प्रयागराज. यूपी की जेलों बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों के बाद कैदियों की रिहाई की योजना बनाई गई है. एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव की अध्यक्षता में गठित हाई कमेटी ने कैदियों की रिहाई की योजना बनाई है. इसके मुताबिक, 60 दिन के पेरोल या अंतरिम जमानत पर सजायाफ्ता व विचाराधीन कैदियों को रिहा किया जाएगा. 65 साल से अधिक आयु के प्रतिबंधित के सिवाय सभी कैदियों को भी पेरोल मिलेगी. 


इसके अलावा गर्भवती, कैंसर, हार्ट, गंभीर बीमारी वाले कैदियों को भी रिहा किया जाएगा. हालांकि, हत्या, अपहरण, दुराचार जैसे जघन्य अपराधियों की रिहाई नहीं होगी. सजा भुगतने के बाद अर्थदण्ड की सजा काट रहे कैदी भी रिहा होंगे. न्यायिक अधिकारियों को जेलों में जाकर योजना के तहत कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं. डीजी कारागार से ऐसे कैदियों का डाटा मांगा गया है. ताकि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिये जुर्माने का भुगतान कर उन्हें रिहा किया जा सके.


बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोरोना संक्रमण की निगरानी के लिए कमेटी गठित की गयी है. ए के अवस्थी प्रमुख सचिव गृह व आनंद कुमार डीजी जेल कमेटी के सदस्य हैं. इस बाबत यूपी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट  के महानिबंधक को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र लिखकर योजना का अनुपालन कराने का अनुरोध किया है.


हाई पावर कमेटी की अगली बैठक 22 मई को होगी. योजना के तहत 30 मई तक कैदियों को कोर्ट में पेश करने पर रोक लगा दी गई है. अब पेशी वीडियो काॉफ्रेंसिंग के जरिए ही की जायेगी. 


इन्हें मिलेगी पेरोल
जो कैदी पेरोल पर हैं उनकी पेरोल अगले 60 दिन के लिए बढ़ा दी जायेगी. जो शांतिपूर्ण पेरोल के बाद समर्पण कर चुके हैं, उन्हें फिर से 60 दिन की पेरोल दी जायेगी. जो सात साल से कम सजा के अपराधी या आरोपी हैं उन्हें 60 दिन की विशेष पेरोल या अंतरिम जमानत दी जायेगी. बशर्ते जेल में प्रतिकूल कार्यवाही न की गयी हो. इसके अलावा जो कैदी 2020-21 में या पांच साल के भीतर कभी पेरोल पर छूटे हों, उन्हें भी 60 दिन की पेन्डेमिक पेरोल दी जायेगी.


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