प्राइमरी का टीचर बना पीसीएस अफसर, छठी कोशिश में मिली कामयाबी, अब डिप्टी कलेक्टर बनने की तैयारी
प्रयागराज में एक प्राइमरी टीचर अब पीसीएस अफसर बन गए हैं. उन्हें छठी कोशिश में कामयाबी मिली है.
प्रयागराज, एबीपी गंगा: कहते हैं कि अगर मन में कुछ करने का जज़्बा हो और मंज़िल तक पहुंचने का बुलंद इरादा तो ईमानदारी से की गई कोई भी कोशिश कभी बेकार नहीं जाती. दुनियादारी की मुश्किलें रुकावट तो पैदा कर सकती हैं, लेकिन आखिर में कामयाबी कदम चूमने को मजबूर हो जाती है. इस कहावत को पूरी तरह सच साबित किया है, प्राइमरी टीचर से पीसीएस अफसर बनने वाले प्रयागराज के विनय कुमार सिंह ने. साधारण किसान के बेटे विनय को पांच बार इंटरव्यू देने के बाद भी कामयाबी नहीं मिली तो आर्थिक ज़रूरतें पूरी करने के लिए उन्होंने प्राइमरी स्कूल का टीचर बनना मंज़ूर कर लिया. हालांकि प्राइमरी टीचर बनकर भी वह न तो अपने सपने को भूले और न ही मंज़िल तक पहुंचने की कोशिशें छोड़ीं. इसका नतीजा यह रहा कि वह अब पीसीएस अफसर बन चुके हैं.
यूपी लोकसेवा आयोग ने पिछले हफ्ते यूपी पीसीएस के नतीजे घोषित किए हैं. इन नतीजों में कई गुदड़ी के लालों को भी कामयाबी मिली है. गुदड़ी के लाल यानि जिन्होंने विपरीत हालात में संघर्ष कर अफसरी के मुकाम को हासिल किया है. विनय कुमार सिंह भी इन्ही में एक हैं. मूल रूप से आजमगढ़ जिले के रहने वाले विनय बेहद साधारण परिवार से हैं. उनके पिता किसान हैं. परिवार की हालत बहुत अच्छी नहीं थी. बचपन से ही विनय का सपना अफसर बनने का था. अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह करीब तेरह साल पहले प्रयागराज आए और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की.
पांच बार मिली असफलता पीसीएस की परीक्षा में वह पांच बार इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे, लेकिन हर बार मामूली नंबरों से वह मेरिट की रेस में थोड़ा पीछे रह गए. प्रयागराज में वह अल्लापुर इलाके में किराए के छोटे से कमरे में रहकर तैयारी करते रहे. जब चौथे और पांचवें इंटरव्यू में भी उन्हें कामयाबी नहीं मिली तो वह थोड़े मायूस हुए. किसान पिता से पढ़ाई और तैयारी के लिए आर्थिक मदद लेना उन्हें ठीक नहीं लगा, लेकिन कदम-कदम पर पड़ने वाली पैसों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उन्होंने प्राइमरी टीचर के लिए आवेदन किया. इसके साथ ही वह ट्यूशन और कोचिंगों में भी पढ़ाने लगे.
इससे उन्हें कुछ आर्थिक मदद तो हुई, लेकिन अफसर बनने का उनका ख्वाब देखना उन्होंने न तो बंद किया और न ही इस ख्वाब को हकीकत में बदलने के लिए कोशिशें छोड़ी. प्राइमरी टीचर बनने के बाद तो उनके सपनों को मानो पंख लग गए. उन्हें यह भरोसा हो गया कि कम से कम एक अदद सरकारी नौकरी तो उनके हाथ आ ही चुकी है. विनय दिन में कई घंटे बच्चों को पढ़ाकर ज़रूरतें पूरी करते और रात को जगकर अपने सपने को पूरा करने की कवायद में जुटे रहते.
सब रजिस्ट्रार बने यूपी पीसीएस -2018 में उनका सेलेक्शन सब रजिस्ट्रार के पद पर हुआ है. अपनी इस कामयाबी से वह काफी खुश हैं. हालांकि सब रजिस्ट्रार से ऊपर डिप्टी कलक्टर का पद पाने के लिए वह अगले साल की परीक्षा की तैयारियों में भी जुटे हुए हैं. विनय की यह कामयाबी उन लोगों के लिए बड़ा सबक है, जो हालात के आगे घुटने टेककर परिस्थितियों से समझौता कर लेते हैं. किसी पड़ाव को ही मंज़िल समझ लेते हैं और फिर तकदीर को कोसते रहते हैं. विपरीत हालात में विनय ने जो कामयाबी हासिल की है, वह इस बात का संदेश देती है कि अगर ईमानदारी से कोई भी कोशिश की जाएगी तो कामयाबी एक न एक दिन कदम ज़रूर चूमेगी. प्रतियोगी छात्रों के नेता प्रशांत पांडेय के मुताबिक़ विनय कुमार सिंह तमाम अभ्यर्थियों के लिए रोल मॉडल साबित होंगे.
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