PM Modi Rally In Kasganj: यूपी विधानसभा चुनाव के सियासी समर को और धार देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 फरवरी को कासगंज पहुंच रहे हैं. वो यहां कि पटियाली विधानसभा सीट पर दरियाब गंज रोड पर चुनावी रैली करेंगे. 53 बाद कासगंज की धरती पर कोई प्रधानमंत्री पहुंच रहा है. पीएम मोदी से पहले 1969 में इंदिरा गांधी यहां पहुंचीं थीं. कासगंज की पटियाली सीट का इतिहास बेहद दिलचस्प है. इसी धरती पर मशहूर कवि हजरत अमीर खुसरो का जन्म हुआ था. पीएम मोदी यहां उनके उनकी जमीन को नमन करेंगे और फिर रैली को संबोधित करेंगे. पीएम की रैली को लेकर बीजेपी कार्यकर्ता काफी उत्साहित हैं. 

 

बीजेपी के बड़े नेता रहेंगे मौजूद

 

कासगंज में रैली में पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और आसपास के जिलों के सांसद और विधायक भी मौजूद रहेंगे. पटियाली में रैली के जरिए पीएम मोदी एटा, कासगंज, बदायूं, फर्रुखाबाद, मैनपुरी, फिरोजाबाद समेत आसपास के कई जिलों को प्रभावित करके राजनीतिक समीकरण साधने की कोशिश करेंगे.

 

मोदी करेंगे एक तीर से कई निशाने

 

पीएम मोदी के पटियाली में होने की खास बात ये भी है कि सपा ने इस सीट से आजम खान के परिवार की बहू और इंदिरा गांधी के करीबी नेता रहे सांसद मुशीर अहमद की बेटी नादिरा सुल्ताना को प्रत्याशी बनाया है जबकि बीजेपी ने यहां पर ममतेश शाक्य को टिकट दिया है. ऐसे में पटियाली से जनता को संबोधित करके पीएम एक साथ कई निशाने साधने की कोशिश करेंगे. एक तरफ जहां वो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को सीधे चुनौती देंगे तो वहीं नादिरा के खिलाफ रैली करके इसका सीधा संदेश आजम खान और रामपुर तक पहुंचेगा. जाहिर है वे इससे हिन्दू मतों को पोलराइज करने की कोशिश करेंगे जो बीजेपी का सबसे मजबूत हथियार रहा है. 

 

मोदी कर सकते हैं ये एलान

 


पटियाली की धरती अमीर खुसरो की वजह से भी जानी जाती है. हो सकता है कि इस मौके पर पीएम मोदी उनके नाम कोई स्मारक या संग्रहालय की घोषणा भी कर दें क्योंकि विश्वभर में ख्याति अर्जित करने वाले अमीर खुसरो को आज पटियाली ने ही भुला दिया है. अमीर खुसरो की हवेली खंडहर होकर एक टीला बन चुकी है जिसपर वर्तमान पटियाली का तहसील भवन बना हुआ है. यहां उनकी एक मूर्ति तक नहीं बनी है.

 

पटियाली विधान सभा कब बनी

 

पटियाली विधानसभा सीट 1969 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई, 1969 में हुए पटियाली विधान सभा के पहले चुनाव में भारतीय क्रांति दल के उम्मीदवार तिर्मल सिंह ने जीत दर्ज की थी. इसी साल तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कासगंज आईं थीं. उनके 53 साल बाद ये कोई भी भारतीय प्रधानमंत्री कासगंज पहुंचेगे. यहाँ 15 बार विधान सभा चुनाव हुए और 2 बार उप चुनाव हुए हैं. जिसमें 5 बार 1974,1980,1982,1985,1989 में कांग्रेस विजयी रही. जबकि 1991,1993, 2000, 2017 में 4 बार बीजेपी विजयी रही, 2002, 2007 में बसपा और 2012 में समाजवादी पार्टी और 1969 में बीकेडी विजयी रही थी. इस सीट पर मुस्लिम मतदाता सबसे ज्यादा हैं उनके बाद जाटव, शाक्य, ठाकुर, ब्राह्मण, यादव, धीमर, बघेल,तेली, लोधी राजपूत और अन्य मतदाता हैं. कुल मिलाकर इस सीट पर पिछड़ा वर्ग का वोट सर्वाधिक है.

 

2012 और 2017 में पटियाली सीट का परिणाम

 

2017 में पटियाली विधानसभा चुनाव में यहाँ कुल 328107 मतदाता थे. तब यहाँ से बीजेपी के उम्मीदवार ममतेश शाक्य को 72414 वोट मिले थे और इन्होंने एसपी की उम्मीदवार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अंशुमान यादव की पत्नी किरण यादव को 3771 वोटों से हराया था. किरण यादव को 68643 वोट मिले थे. पटियाली सीट ग्रामीण परिवेश की सीट मानी जाती है. पूर्व में यह इलाका दस्यु प्रभावित माना जाता था. इससे पहले 2012 में इस सीट से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी नजीबा खान जीनत ने बसपा के सूरज सिंह शाक्य को 27775 वोटों से हराया था. जीनत को कुल 62493 वोट मिले थे. 

 

पटियाली सीट पर वर्तमान उम्मीदवार

 

कासगंज जनपद में तीन विधान सभा सीटे हैं- कासगंज सदर, अमापुर और पटियाली. फिलहाल तीनों पर ही बीजेपी का कब्जा है. इस बार पटियाली से बीजेपी के सिटिंग विधायक ममतेश शाक्य बीजेपी के उम्मीदवार हैं जबकि समाजवादी पार्टी ने नादिरा सुल्ताना को अपना प्रत्याशी बनाया है. नादिरा सुल्तान सपा नेता आजम खान के परिवार की बहू हैं. बीएसपी ने यहां से प्रोफेसर नीरज मिश्रा और कांग्रेस से इंजीनियर इमरान अली को मैदान में उतारा है. 

 

पटियाली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

 

पटियाली महाभारत काल मे पांचाल प्रदेश का हिस्सा रहा है. राजा हरिश्चन्द्र ने अपने गुरु द्रोणाचार्य को कम्पिल से पटियाली तक का पूरा भाग दिया था.

यहां पर गुरु दोर्णाचार्य का निवास, अश्वत्थामा की युद्ध शिक्षा भूमि और विश्व प्रसिद्ध साहित्यकार हजरत अमीर खुसरो की जन्म भूमि है. यहां महाभारत कालीन जागेश्वर मंदिर भी है. पटियाली ने अनेकों युद्ध देखे हैं. यहाँ के क्रांतिकारियों ने देश की स्वतंत्रता में भूमिका निभाई.

 

जानिए पटियाली सीट का समीकरण

 

17 अप्रैल 2008 को तत्कालीन मायावती सरकार ने एटा के एक बड़े भू-भाग को काटकर काशीराम नगर जनपद बनाया था. उसके बाद सपा सरकार में 30 जुलाई 2012 को इसका नाम कासगंज जनपद कर दिया गया. कासगंज का क्षेत्रफल 1955.28 वर्ग किलोमीटर है. यहां की कुल जनसंख्या 1438156 है. यहाँ तीन तहसीलें कासगंज, सहावर और पटियाली हैं. 7 विकास खंड, 3 नगर पालिका,7 नगर पंचायत,72 न्याय पंचायत,389 ग्राम पंचायत हैं. कांस के विशाल जंगलों से घिरा होने के कारण इसका नाम कासगंज पड़ा. इसकी स्थापना याकूत खान उर्फ खान बहादुर खान के द्वारा की गई. कासगंज के राजा दिलसुख राय के पुत्र शंकर सिंह ने कासगंज में शंकरगढ़ का किला बनवाया जिसमे आज भी उनके वंशज रहते हैं.

 

कासंगज का रहा है अहम स्थान

 

कासगंज जनपद में ही पौराणिक तीर्थ स्थल सोरों हैं. भागीरथी के तट पर स्थित सोरों सूकर क्षेत्र भगवान विष्णु के तृतीय अवतार भगवान वराह की निर्वाण स्थली, महर्षि कपिल की तपस्थली, गंगा की तट स्थली, गोश्वामी तुलसीदास, रत्नावली,अष्ट छाप के प्रसिद्ध कवि नंद दास की जन्म स्थली भी है. कासगंज राजा सोमदत्त सोलंकी की राजधानी भी रही. मुग़ल सम्राट अकबर के समय मे सोरों जनपद के स्थान रखता था. सम्राट अकबर यहीं से अपने पीने का गंगा जल मंगवाया करते थे. सोरों तीर्थ नगरी में प्रति वर्ष विभिन्न पर्वो पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली,गुजरात और राजस्थान से लगभग 45 लाख तीर्थ यात्री आते हैं.

 

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