Presidential Election 2022: राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को वोट डाले जाने हैं. एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू कल नामांकन दाखिल करेंगी. राष्ट्रपति बनवाने के लिए बीजेपी को 12000 वोटों की और आवश्यकता है. पार्टी की आवश्यकता उत्तर प्रदेश से ही पूरी हो सकती है. लेकिन अगर बीएसपी और कुछ अन्य दल सपोर्ट करें तब. राष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज्यादा वोट का वेटेज उत्तर प्रदेश के विधायकों का है, जबकि सांसदों के वोट का वेटेज भी सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश का ही है.
राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का कल नामांकन
चुनाव के लिए बीजेपी ने नई रणनीति के तहत आदिवासी समुदाय से आने वाली महिला उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया और अब कल द्रौपदी मुर्मू नामांकन दाखिल करेंगी. उनके नामांकन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल होंगे. उत्तर प्रदेश के कुछ सांसद भी प्रस्तावक बनाए गए हैं. उत्तर प्रदेश के विधायकों का वोट का वेटेज देश में सबसे अधिक 208 है. उत्तर प्रदेश के सांसदों का वोट वेटेज भी सबसे अधिक 700 है. देश के सांसदों, विधायकों के वोट का कुल वेटेज 10 लाख 79 हजार 206 है. इसका 15 फीसदी वेटेज उत्तर प्रदेश के ही सांसदों और विधायकों का लगभग 1 लाख 61 हजार 524 है.
एनडीए को अपने उम्मीदवार जिताने के लिए 12000 से कुछ अधिक वोटों की और आवश्यकता है. उसकी जरूरत उत्तर प्रदेश से ही पूरी होती दिखती है क्योंकि ममता बनर्जी की बुलाई बैठक में बीएसपी सुप्रीमो मायावती शामिल नहीं हुईं थीं. अगर मायावती बीजेपी को सपोर्ट करें तो उनके 10 सांसदों का वोट का गठन 7000 हो जाता है. इसके अलावा उनके एक विधायक के वोट का वेटेज 208 है. कुल मिलाकर 7208 वोट वेटेज हो जाता है. राजा भैया की की पार्टी के भी दो विधायक हैं. उनके वोट का वेटेज भी 416 हो जाता है. शिवपाल यादव तकनीकी रूप से सपा के विधायक हैं लेकिन उनकी नाराजगी जगजाहिर है.
ऐसे में उनके वोट का वेटेज 208 भी काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. बैठक में अखिलेश यादव और जयंत चौधरी को ममता बनर्जी ने बुलाया था लेकिन सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को निमंत्रण नहीं दिया गया. हालांकि ओमप्रकाश लगातार उपचुनाव में सपा का प्रचार कर रहे हैं. उनके 6 विधायकों के वोट का कुल वेटेज 1248 हो जाता है. हालांकि कौन किसके साथ जाएगा देखनेवाली बात होगी. राष्ट्रपति चुनाव के लिए बीजेपी ने खास तैयारी की है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी विधायकों की संख्या 255 है जबकि उसके सहयोगी अपना दल के विधायकों की संख्या 12 है और निषाद पार्टी के विधायकों की संख्या 6 है.
सपा ने चुनाव की रणनीति बनाने के लिए बुलाई बैठक
इस तरह एनडीए के कुल 273 विधायक उत्तर प्रदेश में हैं. बीजेपी के अपने 62 और सहयोगी दलों के दो सांसदों को जोड़कर कुल संख्या 64 हो जाती है. राज्यसभा सांसदों की बात करें तो तकरीबन उनकी संख्या भी 20 से ज्यादा है. सरकार के मंत्री विपक्षी दलों से द्रौपदी मुर्मू के नाम पर ही सहमति जताने का निवेदन कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने भी रणनीति तैयार करने के लिए कल विधायकों, सांसदों की बैठक बुलाई है. बैठक सुबह 10:00 बजे पार्टी कार्यालय में होगी. बैठक में विधायकों और सांसदों से प्रस्तावक के तौर पर दस्तखत भी करवाए जाएंगे.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए बीजेपी की उत्तर प्रदेश में मजबूत तैयारी है. विपक्षी दलों की बात करें तो समाजवादी पार्टी के 111 विधायक हैं. उसके सहयोगी आरएलडी के 8 और सुभासपा के 6 विधायक हैं. समाजवादी पार्टी के कुल 5 सांसद 2019 में जीते थे, लेकिन आजमगढ़ और रामपुर में उपचुनाव हो रहे हैं. उपचुनाव के विजेता भी राष्ट्रपति चुनाव में काफी महत्वपूर्ण हो जाएंगे. राज्यसभा में सपा सदस्यों की संख्या भी काफी कम है. ऐसे में उत्तर प्रदेश में तो कम से कम राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए का पलड़ा काफी भारी नजर आता है.