चौरी-चौरा के शहीदों को इतिहास के पन्नों में नहीं मिली जगह, शहादत से मिलती है प्रेरणा : नरेंद्र मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार सुबह एतिहासिक चौरी-चौरा घटना की शताब्दी समारोह की शुरुआत की. मोदी ने कहा कि चौरी-चौरा के शहीदों की जितनी चार्चा होनी थी उतनी नहीं हुई.
गोरखपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एतिहासिक चौरी-चौरा घटना के शताब्दी समारोह की शुरुआत की. इस मौके पर पीएम मोदी ने एक डाक टिकट भी जारी किया. ये शताब्दी समारोह अगले साल 4 फरवरी तक चलेगा. सीएम योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल इस कार्यक्रम में मौजूद रहे. शताब्दी समारोह की शुरुआत के बाद मोदी ने लोगों को संबोधित भी किया. मोदी ने कहा कि चौरी-चौरा की पवित्र भूमि पर देश के लिए बलिदान होने वाले, देश के लिए स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा देने वाले वीर शहीदों के चरणों में प्रणाम करता हूं. उन्होंने कहा कि 100 साल पहले चौरी-चौरा में जो हुआ वो सिर्फ एक आगजनी की घटना नहीं थी. अनेक वजहों से पहले जब भी चौरी-चौरा की बात हुई उसे एक मामूली आगजनी के संदर्भ में देखा गया, लेकिन आगजनी किन परिस्थितियों में हुई, क्या वजह थी ये भी उतना महत्वपूर्ण है.
मोदी ने कहा कि आग थाने में नहीं, आग जन-जन दिल में प्रज्वलित हुई थी. चौरी-चौरा के एतिहासिक संग्राम को लेकर जो कार्यक्रम किया जा रहा है वो प्रशंसनीय है. मैं योगी जी और उनकी टीम को बधाई देता हूं. आज चौरी-चौरा की शताब्दी पर एक टाक डिकट भी जारी किया गया है. आज से शुरू किया गया कार्यक्रम पूरे साल किया जाएगा. इस दौरान चौरी-चौरा के साथ ही हर वीरों को याद किया जाएगा.
"चौरी-चौरा के शहीदों की ज्यादा चर्चा नहीं हुई" मोदी ने आगे कहा, "ये दुर्भाग्य है कि चौरी-चौरा के शहीदों की जितनी चर्चा होनी थी उतनी नहीं हुई. संग्राम के शहीदों, क्रांतिकारियों को इतिहास के पन्ने में भले ही प्रमुखता से जगह नहीं मिली, लेकिन आजादी के लिए उनका खून देश की मिट्टी में मिला है जो हमें प्रेरणा देता है. ऐसी कम घटनाएं होंगी जिसमें किसी एक घटना पर 19 स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया हो. ब्रिटिश सरकार सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी देने पर तुली हुई थी, लेकिन बाबा राघव दास, महामना मालवीय जी के प्रयासों से करीब 150 लोगों को फांसी से बचा लिया गया था. इसीलिए आज का दिन विशेष रूप से बाबा राघव दास और महामना मदन मोहन मालवीय को भी प्रणाम करने का दिन है."
"युवाओं को इतिहास के अनकहे पहलुओं के बारे में पता चलेगा" मोदी ने कहा, "मुझे खुशी है कि आंदोलन के माध्यम से हमारे युवाओं को इतिहास के अनकहे पहलुओं के बारे में पता चलेगा. आजादी के 75 साल पूरे होने पर भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने भी युवा लेखकों को स्वतंत्रता सेनानियों पर किताब, शोध पत्र लिखने के लिए आमंत्रित किया है. चौरी-चौरा संग्राम के कितने ही ऐसे वीर सेनानी हैं जिनके जीवन को आप देश के सामने ला सकते हैं. शताब्दी कार्यक्रम क प्रयास स्वतंत्रता सेनानियों को हमारी श्रद्धांजलि होगी."
मोदी ने किया बजट का जिक्र इस दौरान मोदी ने बजट का भी जिक्र किया. मोदी ने कहा कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए अभूतपूर्व प्रयासों की भी जरूरत है. इन प्रयासों की एक झलक हमें इस बार के बजट में भी दिखाई देती है. कोरोना काल में देश के सामने जौ चुनौती आई उनके समाधान को ये बजट नई तेजी देने वाला है. बजट के पहले कई दिग्गज ये कह रहे थे कि देश ने बड़े संकट का सामना किया है इसीलिए सरकार को टैक्स बढ़ाना होगा, लेकिन इस बजट में देशवासियों पर कोई बोझ नहीं बढ़ाया गया, बल्कि देश को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने ज्यादा से ज्यादा खर्च करने का फैसला लिया. युवाओं को अच्छे अवसर मिले उसके लिए भी बजट में कई फैसले लिए गए हैं.
क्या बोले योगी आदित्यनाथ कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "आज का समारोह हमारे लिए उन सभी शहीदों, अमर बलिदानियों के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने का एक समारोह है. हम जानते हैं कि 4 फरवरी 1922 को गोरखपुर के चौरी-चौरा में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भारत की स्वाधीनता को नई दिशा देने के लिए चौरी-चौरा की घटना इसी स्थान पर हुई थी." योगी ने आगे कहा कि पूरे साल अलग-अलग तारीख में चौरी-चौरा घटना से जुड़े अमर सेनानी की स्मारकों और शहीद स्थलों पर कार्यक्रम किए जाएंगे. इसके अलावा स्कूलों में लेखन, पेंटिंग, वाद-विवाद प्रतियोगिता और कवि सम्मेलनों के साथ 1857 से लेकर 1947 तक देश की स्वाधीनता आदंलोन से जुड़े सभी एतिहासिक तथ्यों पर आधारित प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा.
क्या है चौरी-चौरा कांड? चार फरवरी 1922 को स्थानीय लोग चौरी-चौरा कस्बे में महात्मा गांधी की ओर से शुरू किए गए असहयोग आंदोलन के समर्थन में जुलूस निकाल रहे थे. इसी दौरान स्थानीय पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई. पुलिस की गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. इससे प्रदर्शनकारियों का आक्रोश भड़क गया. लोगों के आक्रोश को देखकर पुलिसवाले थाने में छिप गए, लेकिन लोगों ने बाहर से कुंडी लगाकर थाने में आग लगा दी. इस घटना में 22 पुलिसकर्मी मारे गये. घटना की प्रतिक्रिया में, अहिंसा के पैरोकार महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया.
चौरी-चौरा काण्ड में 172 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी. बतौर वकील पंडित मदन मोहन मालवीय की पैरवी से इनमें से 151 लोग फांसी की सजा से बच गये. बाकी 19 लोगों को 2 से 11 जुलाई 1923 के दौरान फांसी दे दी गई. इस घटना में 14 लोगों को उम्र कैद और 10 लोगों को 8 साल सश्रम कारावास की सजा हुई. जिन लोगों को फांसी दी गई, उनकी याद में एक स्मारक बनाया गया.