आगरा: खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं नौनिहाल, एबीपी गंगा की रिपोर्ट के बाद जागा प्रशासन
आगरा में बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं। स्कूल का भवन बहुत पुराना व जर्जर हो चुका है, जहां पढ़ना खतरे से खाली नहीं है। प्रशासन को कई बार कहा गया है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
आगरा, (नितिन उपाध्याय की रिपोर्ट)। आजादी के 70 साल बाद भी बच्चे खुले में पढ़ने को मजबूर हैं। और योगीराज में उन दावों की भी पूरी तरह पोल खुल रही है जिसमें प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरी का दावा किया जा रहा है। कुछ ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली आगरा के खंदौली ब्लॉक के गढ़ी राय सिंह गांव की, जहां पिछले 5 साल से ज्यादा वक्त से बच्चे खुले में पढ़ने को मजबूर हैं। क्योंकि मौजूदा स्कूल पूरी तरह से जर्जर हो चुका है और कभी भी कोई हादसा हो सकता है। हालांकि एबीपी गंगा की रिपोर्ट के बाद जिलाधिकारी ने कार्रवाई के बात कही है।
बच्चे खुले में पेड़ के नीचे अपने बेहतर भविष्य के लिए पढ़ रहे हैं। सूरज की तपिश में इन मासूम बच्चों का क्या हाल हो रहा होगा, इसका अन्दाजा लगाया जा सकता है। यहां ना इनको पीने का पानी मयस्सर है और अगर टॉयलेट जाना हो तो ये बच्चे खुले में जाने को मजबूर हैं। क्योंकि भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के दीमक ने इनसे इनका हक छीन लिया है। एक तरफ जिम्मेदार लोग बेखौफ घूम रहे हैं तो वहीं शिक्षा के मंदिर में जहां बैठकर इनको पढ़ना चाहिये, वो तो महज 7 साल में खंडहर बना दिया गया और मजबूरन इन स्कूली बच्चें-बच्चियों को लू के थपेड़ों के बीच पढ़ना पड़ रहा है।
गढ़ी राय सिंह का प्राथमिक स्कूल 2012 मे बना था, तब गांव के प्रधान प्रदीप शर्मा और प्रधानाध्यापक अंतराम थे। तालाब किनारे बना स्कूल साल भर के भीतर ही पूरी तरह ढह गया। जब इसको लेकर बच्ची किटटू से बात की तो उसने बताया कि उस स्कूल में पढ़ने से डर लगता है, झुक रहा है। हमें अच्छा स्कूल मिले, कहीं टॉयलेट की दिक्क्क्त तो कहीं पानी की व्यवस्था। यही परेशानी मोहिनी उपाध्याय नाम की छोटी बच्ची ने बताई जो 5 वीं पड़ती है।
जब इसको लेकर तत्कालीन प्रधान प्रदीप शर्मा से बात की तो उन्होंने कहा कि हमारे पास जगह नहीं थी, इसलिए हमने पैसा वापस किया। बाद में तब के प्रिंसिपल और सचिव ने मिलकर इस स्कूल को बनवाया।
इसे लेकर बच्चों के परिजन भी खासे नाराज और परेशान हैं। गांव की ही रहने वाली सावित्री देवी कहती हैं दो बच्चे पढ़ते हैं। दो दिन पहले ही बच्चा बीमार हुआ लेकिन क्या करें मजबूरी में खुले में पढ़ाना पढ़ रहा है। अच्छा स्कूल चाहते हैं।
जगदीश जिनकी बेटी भी इस स्कूल में पढ़ती है, उन्होंने बताया कि मेरी बच्ची पढ़ती है, हालात स्कूल के बहुत खराब हैं। कार्रवाई होनी चाहिए।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के संज्ञान में होने के बाद भी वह पूरी तरह आंखें मूंदे हुए हैं। ऐसे में एबीपी गंगा ने उस प्राइमरी स्कूल का मुआयना किया तो पाया कि इस स्कूल में पढ़ाना कहीं भी खतरे से खाली नहीं है। गांव के सामाजिक कार्यकर्ता अनीष उपाध्याय बताते हैं कि इसकी शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी की गई थी, लेकिन उस पर भी झूठी रिपोर्ट लगाकर निस्तारित कर दिया गया।
इसको लेकर एत्मादपुर क्षेत्र के विधायक रामप्रताप चौहान से बात की, उन्होंने कहा कि मैंने अधिकारियों से बात की है। भ्रष्टाचार की बात सामने आई है। इसकी जांच होगी और फिर रिकवरी होगी। मैं स्वयं उस कॉलेज का निरीक्षण करूंगा। आचार संहिता हटते ही वहां आपको परिवर्तन दिखेगा।
वहीं एबीपी ने जब जिलाधिकारी आगरा से बात की तो उन्होंने तुरंत संज्ञान लिया। उन्होंने बीएसए और सीडीओ से रिपोर्ट मांगी है। तत्कालीन प्रिंसिपल और प्रधान के खिलाफ मुकदमा कराकर रिकवरी कराई जाएगी और जुलाई तक पूरी व्यवस्था करा दी जाएगी।
कुल मिलाकर भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के दीमक ने नौनिहालों के शिक्षा के मंदिरों को भी खा लिया, और लू के थपेड़ों के बीच बच्चे खुले में पढ़ने को मजबूर हैं।