UP News: 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव (President Election) के लिए वोट (Voting) डाले जाएंगे. इसके लिए बीजेपी (BJP) ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है. पार्टी के सभी विधायकों को राजधानी लखनऊ (Lucknow) में 16 जुलाई से ही रहने के निर्देश दिए गए हैं. 16 और 17 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बीजेपी अपने विधायकों को ट्रेनिंग देगी. एक तरफ तो पार्टी की तैयारी है कि इस चुनाव में एक भी वोट खराब ना होने पर तो वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने विपक्ष की एकता को भी तितर-बितर कर दिया है.


राष्ट्रपति चुनाव के लिए यूपी क्यों है खास


राष्ट्रपति चुनाव में उत्तर प्रदेश की खास अहमियत है क्योंकि यहां के विधायकों और सांसदों के वोट की वैल्यू देश में सबसे ज्यादा है. उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट की वैल्यू 208 है जबकि सांसद के वोट की वैल्यू 700 है जो देश में सबसे ज्यादा है  और इसीलिए बीजेपी ने इस चुनाव को लेकर अपनी रणनीति तैयार कर ली है. पार्टी की कोशिश है कि इस चुनाव में उसका एक भी वोट इनवेलिड ना होने पाए क्योंकि इस बार बीजेपी के कई नए विधायक चुनाव जीतकर पहली बार सदन में पहुंचे हैं और इसीलिए पार्टी ने अपने विधायकों को सख्त निर्देश दिए हैं कि पार्टी के सभी विधायक 16 जुलाई से लखनऊ में ही कैम्प करें.  6 और 17 जुलाई को बीजेपी अपने सभी विधायकों को ट्रेनिंग देंगी जिसमें सरकार के मंत्री भी शामिल होंगे. इस दौरान विधायकों को यह बताया जाएगा कि वोट कैसे डालना है और पेन का इस्तेमाल  कैसे करना है और बैलेट पेपर को कैसे फोल्ड करना है.


विपक्षी पार्टियों में बीजेपी की सेंध


बता दें कि 8 जुलाई को जब NDA की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू लखनऊ आईं और उनके सम्मान में मुख्यमंत्री आवास पर डिनर डिप्लोमेसी हुई उसमें सरकार के मंत्रियों के अलावा विपक्ष के जो नेता शामिल हुए वह अपने आप में एक बड़ा संदेश था. खासतौर से समाजवादी पार्टी के विधायक शिवपाल यादव का उस रात्रिभोज में जाना कई बड़े संकेत दे रहा है. समाजवादी पार्टी के अपने 111 विधायक जीतकर सदन में पहुंचे हैं  लेकिन शिवपाल यादव अब साफ तौर पर यह कह रहे हैं कि वह द्रौपदी मुर्मू के साथ हैं. ऐसे में अगर हम देखें तो समाजवादी पार्टी के भीतर ही बीजेपी ने शिवपाल यादव को बुलाकर सेंध लगा दी,  वहीं जनसत्ता दल के अध्यक्ष राजा भैया भी इस रात्रि भोज में पहुंचे थे उनके उत्तर प्रदेश में 2 विधायक हैं हालांकि उनके रुख को लेकर पहले ही कहा जा रहा था कि वह इस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में वोट करेंगे, और उस दिन जब वह सीएम आवास से डिनर करके निकले तो उन्होंने एबीपी गंगा से साफ तौर पर यह कहा कि वह और उनके विधायक द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट डालेंगे.  


जब जसवंत से पूछे सवाल का अखिलेश ने दिया जवाब


उधर, सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर भी इस भोज में पहुंचे थे. ओमप्रकाश राजभर के उत्तर प्रदेश में 6 विधायक हैं इस तरह उनके वोट की वैल्यू 1248 हो जाती है जो विपक्ष की एकजुटता को कमजोर करने के लिए काफी है.  दरअसल बीजेपी ने ऐसी रणनीति तैयार की है कि विपक्ष के भी सदस्य उस के पाले में खड़े नजर आ रहे हैं, और कहीं ना कहीं अपनों को ही एक साथ रखने में ही पिछड़ता नजर आ रहा है. यही वजह है कि जब यशवंत सिन्हा लखनऊ पहुंचे थे तो उनसे यह सवाल पूछा गया कि आप सबके समर्थन का दावा कर रहे हैं लेकिन समाजवादी पार्टी के सहयोगी सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ही आप की बैठक में शामिल नहीं हुए जिसके बाद खुद अखिलेश यादव ने माइक लेते हुए यह कहा था कि उनकी नहीं हमारी समस्या है.


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सपा के वोट की यह है वैल्यू


राष्ट्रपति चुनाव में समाजवादी पार्टी के विधायकों के वोट की कुल वैल्यू 23088  है लेकिन शिवपाल यादव के अलग होने से ये घटकर 22880 रह गई है, और अगर सहयोगियों को मिला लें तो सपा गठबंधन के विधायकों के वोट की कुल वैल्यू 26000 होती है. अगर ओम प्रकाश राजभर भी किनारा कर लेते हैं तो ये घटकर 24544 ही रह जाती है. ये आंकड़े साफ तौर पर बता रहे हैं कि किस तरीके से बीजेपी की रणनीति ने राष्ट्रपति चुनाव से पहले ही विपक्ष की एकता को तितर बितर कर दिया है.


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