक -डेढ़ सौ कर्मचारी और अधिकारी
एनएसजी- एक टीम बीडीएस-7 टीम एटीएस- दो टीमें
घुड़सवार पुलिस-9 टीम, जल पुलिस- 6 टीम इंटेलिजेंस-47 कर्मचारी, रेडियो संचार- 96 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है.
यह सब तो सुरक्षा के लिए हो रहा है, लेकिन इन सबके बीच एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी इन दिनों पुलिस पर कोरोना संक्रमण को रोकने की भी है. कोरोना जागरूकता के लिए हरिद्वार कुंभ में उत्तराखंड पुलिस के एसडीआरएफ की 8 टीमें काम कर रही हैं. जो लोगों को कोरोना संक्रमण से बचने के लिए जागरूक कर रहे हैं. एसडीआरएफ टीम के साथ वॉलिंटियर्स के तौर पर आपदा मित्रों को भी शामिल किया गया है. पूरे कुंभ क्षेत्र में इस टीम का काम सिर्फ लोगों में कोरोना के प्रति जागरूकता फैलाना है. इनके जरिए लोगों को मास्क लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना, मास्क न होने पर श्रद्धालुओं को फ्री मास्क देना इसकी ड्यूटी में शामिल है.
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