पीएम नरेंद्र मोदी आज केदारनाथ धाम में हैं. आज सुबह मोदी ने बाबा केदार के दर्शन किए और पूजा अर्चना की. केदारनाथ धाम में लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि आप सभी आदि शंकराचार्य जी की समाधि की पुन स्थापना के साक्षी बन रहे हैं. ये भारत की आध्यात्मिक समृद्धि और व्यापकता का बहुत अलौकिक दृश्य है. आज सभी मठों, 12 ज्योतिर्लिंगों, अनेक शिवालयों, शक्ति धाम,अनेक तीर्थ क्षेत्रों पर देश के गणमान्य महापुरुष, पूज्य शंकराचार्य परंपरा से जुड़े हुए सभी वरिष्ठ ऋषि, मनीषी और अनेक श्रद्धालु भी देश के हर कोने से केदारनाथ की इस पवित्र भूमि के साथ हमें आशीर्वाद दे रहे हैं. मोदी ने आगे कहा कि हमारे उपनिषदों में आदि शंकराचार्य जी की रचनाओं में कई जगह नेति-नेति कहकर एक भाव विश्व का विस्तार दिया गया है. रामचरित मानस को भी हम देखें तो इसमें में अलग तरीके से ये भाव दोहराया गया है.


2013 की आपदा को किया याद
मोदी ने कहा कि मैं 2013 में उत्तराखंड की आपदा के वक्त गुजरात का मुख्यमंत्री था, लेकिन मैं यहां दौड़ा चला आया था. मैंने अपनी आंखों से तबाही और उस दर्द को देखा था. जो लोग यहां आते थे वो सोचते थे कि क्या हमारा केदारनाथ धाम फिर से उठ खड़ा होगा क्या? लेकिन मेरे अंदर की आवाज कह रही थी कि ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा. मेरा विश्वास बाबा केदार के कारण, आदि शंकर की साधना के कारण, ऋषि-मुनियों की तपस्या के कारण था. कच्छ को भूकंप के बाद खड़ा करने का मेरा अनुभव था. इसीलिए मेरा विश्वास था और आज अपनी आंखों से विश्वास को साकार होते देखना जीवन से बड़ा संतोष नहीं हो सकता है.


"उत्तराखंड की पवित्र धरती, हवाओं ने मुझे पाला-पोसा"
इस पवित्र धरती, इस मिट्टी, इसकी हवाओं ने मुझे पाला-पोसा था. उसकी सेवा करने का सौभाग्य मिलना इससे बड़ा जीवन का पु्ण्य नहीं हो सकता है. इस आदि भूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का ये मेल, विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का ही परिणाम हैं. मैं इन पुनीत प्रयासों के लिए उत्तराखंड सरकार का, मुख्यमंत्री धामी जी का, और इन कामों की ज़िम्मेदारी उठाने वाले सभी लोगों का भी धन्यवाद करता हूं. शंकर का संस्कृत में अर्थ है- “शं करोति सः शंकरः” यानी, जो कल्याण करे, वही शंकर है. इस व्याकरण को भी आचार्य शंकर ने प्रत्यक्ष प्रमाणित कर दिया. उनका पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही वो जन-साधारण के कल्याण के लिए समर्पित थे.


"मैं ड्रोन के जरिए वर्चुअल यात्रा करता था"
मोदी ने कहा कि मुझे पता है यहां बर्फबारी के बीच भी साल भर काम करना मुश्किल है, लेकिन बर्फबारी के बीच भी हमारे श्रमिक भाई-बहन वे ईश्वरीय कार्य मानकर बर्फ वर्षा क बीच भी काम छोड़कर जाते नहीं थे. तब जाकर ये काम हुआ है. मेरा मन यहां लगा रहता था. मैं बीच-बीच में ड्रोन के जरिए यहां की वर्चुअल यात्रा करता था. ड्रोन के जरिए मैं लगातार यहां काम की निगरानी करता था. एक समय था जब आध्यात्म को, धर्म को केवल रूढ़ियों से जोड़कर देखा जाने लगा था. आदि शंकराचार्य जी ने पवित्र मठों की स्थापना की, चार धामों की स्थापना की, द्वादश ज्योतिर्लिंगों का पुनर्जागरण का काम किया. आदि शंकराचार्य जी सबकुछ त्यागकर देश, समाज और मानवता के लिए जीने वालों के लिए एक सशक्त परंपरा खड़ी की.


"दुनिया ने देखा दीपोत्सव का भव्य आयोजन"
मोदी ने केदारनाथ धाम में अयोध्या और काशी के विकास कार्यों का गुणगान भी किया. मोदी ने कहा कि आज अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूरे गौरव के साथ बन रहा है, अयोध्या को उसका गौरव वापस मिल रहा है. अभी दो दिन पहले ही अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन पूरी दुनिया ने देखा. भारत का प्राचीन सांस्कृतिक स्वरूप कैसा रहा होगा, आज हम इसकी कल्पना कर सकते हैं. इसी तरह उत्तर प्रदेश में काशी का भी कायाकल्प हो रहा है. विश्वनाथ धाम का कार्य बहुत तेज गति से पूर्णता की तरफ आगे बढ़ रहा है.


"चारधाम सड़क परियोजना पर तेजी से काम हो रहा है"
मोदी ने कहा कि अब देश अपने लिए बड़े लक्ष्य तय करता है, कठिन समय सीमाएं निर्धारित करता है, तो कुछ लोग कहते हैं कि इतने कम समय में ये सब कैसे होगा! होगा भी या नहीं होगा! तब मैं कहता हूं कि समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना अब भारत को मंजूर नहीं है. चारधाम सड़क परियोजना पर तेजी से काम हो रहा है, चारों धाम हाइवेज से जुड़ रहे हैं. भविष्य में यहां केदारनाथ जी तक श्रद्धालु केबल कार के जरिए आ सकें, इससे जुड़ी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है यहां पास में ही पवित्र हेमकुंड साहिब जी भी हैं. हेमकुंड साहिब जी के दर्शन आसान हों, इसके लिए वहां भी रोप-वे बनाने की तैयारी है.


"पहाड़ के काम आएगा यहां का पानी और जवानी"
मोदी ने कहा, "कहा जाता है कि पहाड़ का पानी, पहाड़ की जवानी कभी पहाड़ के काम आता नहीं. अब पानी भी पहाड़ के काम आएगा. जवानी भी पहाड़ के काम आएगी." मोदी ने कहा कि उत्तराखंड से पलायन को रोकना है. अगला दशक उत्तराखंड का है. यहां पर्यटन काफी बढ़ने वाला है.


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